यह ख़बर 24 अगस्त, 2011 को प्रकाशित हुई थी

सरकार और अन्ना के बीच समझौते के आसार बढ़े

खास बातें

  • प्रणब और टीम अन्ना की बातचीत के बाद पीएम के घर पर राजनीतिक मामलों की कैबिनेट कमेटी की बैठक हुई। सरकार की ओर से आज फैसला हो सकता है।
New Delhi:

अन्ना हजारे के अनशन का आज नौवां दिन है। इतने दिनों तक अनशन की वजह से अन्ना हजारे की तबीयत बिगड़ रही है। उनकी सेहत की जांच करने वाले डॉक्टर नरेश त्रेहन के मुताबिक अन्ना हजारे काफी कमजोर हो गए हैं और अगले कुछ घंटे काफी अहम हो सकते हैं। सरकार भी अन्ना की सेहत को लेकर गंभीर है। सूत्रों के मुताबिक किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए एक वैकल्पिक योजना भी बनाई गई है। गृह मंत्रालय और दिल्ली पुलिस के सूत्रों का कहना है कि अगर गतिरोध नहीं टूटता है, तो सरकार अन्ना को जबरन अस्पताल में भर्ती कराने या उन्हें ग्लूकोज चढ़ाने पर विचार कर सकती है। दूसरी ओर अन्ना ने ड्रिप से ग्लूकोज लेने से इनकार कर दिया है। उनका कहना है कि वह दवा भी नहीं लेंगे। जन लोकपाल के मसले पर सरकार और टीम अन्ना के बीच समझौता की राह बनती नजर आ रही है। प्रणब मुखर्जी और टीम अन्ना की बातचीत के बाद देर रात प्रधानमंत्री के घर पर राजनीतिक मामलों की कैबिनेट कमेटी की बैठक हुई। इसके अलावा कांग्रेस कोर कमेटी की भी बैठक हुई। माना जा रहा है कि सरकार की ओर से आज कोई बड़ा फैसला लिया जा सकता है। सरकार की तरफ से बातचीत का मोर्चा प्रणब मुखर्जी ने संभाला, तो टीम अन्ना की तरफ से अरविंद केजरीवाल, प्रशांत भूषण और किरण बेदी बातचीत में शामिल हुए। खबर है कि सरकार प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में लाने को तैयार हो गई है, जबकि न्यायपालिका को लोकपाल के दायरे से बाहर रखकर न्यायिक जवाबदेही कानून के जरिए इसकी जवाबदेही तय करने पर समझौते के आसार हैं। सरकार के साथ बातचीत के बाद टीम अन्ना का कहना है कि अन्ना बिना लिखित भरोसे के अपना अनशन नहीं तोड़ेंगे। जन लोकपाल बिल को संसद के इसी सत्र में पास किया जाए। सरकार ने अपना फैसला सुनाने के लिए आज सुबह तक का वक्त मांगा है। सरकार और टीम अन्ना के बीच जिन मुद्दों पर बात बन गई है, वे हैं − सरकार अब कुछ शर्तों के साथ पीएम को लोकपाल के दायरे में लाने पर तैयार दिख रही है। न्यायपालिका के लिए लोकपाल के साथ अलग कानून का प्रावधान होगा। सरकार जजों के लिए ज्यूडिशियल एकाउंटिबिलिटी बिल लाने के लिए भी तैयार है, साथ ही भ्रष्टाचार के सभी मामलों की जांच सीबीआई के बजाए लोकपाल के दायरे में हो सकती है।


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