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This Article is From Feb 24, 2014

चुनाव डायरी : एलजेपी 'हाथ' छोड़ने की फिराक में, कमल की तरफ कदम?

एलजेपी नेता चिराग पासवान

नई दिल्ली:

हॉटेस्ट एक्टर के तौर पर सिनेमा के पर्दे पर अपनी छाप छोड़ने में नाकाम रहे चिराग पासवान ने पर्दे के पीछे से चुनावी राजनीति को गरमा दिया है। उन्होंने एलजेपी और बीजेपी के बीच गठबंधन की संभावना से इनकार नहीं किया है।

2002 दंगों को नरेंद्र मोदी के बारे में पूछे जाने पर चिराग पासवान ने साफ कह दिया है कि कोर्ट और एसआईटी उन्हें क्लीन चिट दे चुका है। हालांकि वह जोड़ते हैं कि गठबंधन का आखिरी फैसला पार्टी संसदीय दल की बैठक में ही लिया जाएगा।

रामविलास पासवान की लोकजनशक्ति पार्टी और बीजेपी के बीच गठबंधन की खबर राजनीति के जानकारों को गले नहीं उतर रही। यह अलग बात है कि रामविलास पासवान पहले भी एनडीए के सहयोगी रह चुके हैं, लेकिन 2002 दंगों के बाद नरेंद्र मोदी से दूरी बनाते हुए वह एनडीए से बाहर निकल गए। तब से लगातार वह अपने सेक्युलर क्रेडेंशियल्स की दुहाई देते रहे। बीजेपी के साथ दुबारा न जाने की कसमें खाते रहे।

ऐसे में सवाल है कि आखिर चिराग पासवान बीजेपी की तरफ जाते क्यों दिख रहे हैं...वजहें साफ हैं। रामविलास पासवान अपने बेटे चिराग पासवान के लिए जमुई की सीट चाहते हैं। सीटों की तादाद और मनपसंद सीटों के मसले पर उनकी सोनिया गांधी से भी मुलाकात हो चुकी थी, लेकिन कांग्रेस, आरजेडी उन्हें आठ सीट देने में झिझक रही है। जमुई की सीट भी आरजेडी नहीं छोड़ना चाहती। मामला लंबा खिंचता चला गया। ऐसे में पासवान का अधीर होना स्वाभाविक है।

सूत्रों के मुताबिक़ बीजेपी को टटोला गया, तो पार्टी की तरफ से सकारात्मक संकेत आए। दलित नेता के तौर पर जाने जाने वाले रामविलास पासवान बीजेपी से गठजोड़ करें, ये तो बिल्ली के भाग्य से छींका टूटने जैसी बात है। बीजेपी ने सीटों को लेकर एलजेपी के दावों पर बातचीत में उदार रुख दिखाया है। इसी से पैदा हुए आत्मविश्वास ने चिराग पासवान को टीवी कैमरों के सामने आकर मोदी के पक्ष में बोलने की हिम्मत दी है। गौर करने वाली बात यह है कि इस पूरे मामले में रामविलास पासवान अभी सामने नहीं आए हैं। सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या गठबंधन के मामले को लेकर पिता और पुत्र में कोई मतभेद पैदा हो गया है, क्योंकि रामविलास पासवान अगर बीजेपी के साथ जाने के फैसले पर मुहर लगाते हैं, तो उनके सेक्युलर क्रेडेशियल्स पर सवाल उठने लाजिमी हैं।

इस बीच, कांग्रेस उम्मीद जता रही है कि पासवान ऐसी गलती नहीं करेंगे। भीतरखाने कांग्रेस के कई नेता पासवान के साथ संबंधों में आई दरार को पाटने में जुट गए हैं। जमुई सीट पर अड़े पासवान को मनाने की हर कोशिश जारी है। सोनिया दो दिन के लिए रायबरेली के दौरे पर हैं, ऐसे में पासवान-सोनिया मुलाकात तो अभी नहीं हो पा रही, लेकिन पार्टी सूत्रों के मुताबिक ‘बातचीत लगातार जारी है और उनकी मांगों को एडजस्ट करने की कोशिश की जा रही है’।

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