
हर्षवर्धन ने एक ड्रोन का प्रोटोटाइप बनाया है जो बारूदी सुरंग का पता लगाती है
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हर्षवर्धन ज़ाला 10वीं में पढ़ते हैं, पिछले साल ड्रोन पर काम शुरू किया
ड्रोन के प्रोटोटाइप को आंशिक वित्त सहायता राज्य सरकार ने दी
ड्रोन की लागत करीब 5 लाख रुपये हैै
अहमदाबाद में हुए वायब्रेंट गुजरात समिट में हर्षवर्धन ने MoU पर हस्ताक्षर किए हैं. वह बताते हैं 'मैंने पहले तो बारूदी सुरंग का पता लगाने के लिए एक रोबोट बनाया था लेकिन मुझे लगा कि उसका वज़न ज्यादा होने की वजह से वो ब्लास्ट को ट्रिगर कर सकता है. इसलिए मैंने ड्रोन के बारे में सोचा जो एक उचित दूरी पर रहकर भी सुरंग का पता लगा पाएगा.' राज्य सरकार ने हर्ष के फायनल प्रोटोटाइप के आधे हिस्से को वित्त सहायता भी दी है. करीब पांच लाख की लागत वाले इस ड्रोन के कमर्शियल उत्पादन की संभावना पर अब विशेषज्ञ चर्चा करेंगे.
गुजरात काउंसिल ऑन साइंस एंड टैक्नॉलॉजी (GUJCOST) के प्रमुख डॉ नरोत्तम साहू का कहना है 'हर्षवर्धन के साथ MoU साइन हो गया है और आने वाले दिनों में गुजरात सरकार उनके साथ इस प्रोजेक्ट पर काम करेगी.' इस ड्रोन के बारे में बात करते हुए हर्षवर्धन कहते हैं कि एक बार इन्फ्रारेड सेंसर के जरिए ड्रोन, सुरंग का पता लगा लेगा, उसके बाद 50 ग्राम के डेटोनेटर उसे निष्क्रिय करने का काम करेगा.
ड्रोन की लागत पर बात करते हुए हर्ष ने दावा किया कि 'फायनल प्रोटोटाइप की लागत करीब 3.2 लाख थी और उसमें और सुधार किये जाएंगे तो लागत बढ़ जाएगी. लेकिन इसके बावजूद यह सेना में फिलहाल जो सिस्टम काम कर रहा है, उससे सस्ता ही होगा.' हर्षवर्धन के पिता अकाउंटेंट हैं और फिलहाल इस 14 साल के छात्र ने अपनी खुद की कंपनी खड़ी की है जिसका नाम है - एरोबैटिक्स 7 जिसकी और गैजेट बनाने की योजना है.
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