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This Article is From Feb 28, 2014

राहुल गांधी के दिलचस्पी वाले विधेयकों पर अध्यादेश लाने पर फिर से सोच-विचार कर रही है सरकार

राहुल गांधी के दिलचस्पी वाले विधेयकों पर अध्यादेश लाने पर फिर से सोच-विचार कर रही है सरकार
नई दिल्ली:

केंद्र की यूपीए सरकार के रवैये से ऐसा लग रहा है कि भ्रष्टाचार से मुकाबले के साथ-साथ कई अन्य मुद्दों पर अध्यादेश लाने के अपने विचार पर वह फिर से सोच-विचार कर रही है। जिन अध्यादेशों को लाने की योजना थी, उनमें से कई ऐसे भी हैं जिन्हें लेकर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी खास दिलचस्पी ले रहे हैं।

कैबिनेट की शुक्रवार को हुई बैठक में अध्यादेशों के मुद्दे पर चर्चा होनी थी, लेकिन बाद में इसे टाल दिया गया। समझा जाता है कि सरकार ने यह फैसला तब टाला जब केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार ने सरकार के कार्यकाल के अंत में जल्दबाजी में अध्यादेशों को लाने के औचित्य पर सवाल उठाए।

सूत्रों के मुताबिक, शरद पवार ने कहा कि भ्रष्टाचार निरोधक कानून बनाने में जल्दबाजी करने की जरूरत नहीं है और भावी सरकार पर इसका फैसला छोड़ दिया जाना चाहिए। सरकार को यह अंदेशा भी है कि इन्हीं आधारों पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी भी सवाल उठा सकते हैं।

करीब दो घंटे चली कैबिनेट की बैठक में अध्यादेश लाने का फैसला फिलहाल टालने पर सहमति बनी। भ्रष्टाचार से मुकाबले के लिए भ्रष्टाचार निरोधक (संशोधन) विधेयक और सिटिजन चार्टर विधेयक पर अध्यादेश लाना था। इन विधेयकों को लेकर राहुल गांधी खुद काफी गंभीर हैं।

इनके अलावा, एससी-एसटी (उत्पीड़न रोकथाम) संशोधन विधेयक, नि:शक्त व्यक्तियों का अधिकार विधेयक, सुरक्षा कानून (संशोधन) विधेयक और दिल्ली उच्च न्यायालय कानून (संशोधन) विधेयक पर भी अध्यादेश लाने की योजना थी।

सूत्रों ने बताया कि कैबिनेट की बैठक शुरू होते ही कैबिनेट सचिव अजित कुमार सेठ ने ऐलान किया कि अध्यादेशों से जुड़े विषय 'टाले जाते हैं'। संसद के शीतकालीन सत्र में हंगामों की वजह से उपरोक्त विधेयक पारित नहीं हो पाए थे।

समझा जाता है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता में हुई पार्टी की कोर ग्रुप की बैठक में भी अध्यादेशों के मुद्दे पर चर्चा हुई। इस बैठक में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी शिरकत की। सूत्रों ने कहा कि सरकार ने पूरी तरह उम्मीद नहीं छोड़ी है और प्रधानमंत्री इस मुद्दे पर राष्ट्रपति के मूड को जानने की कोशिश करेंगे। सोमवार को म्यांमार रवाना होने से पहले प्रधानमंत्री राष्ट्रपति से मुलाकात करेंगे।

सूत्रों ने बताया कि सरकार में कुछ तबकों की राय है कि चुनावों से ठीक पहले अध्यादेश लाने से तकनीकी, कानूनी और संवैधानिक पचड़े सामने आ सकते हैं। कोर ग्रुप की बैठक में रक्षा मंत्री ए के एंटनी, गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे, वित्त मंत्री पी चिदंबरम और सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल ने भी शिरकत की। बैठक में विशेष आमंत्रित सदस्य के तौर पर कानून मंत्री कपिल सिब्बल भी मौजूद थे।

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