बीते चार सालों में दलितों को लेकर 5 बड़ी घटनाएं हो चुकी हैं.
नई दिल्ली:
एससी/एसटी ऐक्ट में बदलाव के खिलाफ सोमवार को हुए आंदोलन और उसमें भड़की हिंसा में अब तक 10 लोगों की मौत हो चुकी है और आज भी कई जगहों पर स्कूल-कॉलेज बंद रखे गए हैं. पिछले चार सालों में कई बार दलितों के मुद्दे मोदी सरकार के सामने खड़े हो चुके हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार किसी भी कीमत में दलित वोटबैंक को नाराज नहीं करना चाहती है. यही वजह है कि सरकार ने न सिर्फ सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की है बल्कि कोर्ट से तुरंत सुनवाई की भी गुहार लगाई है.
क्या है एससी/एसटी ऐक्ट में बदलाव
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक) अधिनियम को 11 सितम्बर 1989 में भारतीय संसद द्वारा पारित किया गया था, जिसे 30 जनवरी 1990 से सारे भारत (जम्मू-कश्मीर को छोड़कर) में लागू किया गया. यह अधिनियम उस प्रत्येक व्यक्ति पर लागू होता है जो अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति का सदस्य नहीं है तथा वह व्यक्ति इस वर्ग के सदस्यों का उत्पीड़न करता है. इस अधिनियम में 5 अध्याय एवं 23 धाराएं हैं. यह कानून अनुसूचित जातियों और जनजातियों में शामिल व्यक्तियों के खिलाफ अपराधों को दंडित करता है. यह पीड़ितों को विशेष सुरक्षा और अधिकार देता है. इसके लिए विशेष अदालतों की भी व्यवस्था होती है. सुप्रीम कोर्ट ने ST/SC एक्ट के तहत तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगा दी. इस मामले के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि ST/SC एक्ट के तहत गिरफ्तारी न की जाए. बल्कि अग्रिम जमानत की मंदूरी दी जाए.
मोदी सरकार में कब-कब उठे दलितों के मुद्दे
क्या है एससी/एसटी ऐक्ट में बदलाव
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक) अधिनियम को 11 सितम्बर 1989 में भारतीय संसद द्वारा पारित किया गया था, जिसे 30 जनवरी 1990 से सारे भारत (जम्मू-कश्मीर को छोड़कर) में लागू किया गया. यह अधिनियम उस प्रत्येक व्यक्ति पर लागू होता है जो अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति का सदस्य नहीं है तथा वह व्यक्ति इस वर्ग के सदस्यों का उत्पीड़न करता है. इस अधिनियम में 5 अध्याय एवं 23 धाराएं हैं. यह कानून अनुसूचित जातियों और जनजातियों में शामिल व्यक्तियों के खिलाफ अपराधों को दंडित करता है. यह पीड़ितों को विशेष सुरक्षा और अधिकार देता है. इसके लिए विशेष अदालतों की भी व्यवस्था होती है. सुप्रीम कोर्ट ने ST/SC एक्ट के तहत तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगा दी. इस मामले के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि ST/SC एक्ट के तहत गिरफ्तारी न की जाए. बल्कि अग्रिम जमानत की मंदूरी दी जाए.
मोदी सरकार में कब-कब उठे दलितों के मुद्दे
- साल 2015 के अक्टूबर महीने में फरीदाबाद के सुनपेड़ गांव में दलित परिवार को जिंदा जलाने की खबर. जिसमें दो बच्चों की मौत हो गई थी. इसके बाद दलितों का गुस्सा वहां की खट्टर सरकार पर था साथ ही विपक्षी दलों ने केंद्र की मोदी सरकार पर भी निशाना साधा था. इस मुद्दे ने काफी दिनों कई दिनों तक केंद्र और राज्य सरकार को परेशान किया था.
- साल 2016 में हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय में छात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या के मुद्दा संसद तक गूंजा था और उस समय केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी को लंबी बहस के बाद जवाब देना पड़ा था. पूरे देश में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन भी हुए थे.
- साल 2016 में ही गुजरात के ऊना में कथित गोरक्षकों ने दलित युवकों की पिटाई की थी. इस मामले में पूरे गुजरात में उग्र प्रदर्शन हुए थे. राहुल गांधी पीड़ित परिवार से मिलने गए थे.
- साल 2017 में उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में दलित और राजपूतों के संघर्ष हुआ.
- साल 2018 में पुणे में भीमा-कोरेगांव की ऐतिहासिक लड़ाई की 200वीं बरसी पर बवाल हो गया था. इसके बाद पूरे महाराष्ट्र में उग्र प्रदर्शन हुआ था.
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