नई दिल्ली:
भारत और चीन की सेनाओं के अधिकारियों के बीच शुक्रवार को तीसरी दौर की फ्लैग मीटिंग होगी। यह मीटिंग बीजिंग द्वारा लद्दाख में अपनी एक प्लाटून को भारतीय सीमा में रखने के मुद्दे पर होगी। यह प्लाटून करीब 10 किलोमीटर भीतर भारतीय क्षेत्र की दीपसांग घाटी में पिछले कई दिनों से जमे हुए हैं।
अब इस मुद्दे पर भारतीय सेना, खुफिया एजेंसियों और विदेश मंत्रालय का मानना है कि यह घुसपैठ एक 'सुविचारित निर्णय है जो बहुत ही ऊंचे स्तर पर लिया गया था।'
भारतीय सेना ने सरकार को बताया है कि चीनी सेना के कमांडर वर्तमान गतिरोध को पूर्व चीनी रक्षा मंत्री चैंग वैनक्युआन द्वारा पिछले वर्ष नवंबर में भारतीय दौरे में उठाई गई एक मांग को आगे रखने के लिए करना चाहते हैं। चैंग द्वारा भारत से यह मांग की गई थी कि दोनों देश की एलएसी पर पेट्रोलिंगग योजना को दूसरे पक्ष को पहले ही बताना चाहिए। वहीं भारत ने इसका विरोध किया था क्योंकि इससे अचानक दूसरों की गतिविधियों के पता लगाने के अभियान पर रोक लगती है।
हालांकि, सूत्रों का कहना है कि सेना के विरोध के बावजूद सरकार इस मामले में चीन की मांग को स्वीकार कर वर्तमान स्थिति का समाधान चाहती है।
भारतीय जानकार यह भी मानते हैं कि इस समय यह घुसपैठ कर चीन भारत को यह भी संदेश देना चाहता हैकि बीजिंग में नई सत्ता अपनी पूर्व की सरकारों के भांति ही भारत के साथ सीमा के संबंध में विवाद को स्वीकारती है। चीन के प्रधानमंत्री ली केकियांग अगले महीने नई दिल्ली के दौरे पर आने वाले हैं।
बता दें कि 15 अप्रैल की रात लद्दाख के दौलत बेग इलाके में तंबू लगाकर चीन की एक प्लाटून बैठी है। इस इलाके के करीब भारतीय सेना ने अपनी हवाई पट्टी तैयार की है।
कुछ जानकारों का यह भी मानना है कि चीन ने इस इलाके को इसलिए भी चुना क्योंकि इस इलाके की निगरानी भारतीय सेना नहीं भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस करती है। चीन इस बात को लेकर भी चिंतित है कि भारत ने इस इलाके में सड़कों का निर्माण कराया है। यह इलाका कराकोरम दर्रे के करीब है जो चीन को जिंजियांग क्षेत्र से जोड़ता है।
दो फ्लैग मीटिंग में चीन ने भारत से इस क्षेत्र में ज्यादा पेट्रोलिंग किए जाने का भी विरोध किया है।
अब इस मुद्दे पर भारतीय सेना, खुफिया एजेंसियों और विदेश मंत्रालय का मानना है कि यह घुसपैठ एक 'सुविचारित निर्णय है जो बहुत ही ऊंचे स्तर पर लिया गया था।'
भारतीय सेना ने सरकार को बताया है कि चीनी सेना के कमांडर वर्तमान गतिरोध को पूर्व चीनी रक्षा मंत्री चैंग वैनक्युआन द्वारा पिछले वर्ष नवंबर में भारतीय दौरे में उठाई गई एक मांग को आगे रखने के लिए करना चाहते हैं। चैंग द्वारा भारत से यह मांग की गई थी कि दोनों देश की एलएसी पर पेट्रोलिंगग योजना को दूसरे पक्ष को पहले ही बताना चाहिए। वहीं भारत ने इसका विरोध किया था क्योंकि इससे अचानक दूसरों की गतिविधियों के पता लगाने के अभियान पर रोक लगती है।
हालांकि, सूत्रों का कहना है कि सेना के विरोध के बावजूद सरकार इस मामले में चीन की मांग को स्वीकार कर वर्तमान स्थिति का समाधान चाहती है।
भारतीय जानकार यह भी मानते हैं कि इस समय यह घुसपैठ कर चीन भारत को यह भी संदेश देना चाहता हैकि बीजिंग में नई सत्ता अपनी पूर्व की सरकारों के भांति ही भारत के साथ सीमा के संबंध में विवाद को स्वीकारती है। चीन के प्रधानमंत्री ली केकियांग अगले महीने नई दिल्ली के दौरे पर आने वाले हैं।
बता दें कि 15 अप्रैल की रात लद्दाख के दौलत बेग इलाके में तंबू लगाकर चीन की एक प्लाटून बैठी है। इस इलाके के करीब भारतीय सेना ने अपनी हवाई पट्टी तैयार की है।
कुछ जानकारों का यह भी मानना है कि चीन ने इस इलाके को इसलिए भी चुना क्योंकि इस इलाके की निगरानी भारतीय सेना नहीं भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस करती है। चीन इस बात को लेकर भी चिंतित है कि भारत ने इस इलाके में सड़कों का निर्माण कराया है। यह इलाका कराकोरम दर्रे के करीब है जो चीन को जिंजियांग क्षेत्र से जोड़ता है।
दो फ्लैग मीटिंग में चीन ने भारत से इस क्षेत्र में ज्यादा पेट्रोलिंग किए जाने का भी विरोध किया है।
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