कांग्रेस उपाध्यक्ष के करीबी एक पार्टी नेता ने कहा है कि राहुल गांधी को लोकसभा चुनाव में अवांछनीय लक्ष्य का सामना करना पड़ा. क्योंकि यूपीए-2 'अच्छा प्रोडक्ट नहीं था' जिसकी मार्केटिंग मतदाताओं के साथ की जा सके।
पार्टी के भीतर ही कुछ लोग 'टीम राहुल' की आलोचना कर रहे हैं। उनका कहना है कि ये टीम उम्मीदों पर खरी उतरने में विफल रही और इसने कांग्रेस की चुनावी संभानाओं को धूमिल किया, लेकिन पार्टी नेता ने कहा कि टीम राहुल पर किए गए हमले गलत धारणाओं और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाले यूपीए-2 सरकार के दोषपूर्ण आंकलन पर आधारित थे।
नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर इस नेता ने कहा कि कई कारणों से यूपीए-2 सरकार एक के बाद एक विवादों में फंसती गई। कुछ वरिष्ठ कैबिनेट मंत्रियों के बीच बैर और उनकी जैसे को तैसा वाली तर्ज पर की गई कार्रवाई सार्वजनिक हुई। उसके बाद नीरा राडिया टेप सामने आए और फिर 2 जी घोटाला।
उन्होंने कहा कि नौ दिसंबर 2009 को तत्कालीन गृहमंत्री पी चिदंबरम ने पृथक तेलंगाना राज्य के गठन पर फैसले का ऐलान कर दिया। इत्तफाकन प्रणब मुखर्जी, जो उस समय वरिष्ठ मंत्री थे और जो छोटे राज्यों पर यूपीए की उपसमिति के अध्यक्ष रह चुके थे, उस समय दिल्ली में नहीं थे, जब यह फैसला लिया गया।
गांधी के सलाहकारों पर कुछ नेताओं के हमले को नकारते हुए इस नेता ने कहा कि इसका मकसद प्रमुख पदों से कुछ लोगों को बदलना है, ताकि पहले जो नेता किनारे हो गए थे, वे निर्णय लेने वाले पदों पर आ सकें।
उन्होंने कहा कि लोकपाल मुद्दे पर भी अन्ना हजारे और उनके समर्थकों ने जिस तरह अभियान चलाया, मामला सरकार के हाथ से निकल गया। बाद में योग गुरु रामदेव के मुद्दे से ठीक से नहीं निपटा गया। इसी तरह लोकपाल विधेयक जिसे 2011 में पेश किया जा सकता था, दिसंबर 2013 तक लटका रहा।
उन्होंने कहा कि ये कहना गलत है कि राहुल गांधी ने यूपीए-2 का एजेंडा बनाया। अगर ऐसा होता तो वह प्रेस क्लब में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अचानक नहीं आते और दागी सांसदों और विधायकों पर सरकार के विवादास्पद अध्यादेश को न फाड़ते।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं