क्या आम आदमी पार्टी (आप) के शीर्ष नेता लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे...? एनडीटीवी इंडिया से खास बातचीत करते हुए 'आप' के सेकंड-इन-कमांड मनीष सिसोदिया ने कहा कि वह लोकसभा चुनाव नहीं लड़ना चाहते... उधर, सूत्रों के मुताबिक, ऐसी ही सोच दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और 'आप' के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल की भी है, जिनके बारे में बताया जा रहा है कि दिल्ली उनका पहला प्यार है, और इसीलिए वह दिल्ली पर फोकस करना चाहते हैं, लोकसभा पर नहीं...
मनीष सिसोदिया कहते हैं कि उनका सपना है कि पहले दिल्ली को स्वराज का मॉडल बनाया जाए और भ्रष्टाचारमुक्त व्यवस्था बनाई जाए... मनीष के मुताबिक जब दिल्ली में ऐसी व्यवस्था बनेगी तो इसका संदेश पूरे देश में जाएगा, लेकिन तब तक लोकसभा चुनाव लड़ना ठीक नहीं, सो, वे विधानसभा तक ही सीमित रहेंगे...
दूसरी ओर, एनडीटीवी इंडिया को सूत्रों ने बताया है कि दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी ऐसा ही सोचते हैं, और वह भी फिलहाल लोकसभा चुनाव न लड़ने की बात पर अड़े हुए हैं... हालांकि पार्टी में इस मुद्दे पर न कोई सहमति है, न निर्णय लिया गया है, लेकिन पार्टी के कुछ लोगों के मुताबिक कुछ सवालों पर सोच-विचार ज़रूरी है...
सबसे पहला सवाल है कि अगर अरविंद केजरीवाल लोकसभा चुनाव में जीत भी जाएं तो क्या होगा, क्योंकि पार्टी इस स्थिति में नहीं लग रही है कि 200−250 सीटें जीत जाए, और केजरीवाल प्रधानमंत्री बन जाएं... यदि किसी तरह से 200 सीटों पर पार्टी जीत भी जाती है, तो उन्हें 70-75 सीटों के लिए किसी न किसी के साथ गठबंधन करना ही होगा, जो 'आप' के सिद्धांतों के खिलाफ बताया जाता है...
दूसरा अहम सवाल यह है कि लोकसभा चुनाव के लगभग तुरन्त बाद जब दिल्ली में विधानसभा चुनाव होंगे तो अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया को वापस वहीं आना पड़ेगा, क्योंकि दिल्ली में कोई और नाम उनके पास है ही नहीं... और यदि 'आप' ऐसा करती है तो यह गंभीर राजनीति नहीं, भागमभाग जैसा ही लगेगा...
इन सब सवालों के साथ-साथ एक मुद्दे पर पार्टी का रुख स्पष्ट करना भी ज़रूरी है... दरअसल, पार्टी के लिए यह धारणा तोड़ना बेहद आवश्यक है कि दिल्ली में अरविंद केजरीवाल ने इस्तीफा इसलिए नहीं दिया, क्योंकि उनकी नज़रें लोकसभा पर थीं, या उन्हें प्रधानमंत्री बनना था...
वैसे, एक खतरा यह भी बना रहेगा, कि कहीं लोकसभा के चक्कर में 'आप' के हाथ से दिल्ली ही न निकल जाए... उल्लेखनीय है कि दिल्ली देश का एकमात्र राज्य है, जहां आम आदमी पार्टी ने खुद को साबित किया है... यहीं आम आदमी पार्टी का जन्म हुआ था, और पार्टी गठन के सिर्फ 13 महीने बाद सरकार बनाने में कामयाब हो गई थी...
अब इस माहौल में जो सवाल सबसे बड़ा बन जाता है, वह है कि अगर पार्टी के दो शीर्ष नेता चुनाव न लड़े, तो कहीं लोकसभा चुनाव में पार्टी के पक्ष में बनने वाले माहौल पर नकारात्मक असर न पड़े... दिल्ली के विधानसभा चुनाव भी इसीलिए सबसे ज़्यादा दिलचस्प बन गए थे, क्योंकि अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में 15 साल से जमी हुई मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को सीधे मुकाबले में करारी शिकस्त दी थी...
सो, फिलहाल यही कहा जा सकता है कि अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं, लेकिन चुनाव में अभी बहुत वक्त है और राजनीति - देश, काल और परिस्थिति - के हिसाब से अंगड़ाई लेती ही है, सो, देखते जाइए, लोकसभा चुनाव 2014 की हर हलचल को...
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