नमस्कार... मैं रवीश कुमार। था तो स्वागत समारोह, लेकिन किरण बेदी ने इसे लेक्चर समारोह में बदल दिया। उनके भाषण से लगा कि वह सिर्फ मुखौटा बनने नहीं आईं हैं। उन्होंने बीजेपी के कार्यकर्ताओं को सामाजिक क्रांति लाने का कार्यक्रम भी दे दिया और कहा कि अब से बीजेपी का एक-एक कार्यकर्ता समाज सुधारक बनेगा।
किरण बेदी ने अपने 6पी के साथ सामाजिक क्रांति का आह्वान कर दिया। इसीलिए कहा कि स्वागत समारोह लेक्चर समारोह बन गया। पीपीटी (पॉवर प्वाइंट प्रजेंटेशन) की शैली में 6पी का मतलब इस तरह समझाया।
पहला पी है पेरेंट- जो अपने बेटे बेटियों पर नज़र रखेंगे। बेटा बेटी में भेदभाव नहीं करेंगे। बेटी को बहादुर बनाए और बेटे को समझदार।
दूसरा पी है प्रिंसिपल - जो स्कूलों में मूल्य देंगे जिससे बिगड़ा हुआ लड़का भी सुधर जाए।
तीसरा पी है प्रीचर - यानी पुरोहित, मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे और चर्च के प्रधान महिला सुरक्षा को लेकर संदेश दें।
अगर ये तीनों काम करें तो इससे अस्सी प्रतिशत समस्या समाप्त हो जाएगी। बेदी ने महिला सुरक्षा के मसले पर समाधान का फार्मूला दे दिया है। उन्होंने कहा कि पुलिस सुरक्षा नहीं कर सकती। कचहरी नहीं कर सकती, अपने आस-पास की जिम्मेवारी लें। आस-पास घंटी बजाएं। आम आदमी पार्टी ने भी महिला कमांडो तैयार करने का फॉर्मूला दिया था। तो देखते हैं कि दिल्ली वाले घंटी बजाने का फार्मूला चुनते हैं या कमांडो का।
किरण बेदी ने कार्यकर्ताओं को खूब सुनाया भी कि कैसे बात सुनी जाती है। यहां तक कह दिया कि साथियों आपको एंटरटेनमेंट चाहिए तो बाहर चले जाए। साफ है उन्होंने पहले ही भाषण से बीजेपी पर अपना अधिकार जमा लिया या जता दिया कि किरण बेदी ऐसी ही हैं। अभी दो पी और बचे हैं।
चौथा पी हुआ पोलिटिशियन - उन्होंने नेताओं से कहा कि आप पब्लिक लाइफ में हैं, चुन कर आएंगे तो क्या करेंगे? एंटी विमेन यानी महिला विरोधी शब्दों का इस्तमाल न करें। ऐसे बयानों का बचाव नहीं किया जाएगा। इसकी आदत डालनी पड़ेगी।
पांचवा पी हुआ पुलिस - जो जांच और अपराध रोकने का काम ठीक से करेगी।
अब यह साफ नहीं है कि किरण बेदी ने बीजेपी के कुछ सांसदों, विश्व हिन्दू परिषद के नेताओं को संदेश गया है या नहीं। लेकिन इस एक पी के सहारे उन्होंने अपने ऊपर लग रहे आरोपों पर अपना स्टैंड ज़रूर साफ किया कि वे ऐसे बयान बर्दाश्त नहीं करेंगी। ऐसा लग रहा था कि वे एक सामान्य कार्यकर्ता, चेहरा की तरह नहीं बीजेपी अध्यक्ष या मुख्यमंत्री के उम्मीदवार के तौर पर बोल रही हैं। इस हद तक अधिकार से बोल रही थी कि एक बार ये भी कहा कि आंदोलन करोगे या करवाना पड़ेगा।
किरण बेदी ने सीएमओ यानी मुख्यमंत्री कार्यालय का खाका भी बता दिया कि वह कैसा होगा। उन्होंने कहा कि सीएमओ इन्हीं पांच पी का केंद्र होगा। सरकार इन पांच पी से काम करवाएगी। एक दिन सचिवालय में अफसरों-मंत्रियों के साथ आम लोगों से मिलेंगी। बेदी ने इसे पीएम मोदी का गुड प्रैक्टिस बताया।
