लोकसभा चुनाव में जदयू के खराब प्रदर्शन की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने से पैदा हुई स्थिति के बाद आज उनके आवास पर बुलायी गई जदयू विधायक दल की बैठक में अपना नया नेता चुनने का मामला कल तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव की मौजूदगी में पार्टी के विधायकों ने सर्वसम्मति से नीतीश को फिर से अपना नेता चुना और उनसे अपना इस्तीफा वापस लेने पर जोर दिया। लेकिन नीतीश के अपना इस्तीफा वापस लेने से इनकार कर दिया। हालांकि जदयू विधायकों के अनशन पर बैठ जाने पर नीतीश ने इस पर विचार करने के लिए कल तक का समय लिया।
जदयू विधायक दल की बैठक के बाद पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता संजय सिंह ने बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने इस्तीफे पर निर्णय लेने के लिए कल तक का समय लिया है। कल फिर विधायक दल की बैठक होगी। संजय ने बताया कि आज की बैठक में सभी विधायकों ने मुख्यमंत्री से एक स्वर में कहा है कि आपके बिना बिहार नहीं चलेगा और प्रदेश की साढ़े दस करोड़ जनता की यह मांग है..आप सत्ता संभालिए, लेकिन वह नहीं माने। कल तक का समय लिया है।
जदयू के एक अन्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि यह संवेदनशील विषय हैं। पूरे दिन पार्टी कार्यकर्ता और नेता उनके आवास के बाहर आज भीषण गर्मी में खड़े रहे और उन्होंने सड़कों पर प्रदर्शन किया है। बिहार की जनता मुख्यमंत्री के इस निर्णय से मर्माहत है कि यह क्या हो गया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पर हम लोगों को भरोसा है और वह पार्टी विधायक दल और कार्यकर्ताओं की भावना का सम्मान करेंगे।
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में पार्टी की करारी हार के नीतीश कुमार इसकी जिम्मेदारी लेते हुए राज्य के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।
राज्यपाल को इस्तीफा सौंपने के बाद नीतीश कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा, बिहार में अपनी पार्टी के चुनाव अभियान का नेतृत्व मैं कर रहा था और जो चुनाव परिणाम आए हैं, उसकी नैतिक जिम्मेदारी मैं लेता हूं और मुझे लेना भी चाहिए। चुनाव के दौरान हमने सारी मर्यादाओं का पालन करते हुए मुद्दों के आधार पर चुनाव लड़ा और जो भी काम हमने किया था, उसी को लेकर चुनाव अभियान में उतरे थे। लेकिन जो हार हुई है, उसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए, मैंने राज्यपाल को अपना इस्तीफा दे दिया है।
नीतीश ने कहा, जो चुनाव परिणाम आए हैं, उसका विस्तृत विश्लेषण तो बाद में किया जाएगा, लेकिन बिहार में जो चुनाव नतीजे आए हैं, वह इस ओर इशारा करते हैं कि किस तरह कम्युनल लाइन पर ध्रुवीकरण हुआ और वह लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है।
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