इस्लामाबाद में अपने बेटे कुलभूषण जाधव से मिलने के एक दिन बाद उनकी मां और पत्नी ने मंगलवार को दिल्ली में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मुलाकात की. जाधव कथित जासूसी के मामले में पाकिस्तान में जेल में हैं और उन्हें वहां की एक अदालत ने फांसी की सजा सुनाई हुई है. मुलाकात के दौरान सुषमा स्वराज के आवास पर विदेश सचिव एस. जयशंकर और विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार, जाधव की मां अवंती और पत्नी चेतानकुल के साथ थे. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने बताया कि कुलभूषण जाधव की मां और पत्नी कल उनसे इस्लामाबाद में मिलीं. भारत की ओर से परिवार को मिलने देने के अनुरोध के बाद ये मुलाक़ात हुई. बैठक से पहले इसके तौर-तरीक़े तय करने के लिए कूटनीतिक स्तर पर दोनों सरकारें संपर्क में थीं. दोनों पक्षों में समझ साफ़ थी कि और भारतीय पक्ष अपनी प्रतिबद्धता पर अडिग रहा, लेकिन हमें खेद के साथ कहना पड़ रहा है कि पाकिस्तान ने कुछ इस तरह बैठक की जिसमें इस समझ का उल्लंघन हुआ.
भारत ने पाकिस्तान पर लगाए ये 10 आरोप
हमें इस बात का भी खेद है कि जो भरोसा दिलाया गया उसके ख़िलाफ़, पूरी बैठक का कुल माहौल कम से कम परिवार के लोगों के लिए डराने वाला था. हालांकि परिवार के सदस्यों ने हालात का बहुत हौसले और दृढ़ता से सामना किया.
बैठक के बाद मिले फीडबैक से लगता है कि जाधव बहुत तनाव में थे और ज़ोर-जबरदस्ती के बीच बोल रहे थे. उनकी ज़्यादातर टिप्पणियां जैसे उन्हें सिखाई गई थीं और उनका मक़सद पाकिस्तान में उनके कथित गतिविधियों की झूठी कहानी को आगे बढ़ाना था.
पाकिस्तान ने सुरक्षा के नाम पर जाधव के परिवार की सांस्कृतिक और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाया गया है. उनका मंगलसूत्र, बिंदी और चूड़ियां उतरवाई गई. साथ ही उनके कपड़े भी बदलवाए गए.
भारत बड़े दुख के साथ यह बता रहा है कि पाकिस्तान ने जिस प्रकार कुलभूषण जाधव और उनके परिवार के बीच मुलाकात करायी, वह इस्लामाबाद द्वारा हमारी परस्पर समझ के सिद्धांतों का उल्लंघन है.
अंतरराष्ट्रीय मानक के अनुरूप नहीं हुई जाधव की मां-पत्नी से मुलाकात.
पाकिस्तान के प्रेस को कई अवसरों पर परिवार के सदस्यों के क़रीब जाने की इजाज़त दी गई. उन्होंने उन्हें तंग किया, उनका पीछा किया और जाधव को लेकर झूठे इल्ज़ाम लगाए, जबकि ये समझ साफ़ थी कि मीडिया को क़रीब आने नहीं दिया जाएगा.
जाधव की मां को अपनी मातृभाषा में बोलने से रोका गया- हालांकि ये बातचीत का सहज माध्यम थी. उन्हें बार-बार ऐसा करने से रोका गया और आख़िरकार आगे कार्यवाही से अलग कर दिया गया.
शुरू में उप उच्चायुक्त को परिवार के सदस्यों से अलग कर दिया गया जिन्हें उनको सूचित किए बिना बैठक के लिए ले जाया गया.
भारत के उप उच्चायुक्त मौजूदगी के बिना बैठक शुरू कर दी गई और संबद्ध अधिकारियों के सामने मामला रखने के बाद ही वो जुड़ सके. तब भी उन्हें एक अलग पार्टीशन में रखा गया और उन्हें बैठक में उस तरह शामिल नहीं होने दिया गया जिस तरह सहमति बनी थी.
किसी अनजानी वजह से, लगातार अनुरोध के बावजूद बैठक के बाद भी जाधव की पत्नी के जूते वापस नही किए गए. इस मामले में हम किसी शरारतपूर्ण मक़सद को लेकर सावधान हैं.