इस तरह की बात आम आदमी पार्टी ने भी की थी, लेकिन एक दिन इतने लोग आ गए कि मुख्यमंत्री रहते हुए केजरीवाल को कार्यक्रम ही रद्द करना पड़ा।
किरण बेदी ने कहा कि दिल्ली में टकराव होता है तो नुकसान होता है। हमने इस एक साल में गर्वनेंस खोया है। पर उन्होंने यह नहीं बताया कि इस एक साल में कसम गर्वनेंस के नाम पर चुनाव क्यों नहीं हुए।
ऐसा नहीं था कि वह सिर्फ लेकचरर की तरह ही बोल रही थीं। उनके भीतर का एक नेता भी था, जो आने वाले दिनों में और उभरेगा। दिल्ली बीजेपी को नेता की तलाश तो पूरी हो गई है, मगर किरण बेदी के नेता बनने की तलाश शुरू हो रही है।
बेदी ने कहा कि बीजेपी का कार्यकर्ता सामाजिक सुधारक बनेगा। अभी से ही झुग्गियों की सफाई में जुट जाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा है कि जहां झुग्गी वहां मकान लेकिन मैं कहती हूं कि स्वच्छ झुग्गी, स्वच्छ मकान।
तीन हफ्ते बचे हैं चुनाव में। बीजेपी जानती है कि आम आदमी पार्टी का सामाजिक आधार कहां हैं, इसलिए झुग्गियों में मकान बनाने और सफाई करने के सहारे वह वहां आप को चुनौती देगी। कॉलोनियों को नियमित करने के मसले पर शुक्रवार शाम अरविंद केजरीवाल ने त्रिलोकपुरी में एक संवाद कार्यक्रम भी किया। किरण बेदी के स्वागत स्थल से थोड़ी ही दूर पर बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष तालकटोरा स्टेडियम में बोल रहे थे। जहां बीजेपी ने दलित सम्मेलन का आयोजन किया था। दिल्ली में 25 प्रतिशत दलित हैं और 12 रिज़र्व सीटें हैं। पिछले चुनाव में आम आदमी पार्टी को 9 सीटें मिली थीं। बीजेपी को सिर्फ दो सीटें मिली थीं।
तो दिल्ली की लड़ाई सिर्फ चेहरे के स्तर पर नहीं हो रही हैं जातियों और इलाकों का भी रोल सामने आ रहा है। किरण बेदी अकेले शामिल हुईं तो शाज़िया इल्मी को कई और नेताओं के साथ बीजेपी में शामिल किया गया।
शाज़िया ने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात कर सदस्य बनीं। उनके साथ दि लॉयन ऑफ पंजाब, जिमी, सिंह साहब दी ग्रेट, अग्निपथ, हाले दिल, शूट आउट एट लोखंडवाला, मस्ती जैसी मशहूर फिल्मों के संगीतकार आनंद राज आनंद भी शामिल हुए।
शाज़िया ने कहा कि वह चुनाव नहीं लड़ेंगी, पार्टी के लिए काम करेंगी। आम आदमी पार्टी की कथनी और करनी का फर्क लोगों को बताएंगी।
उधर अजय माकन ने निधि कुलपति से कहा कि किरण बेदी ने राजनीति में आने के लिए झूठ बोला। इनकी बेटी के मेडिकल में एडमिशन सही तरीके से नहीं हुआ था ये सब तथ्य सामने लाए जाएंगे। बीजेपी ने पोस्टरों में किरण बेदी को उतार दिया है। दफ्तर के बाहर लगे पोस्टर में सतीश उपाध्याय आगे हैं और किरण बेदी पीछें। लेकिन आज के भाषण से साफ हो गया कि कौन पीछे है।
अच्छा है किरण बेदी ने अपनी सोच का एक खाका रख दिया। हो सकता है आने वाले दिनों में और भी बातें वह कहें, लेकिन आज जो भी कहा उससे यही लगा कि वह अपनी तरफ से ही एलान कर रही हैं कि बीजेपी की मुख्यमंत्री की उम्मीदवार वहीं हैं।