नई दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) दिल्ली के पिछले लगातार दो विधानसभा चुनावों से करीब 85 फीसदी सीटों पर मुकाबले में रही है। वर्ष 2008 के चुनाव की तुलना में उनकी सीटों का आंकड़ा वर्ष 2013 में 23 से 32 तक पहुंच गया, लेकिन तब भी वह सत्ता के सुख से वंचित रह गई थी। 2008 में बीजेपी ने 23 सीटें जीती थीं और 37 सीटों पर वह दूसरे नंबर पर रही थी, जबकि पिछले चुनाव में शिरोमणि अकाली दल के साथ मिलकर बने बीजेपी गठबंधन को 32 सीटों पर कामयाबी मिली और 29 सीटों पर वे दूसरे नंबर पर रहे।
पिछले चुनाव में अगर किसी का ग्राफ गिरा था, तो वह कांग्रेस थी, जो दिल्ली के सिंहासन पर 15 साल से जमी बैठी थी। वर्ष 2008 में 95 फीसदी सीटों पर मुकाबले में रही कांग्रेस पिछले चुनाव में महज 35 फीसदी सीटों पर ही टक्कर दे पाई, जिनमें से आठ पर वह कामयाब रही, और 17 सीटों पर उसके प्रत्याशी दूसरे नंबर रहे। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2008 के चुनाव में कांग्रेस ने 43 सीटें जीती थीं, और 24 सीटों पर वह दूसरे नंबर पर रही थी।
इन दोनों पार्टियों के अलावा वर्ष 2013 के चुनाव में पहली बार दिल्ली में एंट्री मारने वाली आम आदमी पार्टी ने 68 फीसदी सीटों पर असर दिखाया, जिनमें से 28 पर वे सफल रहे, और 20 सीटों पर उनके उम्मीदवार दूसरे स्थान पर आए।
अब एक तरफ कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी का रोड शो हो रहा है, तो दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी की वन-मैन-आर्मी के तौर पर अरविंद केजरीवाल जुटे हुए हैं। बीजेपी ने केजरीवाल की करीबी रहीं किरण बेदी को मैदान में अपनी ओर से उतार दिया है, सो, टक्कर फिर कांटे की है, और पिछले साल लोकसभा चुनाव के दौरान पूरे देश में जीत दर्ज करने वाली बीजेपी के लिए दिल्ली के दिल में उतरना इतना आसान भी नहीं लग रहा है, और शायद यही वजह है कि प्रचार के लिए बीजेपी के बड़े-बड़े महारथी मैदान में हैं। माहौल चुनावी है, लेकिन मूड नतीजे ही बताएंगे।
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