नई दिल्ली:
पाकिस्तान के गृहमंत्री रहमान मलिक ने एनडीटीवी से खास बातचीत करते हुए कहा है कि हमें कसाब के मामले को सरबजीत के मामले से जोड़कर नहीं देखना चाहिए। मलिक के मुताबिक अगर कोई इन दोनों मामलों में समानता ढूंढता है, तो यह बिल्कुल गलत है।
साथ ही उन्होंने कहा कि जिस तरह पाकिस्तान ने कसाब के मामले पर आए भारतीय अदालत के फैसले का सम्मान किया है, भारत को सरबजीत के मामले पर पाकिस्तानी अदालत के फ़ैसले का सम्मान करना चाहिए।
गौरतलब है कि पाकिस्तान की कोट लखपत जेल में कैद भारतीय नागरिक सरबजीत ने नए सिरे से एक दया याचिका दाखिल की है, जिसमें उसने लिखा है कि जिस तरह भारत ने मानवीय आधार पर पाकिस्तानी नागरिक खलील चिश्ती को रिहा किया है, उसी तरह उसकी भी रिहाई की जानी चाहिए।
सरबजीत ने लिखा है कि वह पिछले 22 साल से पाकिस्तान की जेल में सड़ रहा है और अब उसकी फांसी की सजा माफ कर उसे भारत भेज देना चाहिए, जिससे वह अपनी बाकी की जिंदगी परिवार के साथ बिता सके। सरबजीत को पाकिस्तान ने बम धमाके करने के आरोप में 1990 में गिरफ्तार किया था।
साथ ही उन्होंने कहा कि जिस तरह पाकिस्तान ने कसाब के मामले पर आए भारतीय अदालत के फैसले का सम्मान किया है, भारत को सरबजीत के मामले पर पाकिस्तानी अदालत के फ़ैसले का सम्मान करना चाहिए।
गौरतलब है कि पाकिस्तान की कोट लखपत जेल में कैद भारतीय नागरिक सरबजीत ने नए सिरे से एक दया याचिका दाखिल की है, जिसमें उसने लिखा है कि जिस तरह भारत ने मानवीय आधार पर पाकिस्तानी नागरिक खलील चिश्ती को रिहा किया है, उसी तरह उसकी भी रिहाई की जानी चाहिए।
सरबजीत ने लिखा है कि वह पिछले 22 साल से पाकिस्तान की जेल में सड़ रहा है और अब उसकी फांसी की सजा माफ कर उसे भारत भेज देना चाहिए, जिससे वह अपनी बाकी की जिंदगी परिवार के साथ बिता सके। सरबजीत को पाकिस्तान ने बम धमाके करने के आरोप में 1990 में गिरफ्तार किया था।
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