कांग्रेस के वरिष्ठ नेता किशोर चंद्र देव ने अपनी पार्टी की मौजूदा हालत के संदर्भ में कहा है कि अगर राहुल गांधी ने उपाध्यक्ष बनने के बाद किए गए आधे वायदों को भी पूरा कराया होता तो कांग्रेस की यह दुर्दशा नहीं होती।
पांच बार सांसद रहने के बाद इस बार लोकसभा चुनाव में हार गए निवर्तमान केंद्रीय मंत्री देव ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी से इस बात पर आत्ममंथन करने को कहा।
उन्होंने कहा, सबसे बड़ी पुरानी पार्टी को जड़ों से कटे और दूसरों के सहारे बढ़ने वाले नेताओं के चंगुल से बचाने की जरूरत है, जिन्होंने दो दशक से अधिक समय से पार्टी पर अधिकार जमा रखा है और पार्टी को इस स्थिति में पहुंचा दिया है।
देव ने पीटीआई को दिए साक्षात्कार में कहा कि राहुल गांधी ने जयपुर में उपाध्यक्ष बनने के बाद संगठन के बदलाव पर काफी कुछ कहा था। अगर पार्टी उसमें से 50 प्रतिशत पर निर्णय ले लेती, तो यह हालात नहीं बनते। उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टी और उसके नेतृत्व पर एक-दो दर्जन लोगों का कब्जा है। उन्होंने कहा कि राहुल के साथ प्रियंका गांधी को भी कांग्रेस को इन बंधनों से मुक्ति दिलाने के लिए काम करना चाहिए।
आदिवासी मामलों के मंत्री ने कहा कि महंगाई और घोटालों के चलते कांग्रेस नीत गठबंधन पर साख का संकट पैदा हो गया था। पार्टी और सरकार अपनी कथनी और करनी से इन मुद्दों पर हो रहे दुष्प्रचार का प्रभावी तरीके से जवाब नहीं दे सके। सीमांध्र में पार्टी की स्थिति पर गंभीर आरोप लगाते हुए देव ने कहा, कांग्रेस को राजनीतिक रूप से जगन, वाईएसआर कांग्रेस और उनके एक गुट को गिरवी रख दिया गया और लगभग बेच ही दिया गया।
पार्टी में पूरी तरह कुप्रबंधन का आरोप लगाते हुए देव ने कहा कि जहां राजनीतिक स्थिति की समझ खराब रही, वहीं राज्य के एक कांग्रेस प्रभारी ने कांग्रेस अध्यक्ष को गलत जानकारी भी दी। उन्होंने कहा कि प्रभारी द्वारा अनेक मुद्दों पर पार्टी अध्यक्ष को भेजे गए नोट्स का भी असर नहीं पड़ा।
देव के मुताबिक आम धारणा बहुत नकारात्मक थी। आम धारणा यह रही कि कांग्रेस इस विश्वास के साथ वाईएसआर कांग्रेस के सामने से हट गई कि बाद में जगनमोहन रेड्डी को समझा लेंगे, लेकिन इन चीजों से मदद नहीं मिली। उन्होंने कहा कि सीमांध्र में कांग्रेस ने चुनाव लड़ने से पहले ही हार स्वीकार कर ली थी।
उन्होंने कहा कि इसी वजह से कई विधानसभा क्षेत्रों में कमजोर उम्मीदवार खड़े किए गए और एआईसीसी से मिलने वाली आर्थिक मदद भी बहुत कम थी। कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में सीमांध्र क्षेत्र में 25 में से एक भी सीट पर जीत नहीं मिली और विधानसभा चुनावों में भी उसका प्रदर्शन खराब रहा। कांग्रेस नेता ने कहा कि केरल और कर्नाटक में पार्टी के अच्छे मुख्यमंत्री हैं और उन्होंने बेहतर नतीजे दिए हैं। लोकसभा में कांग्रेस की कुल 44 सीटों में से कर्नाटक में नौ और केरल में आठ हैं।
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