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This Article is From Mar 09, 2016

वायु प्रदूषण से गर्भवती महिलाओं में बढ़ता जा रहा समयपूर्व प्रसव का खतरा

वायु प्रदूषण से गर्भवती महिलाओं में बढ़ता जा रहा समयपूर्व प्रसव का खतरा
नई दिल्ली: बढ़ते वायु प्रदूषण की वज़ह से लोग कई बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। इसके चलते खांसी, दमा, सांस लेने में परेशानी, अस्थमा जैसी कई समस्याओं के मरीज आए दिन बढ़ते ही जा रहे हैं।

नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के मुताबिक जिन गर्भवती महिलाओं को दमे की बीमारी है, उन्हें वायु प्रदूषण के कारण समय से पहले प्रसव (बच्चा पैदा होने में परेशानी उत्पन्न होना) का खतरा बढ़ सकता है।

गर्भधारण करने से तीन महीने पहले तक नाइट्रोजन ऑक्साइड के 30 हिस्से प्रति बिलियन ज़्यादा संपर्क में आने से, दमा से पीड़ित महिलाओं में यह खतरा 30 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। वहीं, बिना दमा वाली महिलाओं में इसके होने की संभावना आठ प्रतिशत होती है। इतने ही समय के लिए कार्बन मोनोऑक्साइड के संपर्क में आने से दमा पीड़ित महिलाओं में समयपूर्व प्रसव का खतरा 12 प्रतिशत अधिक हो जाता है। जबकि दूसरी महिलाओं पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

दमा पीड़ित गर्भवती महिलाओं के लिए आखिरी छह सप्ताह का समय भी काफी गंभीर होता है। अत्यधिक प्रदूषण वाले कणों जैसे एसिड, मेटल और हवा में मौजूद धूल के संपर्क में आना भी समयपूर्व प्रसव के खतरे को बढ़ावा देता है।
यह जानकारी ‘जरनल ऑफ एलर्जी एंड क्लीनिकल इम्यूनोलॉजी’ में ऑनलाइन प्रकाशित हुई है।
 

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के महासचिव डॉ. के. के. अग्रवाल ने कहा कि “दमा से पीड़ित गर्भवती महिलाओं को वायु प्रदूषण से बचने के लिए अत्यधिक प्रदूषण के समय घर से बाहर जाने से परहेज करना चाहिए। वहीं, उन्हें घर में भी वायु प्रदूषण को कम करने के उपाय खोजने चाहिए। आजकल मार्किट में कई तरह के विकल्प मौजूद हैं, जो हवा को साफ करने में मदद करते हैं”।

वायु प्रदूषण हमारी सांस प्रणाली को प्रभावित करता है, जिससे सांस लेने में परेशानी होती है। इससे दमा, ब्रॉन्काइटिस, फेफड़ों का कैंसर, टीबी और निमोनिया जैसे कई रोगों का खतरा बढ़ जाता है। वायु प्रदूषण से ओजोन लेयर को नुकसान पहुंचता है और यूवी किरणें धरती पर पहुंच कर स्किन कैंसर, आंखों और रोग प्रतिरोधक क्षमता को क्षति पहुंचा सकता है।

वायु प्रदूषण ग्रीनहाउस प्रभाव पैदा करता है, जिसके कारण धरती के वातावरण में गर्मी बढ़ती है। मौसम में बदलाव आने के साथ समुद्र का स्तर भी बढ़ रहा है। बढ़ते तापमान से पहाड़ों पर जमी बर्फ पिघल रही है और ऐसे में बाढ़ का खतरा भी बढ़ रहा है।

वायु प्रदूषण के चलते ख़ासतौर से गर्भवती महिलाओं को अपने और बच्चे दोनों का ध्यान रखना चाहिए। साथ ही घर में हवा साफ करने वाले यंत्रों को ज़रूर प्रयोग में लाना चाहिए।

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)

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