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'उड़ता पंजाब' पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने सेंसर बोर्ड से कहा- दादी ना बनें और वक्त के हिसाब से बदलें

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फिल्म 'उड़ता पंजाब' के एक दृश्य में मुख्य अभिनेता शाहिद कपूर
मुंबई:

बांबे हाई कोर्ट ने फिल्‍म उड़ता पंजाब को महज एक कट के साथ पास करने का आदेश सेंसर बोर्ड को दिया है। कोर्ट में बहस के दौरान पक्ष-विपक्ष की दलीलें सुनने के दौरान अदालत ने जो टिप्‍पणियां की, उनको यहां सिलसिलेवार ढंग से पेश किया जा रहा है...

बॉम्बे हाईकोर्ट की कुछ खास टिप्पणियां
  1. अदालत ने कहा कि फ़िल्म की स्क्रिप्ट और नाम में ऐसा कुछ भी नहीं कि देश की एकता या संप्रभुता को चोट पहुंचे।
  2. उसने सेंसर बोर्ड से कहा कि वह दादी जैसा ना बनें और वक्त के हिसाब से खुद से बदलें
  3. फ़िल्म में ड्रग्स की लत को हाईलाइट किया गया है। जितनी आसानी से ड्रग उपलब्ध है और इसे रोकने के लिए तैनात किए लोग अपना काम सही से नहीं कर पा रहे हैं, वो चिंता का विषय है। फ़िल्म के सभी क़िरदार इस समस्या को बखूबी पेश करते हैं।
  4. फ़िल्म से सीन हटाने के पीछे बोर्ड का मक़सद फ़िल्म मेकिंग पर पाबंदी लगाना नहीं, उसका उद्देश्य समाज को ध्यान में रखकर फ़ैसला लेना है।
  5. बोर्ड को ये आश्वस्त करना होगा कि ड्रग का गुणगान करने वाले दृश्य ना दिखाए जाएं, संवेदनशील मुद्दों को भड़काया ना गया हो और दोहरे मतलब वाली बातों को बढ़ावा ना दिया गया हो।
  6. कोर्ट ने कहा हर संवाद में गालियों की ज़रूरत नहीं, इसलिए गालियों के हक़ में दलीलें सही नहीं।
  7. कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने ड्रग का मुद्दा चुना है और पंजाब में ये समस्या ज़्यादा है तो इसमें कुछ ग़लत नहीं है। युवाओं को ध्यान में रखकर रॉकस्टार का क़िरदार चुना गया है।
  8. फ़िल्म किसी असल कहानी पर आधारित नहीं। ये एक रॉकस्टार के पतन की दास्तां दिखाती है जो काल्पनिक है। अगर फ़िल्म निर्माता किसी समस्या को उठाना चाहते हैं तो उसमें दखल देने का अधिकार किसी को नहीं है जब तक कि रचनात्मकता की आज़ादी का दुरुपयोग नहीं होता।
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