छेड़छाड़ होने पर काम करना बंद कर देगी नई EVM, इन तकनीकी क्षमताओं से होगी लैस

छेड़छाड़ होने पर काम करना बंद कर देगी नई EVM, इन तकनीकी क्षमताओं से होगी लैस

प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

खास बातें

  • 'डिजाइन सुनिश्चित करती है कि इसे खोलने के प्रयास से यह निष्क्रिय हो जाए'
  • EC के अनुसार, कथित मशीनों की खरीद के लिए 1,940 करोड़ की जरूरत होगी
  • मायावती ने आरोप लगाया था कि ईवीएम को भाजपा के पक्ष में मैनेज किया गया था
जींद:

भारत निर्वाचन आयोग ऐसी नई इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें (ईवीएम) खरीदने वाला है जो उनके साथ छेड़छाड़ होते ही काम करना बंद कर देंगी. गौरतलब है कि हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों के दौरान कुछ दलों द्वारा ईवीएम में हेरफेर के आरोप लगाये जाने के बाद यह कदम उठाया जा रहा है. एम3 श्रेणी की इन नई मशीनों में मशीनों के सही होने की पहचान करने की क्षमता भी होगी. इन मशीनों में परस्पर सत्यापन प्रणाली भी होगी. यानी यदि पहले से तय किन्हीं दो पक्षों के अलावा अन्य कोई भी उनमें बदलाव का प्रयास करेगा तो वह पकड़ा जाएगा. नई मशीनों की खरीद में लगभग 1,940 करोड़ रुपए का खर्च आएगा. ये मशीनें संभवत: 2018 से काम करने लगेंगी.

5 राज्‍यों में हुए विधानसभा चुनावों के बाद से ईवीएम मशीनों की विश्‍वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं. यूपी में बीजेपी की जबरदस्‍त जीत को लेकर सबसे पहले मायावती ने ईवीएम मशीनों पर सवाल उठाए. फिर पंजाब चुनावों में मिली करारी हार के बाद आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने भी मायावती के सुर में सुर मिलाया था. उधर शनिवार को ही मध्‍य प्रदेश के भिंड इलाके में डेमो के लिए पहुंची ईवीएम मशीन में कोई भी बटन दबाने से कमल की ही पर्ची निकले का मामला सामने आया था जिसके बाद दो अधिकारियों का तबादला कर दिया गया.

इस हफ्ते की शुरुआत में लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित जवाब में कानून एवं न्याय राज्य मंत्री पी.पी. चौधरी ने कहा कि एम-3 ईवीएम प्रौद्योगिकी तौर पर उन्नत हैं. इनमें और दूसरे ईवीएम के संचालन में कोई अंतर नहीं है. इससे बूथ प्रबंधन प्रणाली प्रभावित नहीं होती है. मंत्री ने कहा कि निर्वाचन आयोग ने 2006 से पहले खरीदी गई 9,30,430 ईवीएम मशीनों को चरणबद्ध तरीके से 2019 के आम चुनाव और साथ में विधानसभा चुनाव से पहले बदलने का फैसला किया है.

नई एम-3 ईवीएम मशीनों की विशेषताओं को बताते हुए मंत्री ने कहा कि इसमें एक पब्लिक की इंटरफेस (पीकेआई) है, जो वास्तविक इकाई की पहचान करने के लिए विभिन्न ईवीएम इकाइयों के बीच आपसी प्रमाणीकरण पर आधारित है. मंत्री ने कहा, "इसकी डिजाइन यह सुनिश्चित करती है कि ईवीएम को खोलने के प्रयास से यह निष्क्रिय हो जाए."

निर्वाचन आयोग के अनुसार, कथित मशीनों की खरीद करने के लिए कर, ड्यूटी और माल शुल्क को छोड़कर करीब 1,940 करोड़ रुपये की जरूरत होगी. राज्यसभा में एक अन्य जवाब में बीते सप्ताह चौधरी ने कहा कि निर्वाचन आयोग ने सरकार को सूचित किया है कि आयोग ने 2014-15, 2015-16 और 2016-17 के दौरान किसी भी इलेक्ट्रॉनिक मशीन की खरीदारी नहीं की.

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजों की घोषणा के बाद बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने आरोप लगाया कि ईवीएम को भाजपा के पक्ष में मैनेज किया गया था. कांग्रेस और आम आदमी पार्टी सहित दूसरी विपक्षी पार्टियों ने मध्य प्रदेश में एक उपचुनाव के दौरान ईवीएम में छेड़छाड़ की रिपोर्ट को लेकर निर्वाचन आयोग से जांच की मांग की.

(इनपुट आईएएनएस से...)


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