प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के सम्मान में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बुधवार की रात विदाई भोज दिया जिसमें उनकी काफी प्रशंसा की गई। इस रात्रिभोज में पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी को छोड़कर अनेक पार्टी नेता और केंद्रीय मंत्री शामिल हुए। राहुल के अनुपस्थित रहने को लेकर राजनैतिक भृकुटियां तन गईं हैं।
सोनिया के आवास 10, जनपथ पर पार्टी ने 81 वर्षीय सिंह को 10 वर्ष तक कांग्रेस नीत सरकार की अगुवाई करने के आभार स्वरूप भोज दिया।
इसी हफ्ते पद छोड़ रहे मनमोहन सिंह को इस मौके पर कांग्रेस के शीर्ष नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों के हस्ताक्षर वाला स्मृति-चिह्न भेंट किया गया और पल्लम राजू ने इस पर प्रधानमंत्री के सम्मान और प्रशंसा में लिखे शब्दों को पढ़ा।
रात्रिभोज में सिंह अपनी पत्नी गुरशरण कौर के साथ उपस्थित हुए। उन्हें गुलदस्ता भेंट किया गया। इस दौरान पार्टी के नेता उन दोनों तथा सोनिया गांधी के साथ तस्वीर खिंचाने के लिए उत्साहित दिखे।
हालांकि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी रात्रिभोज में नहीं दिखाई दिए। पीएमओ सूत्रों ने देर रात बताया कि राहुल ने शनिवार को यह कहने के लिए प्रधानमंत्री से मुलाकात की थी कि वह शहर में नहीं रहेंगे और उन्होंने पहले ही उनका शुक्रिया अदा किया है।
ऐसी अटकलें हैं कि राहुल विदेश यात्रा पर गए हैं और शुक्रवार को लोकसभा चुनावों की मतगणना शुरू होने से पहले वापस आ जाएंगे।
यह पूछे जाने पर कि राहुल ने रात्रिभोज में हिस्सा क्यों नहीं लिया तो केंद्रीय मंत्री कमलनाथ ने कहा कि उन्हें इसके कारणों का पता नहीं है। उन्होंने कहा, 'मुझे नहीं पता कि उन्होंने क्यों हिस्सा नहीं लिया।' राहुल की अनुपस्थिति के बारे में जब एक और केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह से पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इसपर राजनीति की जा रही है।'
केंद्रीय मंत्री राजीव शुक्ला ने कहा, 'सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री को सम्मानित किया और उन्हें एक प्रशस्ति पत्र भेंट किया। विदाई समारोह में कोई भाषण नहीं दिया गया।' अर्थशास्त्री से नेता बने मनमोहन सिंह ने जनवरी में संन्यास की घोषणा करते हुए कहा था कि वह तीसरे कार्यकाल की दौड़ में नहीं हैं।
राज्य मंत्री जे डी सीलम ने कहा, 'प्रधानमंत्री का शुक्रिया अदा करने के लिए इस रात्रिभोज का आयोजन किया गया था और हम सबने उन्हें संप्रग सरकार के पिछले 10 वषरें में दिए गए महान योगदान के लिए उन्हें बधाई दी।' पार्टी ने कल ही सरकार के कुशल प्रबंधन के लिए सिंह की तारीफ की थी और इस बात को रेखांकित किया था कि उन्होंने कठिनाइयों में भी देश का नेतृत्व किस तरह किया।
एआईसीसी ने कल कहा था, 'सिंह का अनुभवी प्रबंधन, उनकी व्यक्तिगत सत्यनिष्ठा और कठिन समय में देश का नेतृत्व करने की क्षमता उल्लेखनीय है और भारत को 10 साल की अवधि में इतने सम्मान और प्रशस्ति मिलने पर गर्व है।' सोनिया गांधी समेत पार्टी के नेताओं ने अकसर संप्रग-1 और संप्रग-2 के कार्यकाल में सिंह के कामकाज की प्रशंसा की है।
सिंह लोकसभा चुनाव के परिणामों की घोषणा के एक दिन बाद 17 मई को पद छोड़ देंगे।
उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में दूसरे कार्यकाल के लिए 22 मई, 2009 को पद संभाला था और उन्हें जवाहरलाल नेहरू तथा इंदिरा गांधी के बाद तीसरी सबसे लंबे समय तक चलने वाली सरकार का अगुवा होने का गौरव भी प्राप्त है।
राजनीति में आने से पहले आरबीआई के गवर्नर रह चुके सिंह ने 1991 में सियासी रास्ता अपनाया और तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव ने उन्हें वित्त मंत्री की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी थी। सिंह को भारत में आर्थिक सुधारों का जनक भी कहा जाता है।
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