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कम से कम 31 नए भूकंप विज्ञान वेधशालाएं स्थापित की जाएंगी.
2015 में नेपाल में आए भूकंप के बाद भूकंप के मामले बहुत बढ़ गए है.
भारत में भी पहले से ज्यादा भूकंप के कंपन महसूस किए जा रहे हैं.
एनएससी में देश भर में 84 भूकंप विज्ञान वेधशालाओं का राष्ट्रीय सिस्मोलॉजिकल नेटवर्क है जो कि भूकंप आने के बाद भूकंप संबंधी गतिविधियों को दर्ज करके उन सूचनाओं को नियंत्रण कक्ष में भेजता है, जहां से भूकंप संबंधी आंकडे जारी किए जाते हैं. भूकंप के जुड़ी विशेष जानकारियां मसलन भूकंप आने का समय, उसकी तीव्रता, गहराई और भूकंप के केन्द्र आदि को प्रधानमंत्री कार्यालय, मंत्रिमंडलीय सचिवों, मंत्रालयों, संबंधित राज्य सरकारों तथा देश भर के जिला कलेक्टरों को भेजा जाता है.
ये जानकारियां भीषण भूकंप आने की स्थिति में त्वरित कार्रवाई करने में भी सहायक साबित होती हैं. पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम राजीवन ने कहा, ‘‘ज्यादा वेधशालाएं भूकंप के स्थान और समय के संबंध में ज्यादा सटीक सूचनाएं उपलब्ध कराती हैं. हमारी योजना इस वर्ष के अंत तक इनकी संख्या को 116 तक पहुंचाने की है.’’ उन्होंने कहा,‘‘इससे हमारी मंशा भूकंप की जानकारी देने के समय को कम करने करने की है. अगले वर्ष इनकी संख्या 150 तक पहुंचाने की योजना है.’’
गौरतलब है कि साल 2015 में नेपाल में आए भूकंप के बाद भूकंप के मामले बहुत बढ़ गए है. इस क्रम में भारत में भी पहले से ज्यादा भूकंप के कंपन महसूस किए जा रहे हैं. अगर हम सिर्फ इस साल की ही बात करें तो अंडमान एवं निकोबार, मणिपुर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड सहित दिल्ली-एनसीआर में भकंप के झटके महसूस किए जा चुके हैं.
(इनपुट एजेंसियों से भी)
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