थल सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने चैयरमेन ऑफ द चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ कमेटी की जिम्मेदारी संभाल ली है. सेना के तीनों अंगों के चीफ में से जो वरिष्ठ होता है उसे यह जिम्मेदारी दी जाती है. पहले यह जिम्मेदारी चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत के पास थी लेकिन 8 दिसंबर को हेलीकॉप्टर हादसे में जनरल रावत के निधन के बाद तीनों चीफ में सीनियर मोस्ट होने की वजह से जनरल नरवणे को यह जिम्मेदारी मिली है. सेना के बाकी दोनों अंगों के चीफ वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी आर चौधरी और नौसेना प्रमुख आर हरि कुमार इनसे जूनियर हैं, इसलिए दोनों यह पद संभाल नही सकते हैं.
जब सरकार ने दिसंबर 2019 में पहले सीडीएस पद के जनरल रावत के नाम का ऐलान किया था तो चेयरमैन का पद सीडीएस के साथ-साथ जनरल बिपिन रावत के पास चला गया. हालांकि उससे पहले सेना के तीनों अंगों में तालमेल के लिये सेना में चैयरमेन ऑफ द चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी का पद था. उस वक्त तीनों चीफ में जो वरिष्ठ होता था वह यह पद संभाल लेता था. अब जबकि सीडीएस का पद खाली है इसलिए पुरानी परंपरा फिर से बहाल हो गई है, ताकि सेना के बीच आपसी तालमेल के कामकाज में कोई दिक्कत ना हो.
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जब सरकार सीडीएस का ऐलान करेगी तो अपने आप यह पद उनके पास चला जायेगा. संभावना है कि तीनों चीफ में वरिष्ठ होने की वजह से थल सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ही को सरकार सीडीएस बनाएगी.
बता दें कि जनरल नरवणे ने 31 दिसंबर, 2019 को जनरल बिपिन रावत के उत्तराधिकारी के रूप में जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने मंगलवार को 28वें सेना प्रमुख का पदभार संभाला था. बिपिन रावत को तब देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ नियुक्त किया गया था. उसके पहले तक नरवणे उप-सेनाप्रमुख की जिम्मेदारी निभा रहे थे. सितंबर, 2019 में उप सेना प्रमुख के तौर पर कार्यभार संभालने से पहले नरवणे ने सेना की पूर्वी कमान का नेतृत्व किया था. जो चीन से लगने वाली करीब 4000 किलोमीटर लंबी भारतीय सीमा पर नजर रखती है.
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