नई दिल्ली:
कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर ने गुरुवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में एक अर्जी दायर कर निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी है। निचली अदालत ने उनके खिलाफ 1984 के सिख विरोधी दंगे से सम्बंधित एक मामले की फिर से सुनवाई करने का आदेश दिया है।
निचली अदालत ने 10 अप्रैल को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की मामला बंद करने सम्बंधी रिपोर्ट को खारिज करते हुए टाइटलर के खिलाफ मामले की दोबारा सुनवाई करने का आदेश दिया। सीबीआई ने टाइटलर को क्लीन चिट देते हुए कहा कि उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं है।
उच्च न्यायालय में दायर अपील में टाइटलर ने कहा है, "सुनवाई करने वाली अदालत का आदेश अपराध प्रक्रिया संहिता के विपरीत है। एक जांच एजेंसी द्वारा जांच के लिए अपनाई जाने वाली पद्धति और प्रणाली उस जांच एजेंसी का एकछत्र विशेषाधिकार होता है। अदालत जांच एजेंसी को यह निर्देश नहीं दे सकती कि उसे किस गवाह की गवाही दर्ज करनी है।"
29 वर्ष पुराने मामले से सम्बंधित मामले में निचली अदालत के आदेश को खारिज करने की मांग करते हुए टाइटलर ने अपनी अर्जी में दलील दी है, "कानून की स्थापित स्थिति यह है कि जांच का निर्देश केवल तभी दिया जा सकता है जब प्रथम दृष्टया कोई अपराध किया गया पाया जाए या एक व्यक्ति की संलिप्तता प्रथम दृष्टया स्थापित होता हो। लेकिन किसी व्यक्ति ने अपराध किया है या नहीं इसकी जांच का निर्देश कानूनी तौर पर नहीं दिया जा सकता।" टाइटलर की अपील पर शुक्रवार को सुनवाई संभव है।
निचली अदालत ने 10 अप्रैल को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की मामला बंद करने सम्बंधी रिपोर्ट को खारिज करते हुए टाइटलर के खिलाफ मामले की दोबारा सुनवाई करने का आदेश दिया। सीबीआई ने टाइटलर को क्लीन चिट देते हुए कहा कि उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं है।
उच्च न्यायालय में दायर अपील में टाइटलर ने कहा है, "सुनवाई करने वाली अदालत का आदेश अपराध प्रक्रिया संहिता के विपरीत है। एक जांच एजेंसी द्वारा जांच के लिए अपनाई जाने वाली पद्धति और प्रणाली उस जांच एजेंसी का एकछत्र विशेषाधिकार होता है। अदालत जांच एजेंसी को यह निर्देश नहीं दे सकती कि उसे किस गवाह की गवाही दर्ज करनी है।"
29 वर्ष पुराने मामले से सम्बंधित मामले में निचली अदालत के आदेश को खारिज करने की मांग करते हुए टाइटलर ने अपनी अर्जी में दलील दी है, "कानून की स्थापित स्थिति यह है कि जांच का निर्देश केवल तभी दिया जा सकता है जब प्रथम दृष्टया कोई अपराध किया गया पाया जाए या एक व्यक्ति की संलिप्तता प्रथम दृष्टया स्थापित होता हो। लेकिन किसी व्यक्ति ने अपराध किया है या नहीं इसकी जांच का निर्देश कानूनी तौर पर नहीं दिया जा सकता।" टाइटलर की अपील पर शुक्रवार को सुनवाई संभव है।
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जगदीस टाइटलर, सिख विरोधी दंगा, 1984 सिख विरोधी दंगा, हाईकोर्ट में केस, Jagdish Tytler, Anti Sikh Riots, 1984 Riots