पणजी:
गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री दिगंबर कामत पर लुई बर्जर रिश्वत मामले में सबूत गायब करने का आरोप लगाया गया है। इस मामले में महत्वपूर्ण फाइलों की खोज में लगी अपराध शाखा ने भ्रष्टाचार निरोधी कानून और भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के तहत पहले ही कामत के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की हुई है।
अपराध शाखा के एक वरिष्ठ अधिकारी ने को बताया, ‘कामत के खिलाफ दायर प्राथमिकी में कल भारतीय दंड संहिता की धारा 201 (अपराध का सबूत गायब करना या दोषी को बचाने के लिए झूठी जानकारी देना) भी जोड़ ली गई।’ इस मामले में कामत के खिलाफ पहले भी भारतीय दंड संहिता की धारा 120 (बी) आपराधिक षड्यंत्र और भ्रष्टाचार निरोधी कानून की धारा 7, 8, 9 और 13 के तहत आरोप दर्ज हैं।
अपराध शाखा अमेरिकी कंपनी लुइस बर्जर द्वारा एक भारतीय मंत्री को कथित तौर पर रिश्वत देने के मामले की जांच कर रही है। यह रिश्वत जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी की वित्त पोषित परियोजना जल संवर्धन एवं सीवर परियोजना का परामर्श ठेका लेने के लिए दी गई थी।
अधिकारी ने कहा कि प्राथमिकी में कामत के खिलाफ सबूत गायब करने से जुड़ी धारा उस समय जोड़ी गई, जब जेआईसीए के गोवा कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पुलिस को बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री ने एक महत्वपूर्ण फाइल के बारे में गलत जानकारी देने के लिए उन पर कथित तौर पर दबाव बनाया था। यह फाइल जांच अधिकारी द्वारा ढूंढी जा रही थी। अधिकारी ने कहा कि मडगांव नगर परिषद के अध्यक्ष आर्थर डी सिल्वा ने झूठी जानकारी देने के लिए अधिकारी पर दबाव बनाने में कथित तौर पर कामत की मदद की थी। उन्होंने कहा कि अपराध शाखा पहले ही डी सिल्वा से पूछताछ कर चुकी है।
जांचकर्ता परामर्श कार्य सौंपे जाने से जुड़ी महत्वपूर्ण फाइलें खोज रहे हैं। राज्य के लोक निर्माण विभाग के पूर्व मंत्री चर्चिल अलेमाओ और तीन अन्य को पुलिस ने रिश्वत मामले में गिरफ्तार किया था। यह तीन अन्य लोग लुइस बर्जर के पूर्व उपाध्यक्ष सत्यकाम मोहंती, गोवा में जेआईसीए द्वारा सहायता प्राप्त परियोजना के प्रमुख आनंद वाचासुंदर और कथित हवाला डीलर रायचंद सोनी हैं। कामत से जांचकर्ता दो बार पूछताछ कर चुके हैं। इस मामले में गिरफ्तारी से डरे हुए कामत अग्रिम जमानत के लिए जिला अदालत का रुख कर चुके हैं। उनकी जमानत याचिका पर बहस पूरी हो चुकी है और अदालत को 19 अगस्त को अपना आदेश सुनाना है।
अपराध शाखा के एक वरिष्ठ अधिकारी ने को बताया, ‘कामत के खिलाफ दायर प्राथमिकी में कल भारतीय दंड संहिता की धारा 201 (अपराध का सबूत गायब करना या दोषी को बचाने के लिए झूठी जानकारी देना) भी जोड़ ली गई।’ इस मामले में कामत के खिलाफ पहले भी भारतीय दंड संहिता की धारा 120 (बी) आपराधिक षड्यंत्र और भ्रष्टाचार निरोधी कानून की धारा 7, 8, 9 और 13 के तहत आरोप दर्ज हैं।
अपराध शाखा अमेरिकी कंपनी लुइस बर्जर द्वारा एक भारतीय मंत्री को कथित तौर पर रिश्वत देने के मामले की जांच कर रही है। यह रिश्वत जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी की वित्त पोषित परियोजना जल संवर्धन एवं सीवर परियोजना का परामर्श ठेका लेने के लिए दी गई थी।
अधिकारी ने कहा कि प्राथमिकी में कामत के खिलाफ सबूत गायब करने से जुड़ी धारा उस समय जोड़ी गई, जब जेआईसीए के गोवा कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पुलिस को बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री ने एक महत्वपूर्ण फाइल के बारे में गलत जानकारी देने के लिए उन पर कथित तौर पर दबाव बनाया था। यह फाइल जांच अधिकारी द्वारा ढूंढी जा रही थी। अधिकारी ने कहा कि मडगांव नगर परिषद के अध्यक्ष आर्थर डी सिल्वा ने झूठी जानकारी देने के लिए अधिकारी पर दबाव बनाने में कथित तौर पर कामत की मदद की थी। उन्होंने कहा कि अपराध शाखा पहले ही डी सिल्वा से पूछताछ कर चुकी है।
जांचकर्ता परामर्श कार्य सौंपे जाने से जुड़ी महत्वपूर्ण फाइलें खोज रहे हैं। राज्य के लोक निर्माण विभाग के पूर्व मंत्री चर्चिल अलेमाओ और तीन अन्य को पुलिस ने रिश्वत मामले में गिरफ्तार किया था। यह तीन अन्य लोग लुइस बर्जर के पूर्व उपाध्यक्ष सत्यकाम मोहंती, गोवा में जेआईसीए द्वारा सहायता प्राप्त परियोजना के प्रमुख आनंद वाचासुंदर और कथित हवाला डीलर रायचंद सोनी हैं। कामत से जांचकर्ता दो बार पूछताछ कर चुके हैं। इस मामले में गिरफ्तारी से डरे हुए कामत अग्रिम जमानत के लिए जिला अदालत का रुख कर चुके हैं। उनकी जमानत याचिका पर बहस पूरी हो चुकी है और अदालत को 19 अगस्त को अपना आदेश सुनाना है।
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