जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) के नेता सज्जाद लोन ने कहा है कि अनुच्छेद 370 (Article 370) हटाने के केंद्र सरकार के निर्णय़ ने क्षेत्र की सभी पार्टियों को एक मंच पर आने का मौका दिया है. सज्जाद लोन को इस साल जुलाई में नजरबंदी से रिहा किया गया था.
लोन ने कहा, "केंद्र की सरकारें आएंगी और जाएंगी, हम यहां के बाशिंदे हैं, पर्यटक नहीं. हम यहां टिक कर रहेंगे." लोन बीजेपी औऱ पीडीपी की गठबंधन सरकार में मंत्री थे और जम्मू-कश्मीर में पीपुल्स अलांयस नाम का नया राजनीतिक धड़ा तैयार करने में उनकी अहम भूमिका रही. लोन ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि जम्मू-कश्मीर की संवैधानिक स्वायत्तता को केंद्र द्वारा छीना जाना अदूरदर्शिता पूर्ण और नफरत से भरा कदम था.
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हम उसे पाएंगे, जो हमसे छीना गया
गुरुवार को फारुक अब्दुल्ला, पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला समेत तमाम नेता और सियासी दल एक साथ इकट्ठा हुए थे. इन नेताओं ने अनुच्छेद 370 को हटाने के खिलाफ आगे लड़ाई लड़ने का संकेत दिया था. लोन के मुताबिक, यह साझा कवायद होगी, जिसका अहम मकसद उसे वापस पाना है, जिसे हमसे छीना गया है. हम देश के अन्य हिस्सों के नागरिकों की तरह संविधान के दायरे में शांतिपूर्वक संघर्ष करेंगे.
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बाहरी लोग चला रहे कश्मीर का शासन
लोन ने कहा कि जब वह करीब साल भर की नजरबंदी से रिहा हुए तो खुद को अजनबी सा महसूस किया. उन्होंने पाया कि "बाहरी लोग" जम्मू-कश्मीर का शासन चला रहे हैं. लोन और जम्मू-कश्मीर के कई अन्य नेताओं को पांच अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 खत्म करने के निर्णय के बाद नजरबंद कर दिया गया था. लोन को इसी साल 31 जुलाई को रिहा किया गया. उन्होंने भरोसा दिलाया कि अनुच्छेद 370 की बहाली का अभियान संविधान के दायरे में ही चलाया जाएगा. इसके साथ इलाके से हिंसा और अनिश्चितता खत्म करने का भी प्रयास होगा.
केंद्र साबित करे कि सबके साथ बराबरी का सलूक हो रहा
पीपुल्स अलायंस के बड़े नेता लोन ने कहा कि हमें केंद्र सरकार के हर उस फैसले का विरोध करना चाहिए, जिसका खामियाजा हमारे बच्चों को भुगतना होगा. इसके खिलाफ खड़े होना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा कि केंद्र को कश्मीर के नेताओं को कैद करने या जेल में रखकर मालिक जैसी भावना नहीं लानी चाहिए. उनकी जिम्मेदारी है कि यह साबित करें कि वे देश के अन्य इलाकों के लोगों के जैसा ही व्यवहार कश्मीर की अवाम से करते हैं.
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