बीजेपी की मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार भले ही दूसरे विधानसभाओं में अभी प्रचार शुरू नहीं कर पाई हो, लेकिन अपनी कृष्णा नगर विधानसभा में जरूर पसीना बहा रही हैं। हालांकि बीजेपी की रणनीति 27 जनवरी के बाद चुनाव प्रचार को तेज़ करने की है।
किरण बेदी के रोड शो और नरेंद्र मोदी की कम से कम पांच रैली होनी है। लेकिन अरविंद केजरीवाल की तरह टीम अन्ना की सदस्य रह चुकीं किरण बेदी को बाखूबी मालूम है कि जब कैमरों की भीड़ उनका पीछा कर रही हो, तो उन्हें क्या करना चाहिए। बीजेपी ने उन्हें दिल्ली विधानसभा में मुख्यमंत्री के तौर पर पेश किया, कृष्णा नगर जैसी विधानसभा सीट उन्हें दी गई है, ताकि उन्हें जीतने के लिए अपने ही विधानसभा में दिन-रात एक ना करना पड़े। लेकिन किरण बेदी है कि मानती नहीं, सुबह सात बजे ही वह साउथ दिल्ली के पॉश इलाके उदय पार्क से अपनी काली होंडा सिटी कार से कृष्णा नगर की संकरी गलियों में पहुंचती हैं, जहां आरएसएस का पुराना काडर और वहां की पार्षद उनकी अगुवाई करती हैं।
कार चलाने वाले उनके पुराने सहयोगी राम प्रसाद कार सुरक्षित जगह कार को पार्क कर देते हैं। फिर वह पैदल ही कृष्णा नगर की कीचड़भरी गलियों में गुम हो जाती हैं। मुट्ठी भर भाजपाइयों के नारे के साथ वह हाथ जोड़े, चेहरे पर सौम्यता भरी मुस्कान लिए लोगों से अपने लिए वोट मांगती हैं। उनके पीछे पचासों कैमरे उनके बेहतर शाट्स के लिए दाएं-बाएं भाग रहे हैं। रिपोर्टर उनसे टिकटैक करने के लिए परेशान हैं।
किरण बेदी अचानक छोटे से बच्चे को ले जा रहे एक पिता की बाइक को रोक लेती है। बच्चे के हाथ में तिरंगा था वह उसे पुचकारती है, लेकिन तभी बच्चा रोने लगता है। कैमरे के फुटेज के लिहाज से यह अच्छा नहीं है। वह बच्चे को फिर भी पुचकारती रहती है, जब तक बच्चा चुप नहीं हो जाता है।
उनका काफिला अब कृष्णा नगर में साउथ अनार कली की गली नंबर 8 में चला जाता है। गलियां और संकरी हो जाती है। तभी उन्हें एक रिक्शा दिखता है, वह रिक्शे पर सवार हो जाती हैं। फुटेज अच्छा है कैमरों की भीड़ जमा हो जाती है। कुछ कार्यकर्ता भुनभुनाते हैं, मीडिया वाले ही घेरे हैं, हमसे तो बात ही नहीं हो पाई। दुकान पर खड़ा एक लड़का चिल्लाता है हमारे इलाके की हैं, मुख्यमंत्री पद की दावेदार हैं। मीडिया वाले तो भागेंगे ही।
दस मिनट रिक्शे पर बैठकर फिर वह उसे सौ का नोट थमाती है। कैमरे पीछे रह जाते हैं और वह आगे बढ़ जाती हैं। वह कहती है कि मुझे ऐसे ही अच्छा लगता है चुनाव प्रचार करने के लिए। वह बात करते हुए जिंदल साहब के घर में दाखिल हो जाती है, जहां सैकड़ों कार्यकर्ता उनसे मिलने के लिए बैठे हैं।
यह वहीं दफ्तर है जहां पिछली बार डॉ. हर्षवर्द्धन ने चुनाव लड़ा था। इसी दफ्तर के बगल के घर में खड़ी सविता जैन कहती हैं उन्हें देखने और मिलने का मन है, लेकिन लोग इतना घेरे रहते हैं कि दूर से देख लूं यही ठीक है। किरण बेदी कार्यकर्ताओं से बात कर रही थी, तभी उनके ड्राईवर ने वक्त देखा और कुछ देर बाद उनकी कार दफ्तर के सामने खड़ी हो गई, पीछे दिल्ली पुलिस की हूटर बजाती इनोवा भी। आधे घंटे कार्यकर्ताओं से मिलकर वह कार में बैठकर पंत मार्ग दफ्तर पहुंच गई।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं