प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज किसानों को बड़ा तोहफा देने जा रहे हैं. वह यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गढ़ गोरखपुर में 'प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना' की शुरुआत करेंगे. इसके तहत प्रधानमंत्री 2000 रुपए की पहली किश्त देश के 12 करोड़ किसानों के खाते में जारी करेंगे. इस मौके पर वह किसानों के साथ मन की बात भी करेंगे. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले पीएम मोदी का यह कदम गेम चेंजर माना जा रहा है. हालांकि इस योजना की राह में रुकावटें भी कम नहीं हैं. फरवरी में बजट सत्र के दौरान सरकार ने 12 करोड़ गरीब किसानों को साल में 6000 रुपये देने का ऐलान किया था, जिसका प्रस्तावित खर्च 75 हजार करोड़ है. मगर प्रधानमंत्री मोदी द्वारा रविवार को उत्तर प्रदेश के एक मेगा इवेंट के दौरान पहली किश्त के रूप में लगभग 1.7 करोड़ किसानों को प्रधानमंत्री किसान योजना के तहत राशि वितरित की जाएगी. ऐसे में सवाल उठता है कि जब पहली किश्त में महज 1.7 करोड़ किसानों को ही इसका फायदा मिलेगा, तो सरकार 12 करोड़ किसानों के लक्ष्य को कैसे पूरा करेगी, क्योंकि मार्च के पहले सप्ताह में आचार संहिता के लागू होने की भी उम्मीद है.
क्या किसान बनेंगे चुनाव में गेम चेंजर?
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों को बड़ा तोहफा देने जा रहे हैं. पीएम मोदी रविवार को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में एक मेगा इवेंट के दौरान पहली किश्त के रूप में लगभग 1.7 करोड़ किसानों को प्रधानमंत्री किसान योजना के तहत राशि वितरित करेंगे.
- मोदी सरकार ने अंतरिम बजट में किसानों को लेकर बड़ा फैसला लिया था. सरकार ने किसानों के लिए 'प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना' की घोषणा की थी. इस योजना के तहत देश के 12 करोड़ किसानों को उनकी फसल के लिए सालाना 6 हजार रुपये दी जाएगी.
- आपको बता दें कि किसानों को सरकार द्वारा दिए जाने वाले 6000 रुपये 3 किश्तों में अकाउंट में सीधे ट्रांसफर किए जाएंगे. इस योजना का लाभ उन किसानों को मिलेगा जिनके पास दो हेक्टेयर या उससे कम जमीन है. योजना की पहली किश्त की धनराशि रविवार को वितरित की जाएगी.
- योजना की शुरुआत करने से पहले पीएम मोदी ने शनिवार को एक ट्वीट किया. उन्होंने कहा कि रविवार का दिन ऐतिहासिक है. 'प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना' की शुरुआत गोरखपुर से होगी. यह एक ऐसी योजना है जो भारत के उन करोड़ों मेहनती किसानों की आकांक्षाओं को पंख देगी जो हमारे देश का भरण पोषण करते हैं.
- रविवार को जारी होने वाली पहली किश्त के बाद देश में आम चुनाव होने हैं. चुनाव से ठीक पहले सरकार के इस कदम से सीधा किसानों को लाभ होगा. सरकार का तोहफा वोट में कितना तब्दील होगा, ये तो चुनाव के बाद नतीजे ही बताएंगे. लेकिन उससे पहले मोदी सरकार के इस कदम को गेमचेंजर माना जा रहा है.
- आपको बता दें किसानों की नाराजगी बीजेपी को भारी पड़ी है और हाल ही में मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में मिली हार की एक वजह भी रही है. ऐसे में सरकार एक बार फिर किसानों को अपने पाले में लाने के लिए ये बड़ा दांव चली है.
- हालांकि इस योजना की राह में चुनौतियां भी हैं. दरअसल, सरकार ने 12 करोड़ किसानों को इस योजना का लाभ मिलने की बात कही थी, लेकिन पहली किश्त में महज 1.7 करोड़ किसानों को ही इसका फायदा मिलेगा. ऐसे में सवाल है कि सरकार 12 करोड़ किसानों के लक्ष्य को कैसे पूरा करेगी, क्योंकि मार्च के पहले सप्ताह में आचार संहिता के लागू होने की भी उम्मीद है.
- ऐसे में सरकार की इस योजना पर चुनाव आयोग का डंडा चल सकता है और 12 करोड़ का आंकड़ा सरकार छूने में असफल रह सकती है. क्योंकि आचार संहिता आम तौर पर केवल पहले से चल रही योजनाओं के फंड के हस्तांतरण की ही अनुमति देती है और नई योजनाओं के लिए किसी तरह के पैसे और फंड के ट्रांसफर की अनुमति नहीं देती है.
- NDTV को मिले दस्तावेजों और उसकी समीक्षा के आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि जिस अनुपात में लाभार्थियों के सबमिशन आए हैं, उसमें से रिजेक्शन की दर काफी अधिक है. यानी किसानों की सबमिशन एंट्री में काफी रिजेक्शन देखने को मिले हैं और यह रिजेक्शन डाटा की क्वालिटी पर भी सवाल उठाते हैं.
- एक और सरकार जहां इस योजना को लेकर अपना पीठ थपथपा रही है तो वहीं कांग्रेस सरकार पर हमला करने का कोई मौका नहीं छोड़ रही है. इस योजना के ऐलान होते ही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सीधे सरकार पर हमला बोला था. उन्होंने रोजाना 17 रुपये किसानों को देने वाले सरकार के फैसले को किसानों का अपमान बताया.