Flavour Boosters: अपने किचन में शामिल करें ये 5 तरह की आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी

आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी को अपने रोज़ के खाने में शामिल कर कई स्वास्थ्य संबंधित फायदे उठा सकते हैं.

Flavour Boosters: अपने किचन में शामिल करें ये 5 तरह की आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी

नई दिल्ली:

जब भी हम खाना खाने टेबल पर बैठते हैं, तो खाने का स्वाद ही हमारी भूख को संतुष्ट कर पाता है। सिर्फ इसी वज़ह से कुछ मास्टर्स अपनी डिश बनाने और उसे एक नया स्वाद देने के लिए मसालों से लेकर जड़ी-बूटी और कई चीजों का इस्तेमाल कर रहे हैं।

आयुर्वेदिक कुकिंग में स्वाद बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसमें इस बात का भी ध्यान रखा जाता है कि खाने को सिर्फ स्वादिष्ट ही नहीं बने, बल्कि उसमें सभी सामग्री को एक साथ डालकर, किस प्रकार स्वास्थ्य को फायदा पहुंचाया जाए। हर सामग्री का अपना एक अलग गुण होता है, जिसके इस्तेमाल से आप शरीर को लाभ पहुंचा सकते हैं।

जड़ी-बूटी, एक तरह से स्वाद को निखारने और मज़ेदार बनाने के लिए इस्तेमाल में लाई जाती हैं। अगर यह जड़ी-बूटी किचन में देखने को मिले, तो शायद ही कोई कुक ऐसा होगा जो, मामूली डिश को ज़ायकेदार बनाने से चूकेगा। यह ऐसी जड़ी-बूटी हैं, जो खाने में जान डाल देने वाली हैं। आप इन्हें कई तरह से अपने खाने में शामिल कर सकते हैं। जैसे स्प्रिग (टहनी) को काटकर आप एक सामग्री की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं या पास्ता में डाल सकते हैं। इसके अलावा आप इससे करी और मिश्रण भी तैयार कर सकते हैं।

 

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तो चलिए आपको बताते हैं कुछ 7 तरह की आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी, जिनके इस्तेमाल से आप अपने खाने को एक नया स्वाद देने के साथ शरीर को स्वास्थ्य संबंधित कई फायदे दे सकते हैं। आइए बताते हैं इन्हें आप किस तरह अपने किचन में प्रयोग में ला सकते हैं।


कढ़ी पत्ता
साउथ इंडियन क्यूज़ीन की शान कढ़ी पत्ता सबसे ज़्यादा तीखे मीट, फ्राइड खाना समेत सांभर, रसम, उपमा, डोसा के भरावन मिश्रण और चटनी बनाने में इस्तेमाल किया जाता है। कई लोग तो इसे दाल में तड़का लगाने में भी शामिल करते हैं। इसका तीखा स्वाद, भारतीय मसालों के अलावा काली मिर्च के साथ बहुत बढ़िया होता है। खाना बनाते समय तेल में तड़का लगाने के लिए इसकी महक ही काफी होती है।

कढ़ी पत्ता में फाइबर, विटामिन्स, मिनरल्स, एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं। यह बल्ड शुगर लेवल और कोलेस्टेरॉल पर काबू रखकर, एनीमिया जैसी समस्या पर भी नियंत्रण रखता है।

तेजपत्ता
इस खुशबूदार पत्ते में कई आरोग्य गुण होते हैं। रसोई में यह दाल, करी, बिरयानी, राजमा और छोले के स्वाद को बढ़ाने के लिए प्रयोग में लाया जाता है। यह सूखा होता है। डिश में इसका हल्का स्वाद देने के लिए आप एक घंटे के लिए खाने को हल्की आंच पर रखकर छोड़ सकते हैं। यह खाया नहीं जाता, इसलिए डिश के बन जाने के बाद इसे निकालकर फेक दिया जाता है। मार्किट में इसकी ताज़ा पत्तियां भी उपलब्ध हैं। ऐसा कहा जाता है कि रात में ताजे तेजपत्ता को पानी में भिगोकर रखने और सुबह उसी पानी का सेवन करने से बल्ड शुगर लेवल पर नियंत्रण रखा जा सकता है।

