उम्र के 50वें और 60वें दशक में ज्यादा सामाजिक होने से बाद में डिमेंशिया (मनोभ्रम, विक्षिप्तता) होने का खतरा कम हो जाता है. एक नए शोध में इसका खुलासा हुआ है. यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के वरिष्ठ शोधकर्ता गिल लिविंग्स्टन ने कहा, "सामाजिक रूप से सक्रिय लोग याददाश्त और भाषा जैसे संज्ञानात्मक कौशलों में सक्रिय रहते हैं, जो उन्हें संज्ञानात्मक रूप से सक्रिय रखने में मदद करता है. हालांकि हो सकता है कि यह उनके मस्तिष्क में होने वाले बदलाव को ना रोक पाए, लेकिन संज्ञानात्मक रिजर्व लोगों को बढ़ती उम्र के प्रभावों से मुकाबला करने और डिमेंशिया के लक्षणों के सक्रिय होने को कुछ समय तक टालने में मदद कर सकता है."