हरियाणा और महाराष्ट्र में 15 अक्तूबर को होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए गहमा-गहमी से भरा चुनाव प्रचार आज शाम समाप्त हो गया और इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जहां कांग्रेस तथा अन्य प्रतिद्वंद्वी पार्टियों पर निशाना साधा वहीं विरोधियों ने भी पलटवार किया।
पिछले कई दिनों से चल रहा चुनाव प्रचार का शोर आज शाम छह बजे लाउडस्पीकरों के शांत होने के साथ ही समाप्त हो गया और राजनीतिक दलों ने अपने कार्यकर्ताओं को घर घर जाकर मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने का जिम्मा सौंपा।
करीब पांच माह पहले ही लोकसभा चुनावों में मिली शानदार जीत के बीच मोदी ने धुआंधार प्रचार करते हुए दोनों राज्यों में 30 से ज्यादा रैलियां कीं। मोदी ने वंशवादी राजनीति और भ्रष्टाचार को लेकर विरोधियों पर निशाना साधा।
चुनाव प्रचार के दौरान स्थानीय चेहरे के बगैर भाजपा मोदी पर काफी हद तक निर्भर दिखी। महाराष्ट्र में भाजपा लंबे समय से अपनी सहयोगी रही शिवसेना से अलग हो गई। महाराष्ट्र में विधानसभा की 288 सीटें हैं, जबकि हरियाणा में 90 सीटें हैं।
चुनाव प्रचार के दौरान मोदी ने शिवसेना की आलोचना से परहेज किया, लेकिन उन्होंने कांग्रेस और राकांपा पर जमकर निशाना साधा और कहा कि वे काफी भ्रष्ट हैं और पिछले 15 साल से राज्य को लूटते रहे हैं। दूसरी ओर कांग्रेस ने पृथ्वीराज चव्हाण को, राकांपा ने अजीत पवार को और शिवसेना ने उद्धव ठाकरे को पेश किया।
बुधवार को हो रहे विधानसभा चुनावों को लोकसभा चुनावों के बाद प्रमुख राजनीतिक दलों की लोकप्रियता की पहली बड़ी परीक्षा के तौर पर देखा जा रहा है। चुनाव प्रचार में भाजपा ने कोई कसर नहीं छोड़ी और मोदी ने हरियाणा में 10 एवं महाराष्ट्र में 20 से ज्यादा रैलियां कीं। मतों की गिनती रविवार को होगी।
महाराष्ट्र में 15 अक्तूबर को हो रहा चुनाव पिछले करीब 25 साल में पहला ऐसा चुनाव है जब प्रमुख राजनीतिक दल बिना किसी गठबंधन के मैदान में हैं। भाजपा 257 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जबकि सहयोगी छोटे दल 31 सीटों पर मैदान में हैं। कांग्रेस और राकांपा ने सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं।
शिवसेना और भाजपा आखिरी बार 1989 से पहले हुए चुनाव में अलग अलग मैदान में उतरी थीं। उनका गठबंधन 1989 में हुआ था। शरद पवार नीत राकांपा की स्थापना 1999 में हुई थी। महाराष्ट्र में चुनाव प्रचार के दौरान राजनीतिक दलों ने मराठा अस्मिता, हिन्दुत्व, भ्रष्टाचार और विकास को रेखांकित किया।
महाराष्ट्र में 2009 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 82 सीटें मिली थीं जबकि राकांपा को 62, शिवसेना को 45 और भाजपा को 47 सीटों पर कामयाबी मिली थी। मनसे को 12 सीटें मिली थीं। कांग्रेस के अशोक चव्हाण को मुख्यमंत्री चुना गया था।
वहीं हरियाणा में हाल तक मुकाबला मुख्य रूप से कांग्रेस और इंडियन नेशनल लोकदल के बीच होता था, लेकिन अब इस बार कई नए दल भी मैदान में हैं।
हालांकि मुख्य प्रतिद्वंद्वी के तौर पर कांग्रेस, भाजपा और इनेलो को ही देखा जा रहा है और तीनों दल को अपने दम पर सत्ता में आने की आस है। भाजपा हरियाणा के इतिहास में पहली बार सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। हरियाणा की स्थापना 1966 में हुई थी।
दो नई पार्टियों, पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा की हरियाणा जन चेतना पार्टी और निर्दलीय विधायक गोपाल कांडा की हरियाणा लोकहित पार्टी के अलावा बसपा, हरियाणा जनहित कांग्रेस और वाम दल भी चुनावी मैदान में अपना भाग्य आजमा रहे हैं।
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