नई दिल्ली:
भारतीय नौसेना के लिए फ्रांस की कंपनी डीसीएनएस की मदद से बन रही पनडुब्बी के दस्तावेज लीक होने के मामले को सरकार ने काफी गंभीरता ले लिया है. रक्षा मंत्री ने जहां नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा से इसको लेकर रिपोर्ट मांगी है वहीं नौसेना ने भी डीसीएनएस से लीक होने के बारे में जानकारी मांगी है.
इस बीच फ्रांस के राजदूत एलेक्जेंडर जेइगलर ने कहा कि ''फ्रांस मामले को बहुत गंभीरता से ले रहा है. हम यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि लीक हुई जानकारी किस हद तक संवेदनशील है. हम भारतीय एजेंसी के साथ मिलकर पारदर्शिता के साथ मामले की तह में पहुंचने की कोशिश करेंगे. ''
फ्रांस की कंपनी डीसीएनएस की मदद से मुंबई के मझगांव डॉकयार्ड में ऐसी छह पनडुब्बी बन रही हैं. ऐसी पहली पनडुब्बी का फिलहाल समुद्र में ट्रायल चल रहा है और अगले साल तक उसके नौसेना में शामिल होने की उम्मीद है. बाकी की पांच पनडुब्बियां 2020 तक नौसेना में शामिल होनी हैं. अब जबकि पनडुब्बी से जुड़ी अहम जानकारी के लीक होने की बात सामने आ रही है तो बाकी की पनडुब्बियों का क्या होगा? यह जानकारी अगर चीन और पाकिस्तान जैसे दुश्मन देशों के हाथ लग गई तो हमारी सुरक्षा तैयारियों का क्या होगा, यह एक बड़ा सवाल है.
नौसेना के सूत्र कह रहे हैं कि ''स्कॉर्पीन पनडुब्बी में जो लीक की बात सामने आई है वह बहुत गंभीर नहीं है. यह पुरानी चीज है और बहुत कुछ लीक नहीं हुआ है.'' लेकिन रक्षा मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि ''हमें अब तक पक्के तौर पर यही नहीं पता है कि कौन-कौन सी जानकारी लीक हुई है और यह हमारे लिए कितना नुकसानदेह है.'' मंत्रालय डीसीएनएस से नाराज है कि उसने जानकारी बांटने में देरी की.
यह बात अब सबको पता है कि हिंद महासागर में चीन की पनडुब्बी लगातार पैठ बढ़ा रही है और पाकिस्तान की पनडुब्बी भी चौका मारने की फिराक में लगी रहती है. भारतीय नौसेना के पास वैसे तो कहने को 10-12 पनडुब्बियां हैं लेकिन चालू हालत में पांच-छह से ज्यादा नहीं हैं. लिहाजा एक तो पहले ही पनडुब्बी की कमी है और ऊपर से जो बन रही हैं उनकी सूचना भी लीक हो जाए तो फिर क्या होगा. बस अंदाजा ही लगा सकते हैं कि समुद्र की सरहद की हिफाजत दांव पर तो लग जाएगी. इसमें कोई दो राय नहीं कि हिंद महासागर में चीन को चुनौती देने का मंसूबा पाले रखने वाली भारतीय नौसेना के लिए यह एक बड़ा झटका है.
इस बीच फ्रांस के राजदूत एलेक्जेंडर जेइगलर ने कहा कि ''फ्रांस मामले को बहुत गंभीरता से ले रहा है. हम यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि लीक हुई जानकारी किस हद तक संवेदनशील है. हम भारतीय एजेंसी के साथ मिलकर पारदर्शिता के साथ मामले की तह में पहुंचने की कोशिश करेंगे. ''
फ्रांस की कंपनी डीसीएनएस की मदद से मुंबई के मझगांव डॉकयार्ड में ऐसी छह पनडुब्बी बन रही हैं. ऐसी पहली पनडुब्बी का फिलहाल समुद्र में ट्रायल चल रहा है और अगले साल तक उसके नौसेना में शामिल होने की उम्मीद है. बाकी की पांच पनडुब्बियां 2020 तक नौसेना में शामिल होनी हैं. अब जबकि पनडुब्बी से जुड़ी अहम जानकारी के लीक होने की बात सामने आ रही है तो बाकी की पनडुब्बियों का क्या होगा? यह जानकारी अगर चीन और पाकिस्तान जैसे दुश्मन देशों के हाथ लग गई तो हमारी सुरक्षा तैयारियों का क्या होगा, यह एक बड़ा सवाल है.
नौसेना के सूत्र कह रहे हैं कि ''स्कॉर्पीन पनडुब्बी में जो लीक की बात सामने आई है वह बहुत गंभीर नहीं है. यह पुरानी चीज है और बहुत कुछ लीक नहीं हुआ है.'' लेकिन रक्षा मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि ''हमें अब तक पक्के तौर पर यही नहीं पता है कि कौन-कौन सी जानकारी लीक हुई है और यह हमारे लिए कितना नुकसानदेह है.'' मंत्रालय डीसीएनएस से नाराज है कि उसने जानकारी बांटने में देरी की.
यह बात अब सबको पता है कि हिंद महासागर में चीन की पनडुब्बी लगातार पैठ बढ़ा रही है और पाकिस्तान की पनडुब्बी भी चौका मारने की फिराक में लगी रहती है. भारतीय नौसेना के पास वैसे तो कहने को 10-12 पनडुब्बियां हैं लेकिन चालू हालत में पांच-छह से ज्यादा नहीं हैं. लिहाजा एक तो पहले ही पनडुब्बी की कमी है और ऊपर से जो बन रही हैं उनकी सूचना भी लीक हो जाए तो फिर क्या होगा. बस अंदाजा ही लगा सकते हैं कि समुद्र की सरहद की हिफाजत दांव पर तो लग जाएगी. इसमें कोई दो राय नहीं कि हिंद महासागर में चीन को चुनौती देने का मंसूबा पाले रखने वाली भारतीय नौसेना के लिए यह एक बड़ा झटका है.
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