
पीएम मोदी की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
कांग्रेस पार्टी ने फर्जी खबर मामले केंद्र सरकार के यू-टर्न को लोकतंत्र और मीडिया की जीत बताया है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राधाकृष्ण विखे पाटिल ने मंगलवार को कहा कि केंद्र सरकार का फर्जी खबर पर गाइडलाइन जारी करने के 24 घंटे के भीतर उसे वापस लेना लोकतंत्र और मीडिया की जीत है. उन्होंने आरोप लगाया कि फर्जी खबर पर गाइडलाइन के जरिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने मीडिया की स्वायत्तता पर पाबंदी लगाने का प्रयास किया था. महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता विखे पाटिल ने कहा कि यही वजह है कि सरकार को 24 घंटे के भीतर अपने आदेश को वापस लेना पड़ा.
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पाटिल ने कहा कि मैं उन सभी पत्रकारों को बधाई देता हूं, जिन्होंने एकजुट होकर फैसले का विरोध किया. उन्होंने इस बाबत एक ट्वीट भी किया जिसमें उन्होंने लिखा कि फर्जी खबर के नाम पर सरकार ने मीडिया की स्वायत्तता पर पाबंदी लगाने की कोशिश की थी, जो गलत था. गौरतलब है कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने सोमवार को कहा था कि अगर कोई पत्रकार फर्जी खबर लिखता या उसका प्रसार करते पाया गया तो उसकी मान्यता स्थायी तौर पर रद्द की जा सकती है.
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मंत्रालय ने कहा था कि एक बार फर्जी खबर के निर्धारण के लिए शिकायत दर्ज कर ली जाती है तो जिस पत्रकार ने भी उसे लिखा या प्रसारित किया है उसकी मान्यता रद्द कर दी जाएगी. हालांकि, विज्ञप्ति में फर्जी खबर को परिभाषित नहीं किया गया था. फर्जी खबर क्या होगा इसपर फैसला करने की शक्ति प्रेस निकायों पर छोड़ दी गई थी.
VIDEO: फेक न्यूज पर सरकार ने अपनी गाइडलाइन वापस ली.
इस दिशा- निर्देश पर विपक्षी पार्टी कांग्रेस और पत्रकारों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी. इसके बाद ही मंगलवार को प्रधानमंत्री कार्यालय ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से अपना आदेश वापस लेने को कहा. (इनपुट भाषा से)
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पाटिल ने कहा कि मैं उन सभी पत्रकारों को बधाई देता हूं, जिन्होंने एकजुट होकर फैसले का विरोध किया. उन्होंने इस बाबत एक ट्वीट भी किया जिसमें उन्होंने लिखा कि फर्जी खबर के नाम पर सरकार ने मीडिया की स्वायत्तता पर पाबंदी लगाने की कोशिश की थी, जो गलत था. गौरतलब है कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने सोमवार को कहा था कि अगर कोई पत्रकार फर्जी खबर लिखता या उसका प्रसार करते पाया गया तो उसकी मान्यता स्थायी तौर पर रद्द की जा सकती है.
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मंत्रालय ने कहा था कि एक बार फर्जी खबर के निर्धारण के लिए शिकायत दर्ज कर ली जाती है तो जिस पत्रकार ने भी उसे लिखा या प्रसारित किया है उसकी मान्यता रद्द कर दी जाएगी. हालांकि, विज्ञप्ति में फर्जी खबर को परिभाषित नहीं किया गया था. फर्जी खबर क्या होगा इसपर फैसला करने की शक्ति प्रेस निकायों पर छोड़ दी गई थी.
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इस दिशा- निर्देश पर विपक्षी पार्टी कांग्रेस और पत्रकारों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी. इसके बाद ही मंगलवार को प्रधानमंत्री कार्यालय ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से अपना आदेश वापस लेने को कहा. (इनपुट भाषा से)