तेजपत्ता, दालचीनी की तरह स्वाद में हल्का मीठा होता है। इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो कैंसर और गुर्दे में पथरी के लिए काफी लाभकारी होता है।

 

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पुदीना
पुदीना या मिंट अक्सर सभी के रसोईघर में मौजूद होता है। यह सिर्फ एक मेडिकल गुण रखने वाला ही नहीं, बल्कि डिश को अच्छा स्वाद देने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। भारतीय घरों में पुदीना चटनी, ज़्यादातर सभी तरह के खाने के साथ परोसी जाती है।


नाश्ते में ऑमलेट से लेकर परांठों के साथओ, दिन के खाने में चावल और दाल के साथ, सैंडविच बनाने के अलावा फ्राइड और तले हुए व्यंजनों के साथ यह चटनी पेश की जाती है। कई बार मिंट का ताज़ा स्वाद गर्मियों में जूस और ड्रिंक्स में भी शामिल किया जाता है। इसके अलावा यह तंदूरी ग्रिल्ड मीट डिश के साथ करी बनाने के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है।

पुदीना, पाचन क्रिया को सही कर, खांसी, ज़ुखाम, शरीर के दर्द और थकान को ठीक करने में मदद करता है। यह सबसे ज़्यादा मुंह की सफाई और एलर्जी को ठीक करने में लाभकारी है।

होली बासिल (तुलसी)
 


इटैलियन और थाई वैराइटी से अलग भारतीय तुलसी स्वाद में हल्की होती है। डिश जैसे सूप या स्टिर फ्राई खाने को हल्का तीखा स्वाद देने के लिए आप इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। यह जड़ी-बूटी एक तरह से पवित्र मानी जाती है। आयुर्वेद में इसे इसके कई तरह के चिकित्सिकीय गुणों की वज़ह से जाना जाता है, जैसे बुखार, ख़ांसी, ज़ुखाम, दिल के रोग, स्ट्रेस, स्किन इंफेक्शन, सिर दर्द आदि। ऐसा भी माना जाता है कि तुलसी डालकर बनाई गई चाय दिन की शुरुआत अच्छी करने के लिए काफी लाभकारी होती है। यह इम्युनिटी के साथ एनर्जी को भी बढ़ाती है।

घर पर कैसे बनाई जा सकती है तुलसी चाय
एक पैन में 11/2 कप पानी में 10 से 12 तुलसी की पत्ती डालकर उबाल लें। कप में छानकर ऊपर से ¼ नींबू के रस को डालें। सर्व करें।

 

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मेथी
यह जड़ी-बूटी आपको हर भारतीय रसोईघर में दिखाई देगी, लेकिन कई लोगों को इसका तेज़ और कड़वा स्वाद नहीं पसंद होता। यह सबसे ज़्यादा दाल, करी, स्टर फ्राई, चिकन डिश के अलावा परांठे में भरावन मिश्रण की तरह इस्तेमाल की जाती है। भारत में सबसे मशहूर डिश मेथी आलू है, जिसमें आलू के मीठे स्वाद में हरी मेथी के कड़वे स्वाद को डालकर पकाया जाता है।


मीट के दीवाने मैथी चिकन को बटर रोटी के साथ खाना ट्राई कर सकते हैं। गुजरात में थेपला भी काफी फेमस है, जिसे गेहूं के आटे, बेसन और मैथी की पत्तियों को मिलाकर बनाया जाता है। अक्सर लोग इसे मिर्च के आचार के साथ खाना पसंद करते हैं। मैथी की पत्ती, बाकी की सामग्री के साथ खाने के स्वाद को बराबर करने के लिए काम में लाई जाती है। आप डिश में ताज़ा और सूखी दोनों ही तरह की मेथी का इस्तेमाल कर सकते हैं।

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स्वास्थ्य संबंधित फायदों की अगर बात की जाए तो, मेथी, कोलेस्टेरॉल पर काबू रख, दिल की बीमारियों के साथ डायबिटीज़ पर नियंत्रण रखने में मदद करती है। इसमें मौजूद फाइबर, एंटी-ऑक्सीडेंट्स, विटामिन्स और मिनरल्स, पाचन क्रिया को ठीक करती है। ऐसा कहा जाता है कि खाने में एक छोटा चम्मच मेथी के बीज़ शामिल करने से एसिड रिफल्क्स को रोका जा सकता है।

 

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