
कई मंदिरों, देवालयों और चर्चों में नए साल के दिन विशेष तरह की तैयारियां होती हैं.
न्यू ईयर का नाम सुनते ही मन में पार्टी, रेस्तरां या फिर किसी हिल स्टेशन का नाम ही जहन में आता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि बार और रेस्तरां के अलावा मंदिरों और धार्मिक स्थलों में भी न्यू ईयर के दिन अच्छी खासी भीड़ होती है. हजारों लोग ऐसे भी हैं जो अपना नया साल भगवान के दरबार से शुरू करने की इच्छा रखते हैं. हालांकि ज्यादातर युवा इस दिन दोस्तों के साथ पार्टी के मूड में होते हैं, लेकिन कुछ युवा परिवार के साथ मंदिरों में जाकर पूजा अर्चना करने में विश्वास रखते हैं. अभी तक आपने काफी जगह यह पढ़ा और देखा होगा कि न्यू ईयर के दिन कैसे पार्टी होती है कहां कितनी भीड़ होती है, लेकिन यहां हम आपको बता रहे हैं कि न्यू ईयर के दिन मंदरों में कैसा माहौल होता है.
31 दिसंबर को विशेष पूजा: नया साल शुरू होने से पहले ही कई लोग विशेष पूजा की तैयारी में जुट जाते हैं. 31 दिसंबर की शाम से तैयारियां शुरू हो जाती हैं. रात को 12 बजते ही भगवान को भोग आदि चढ़ाकर नया साल मनाया जाता है. इसके अलावा मंत्रों के उच्चारण के साथ आरती भी की जाती है.
नए साल में सुख समृद्धि की कामना: इस दिन लोग मंदिरों में इसलिए भी जाना पसंद करते हैं क्योंकि कहते हैं कि साल के पहले ही दिन भगवान की पूजा अर्चना करने से पूरा साल अच्छा गुजरता है. लोग भगवान से नए साल में अपने लिए सुख समृद्धि आदि की कामना करते हैं.
मंदिरों और चर्चों में खास तैयारी: कई मंदिरों, देवालयों और चर्चों में नए साल के दिन विशेष तरह की तैयारियां होती हैं. इस दिन यहां पर कई तरह के भोग बनाए जाते हैं. कई जगह गाजर का हलवा, बूंदी के लड्डू और पेड़े आदि का प्रसाद भी तैयार किया जाता है. नया साल शुरू होते ही घंटियों का बजना और शंखनाद शुरू होता है. इसके अलावा चर्चों में इस दिन नाइट वॉच सर्विस और होली सर्विस होती है. इसके बाद सुबह होते ही नए साल का जश्न भी मनाया जाता है.
युवा भी लेते हैं बढ़ चढ़कर हिस्सा: कई युवा न्यू ईयर पर किसी पार्टी में जाने की जगह परिवार के साथ मंदिर और किसी धार्मिक स्थल पर जाना पसंद करते हैं. ऐसा नहीं है कि इन युवाओं की तादात काफी कम है, बल्कि आज इस बदलते दौर में भी पूजा आराधना करने वाले युवक युवतियों की संख्या अच्छी खासी और ये सभी मिलकर न्यू ईयर के दिन भजन आदि का भरपूर आनंद लेते हैं.
31 दिसंबर को विशेष पूजा: नया साल शुरू होने से पहले ही कई लोग विशेष पूजा की तैयारी में जुट जाते हैं. 31 दिसंबर की शाम से तैयारियां शुरू हो जाती हैं. रात को 12 बजते ही भगवान को भोग आदि चढ़ाकर नया साल मनाया जाता है. इसके अलावा मंत्रों के उच्चारण के साथ आरती भी की जाती है.
नए साल में सुख समृद्धि की कामना: इस दिन लोग मंदिरों में इसलिए भी जाना पसंद करते हैं क्योंकि कहते हैं कि साल के पहले ही दिन भगवान की पूजा अर्चना करने से पूरा साल अच्छा गुजरता है. लोग भगवान से नए साल में अपने लिए सुख समृद्धि आदि की कामना करते हैं.
मंदिरों और चर्चों में खास तैयारी: कई मंदिरों, देवालयों और चर्चों में नए साल के दिन विशेष तरह की तैयारियां होती हैं. इस दिन यहां पर कई तरह के भोग बनाए जाते हैं. कई जगह गाजर का हलवा, बूंदी के लड्डू और पेड़े आदि का प्रसाद भी तैयार किया जाता है. नया साल शुरू होते ही घंटियों का बजना और शंखनाद शुरू होता है. इसके अलावा चर्चों में इस दिन नाइट वॉच सर्विस और होली सर्विस होती है. इसके बाद सुबह होते ही नए साल का जश्न भी मनाया जाता है.
युवा भी लेते हैं बढ़ चढ़कर हिस्सा: कई युवा न्यू ईयर पर किसी पार्टी में जाने की जगह परिवार के साथ मंदिर और किसी धार्मिक स्थल पर जाना पसंद करते हैं. ऐसा नहीं है कि इन युवाओं की तादात काफी कम है, बल्कि आज इस बदलते दौर में भी पूजा आराधना करने वाले युवक युवतियों की संख्या अच्छी खासी और ये सभी मिलकर न्यू ईयर के दिन भजन आदि का भरपूर आनंद लेते हैं.
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