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क्या होती है डिप्टी सीएम की पावर? बिहार में नीतीश के साथ दो उपमुख्यमंत्री लेंगे शपथ!

Deputy CM Power: बिहार में प्रचंड बहुमत के बाद अब एनडीए फिर से सरकार बनाने की तैयारी कर रही है, बताया जा रहा है कि नीतीश कुमार के साथ दो डिप्टी सीएम भी शपथ ले सकते हैं.

क्या होती है डिप्टी सीएम की पावर? बिहार में नीतीश के साथ दो उपमुख्यमंत्री लेंगे शपथ!
Bihar Deputy CM: बिहार में होंगे दो डिप्टी सीएम

Deputy CM Power: बिहार में एनडीए की बड़ी जीत के बाद अब शपथ ग्रहण का इंतजार है. नीतीश कुमार 10वीं बार सीएम पद की शपथ लेने जा रहे हैं. बताया जा रहा है कि उनके साथ दो डिप्टी सीएम भी शपथ ले सकते हैं. ऐसा पहले कई राज्यों में हो चुका है, जहां सीएम के साथ दो डिप्टी सीएम भी बनाए गए. बिहार में भी विजय सिन्हा और सम्राट चौधरी को इससे पहले डिप्टी सीएम का पद दिया गया था. इस बार भी दोनों को डिप्टी सीएम बनाए जाने की खबरें सामने आ रही हैं. ऐसे में सवाल है कि आखिर एक उपमुख्यमंत्री के पास क्या पावर होती हैं और बाकी मंत्रियों के मुकाबले उनका क्या काम होता है. 

क्या होता है डिप्टी सीएम का पद?

डिप्टी सीएम के पद का संविधान में कहीं भी जिक्र नहीं किया गया है, यानी ये एक संवैधानिक पद नहीं है. इसे प्रतीकात्मक और सांकेतिक रूप से राजनीतिक दलों की तरफ से बनाया गया है. आमतौर पर जब राजनीतिक या गठबंधन के समीकरणों को साधना होता है, तब ऐसे डिप्टी सीएम देखने के लिए मिलते हैं. 

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संविधान में आर्टिकल 163ए के तहत मुख्यमंत्री और मंत्रीपरिषद का जिक्र है. इसमें बताया गया है कि राज्यपाल मुख्यमंत्री पद पर नियुक्ति करेंगे और मुख्यमंत्री की सलाह पर मंत्रियों को भी शपथ दिलाई जाएगी.आर्टिकल 163 और आर्टिकल 164 में ऐसे तमाम नियमों का जिक्र किया गया है. हालांकि डिप्टी सीएम बनाए जाने या इस पद का कोई जिक्र नहीं है. 

क्या होती है पावर?

अब सवाल है कि जब डिप्टी सीएम कोई संवैधानिक पद नहीं है तो उसके पास क्या पावर होती हैं? राज्य में जो शक्तियां एक कैबिनेट मिनिस्टर की होती हैं, वही पावर डिप्टी सीएम के पास भी होती हैं. इसके अलावा तमाम तरह की सुविधाएं और सैलरी के मामले में भी डिप्टी सीएम कैबिनेट के किसी मंत्री से ऊपर नहीं होते हैं. यही वजह है कि राज्यपाल की तरफ से डिप्टी सीएम पद की नहीं बल्कि मंत्रिपद की शपथ दिलाई जाती है. 

क्या होता है फायदा?

भले ही डिप्टी सीएम को एक मंत्री जैसी ही सुविधाएं मिलती हों, लेकिन कैबिनेट में उसे मुख्यमंत्री के बाद सबसे ऊपर देखा जाता है. आमतौर पर बड़े फैसलों में मुख्यमंत्री अपने डिप्टी सीएम की भी सलाह लेते हैं और फिर उसे कैबिनेट की बैठक में रखा जाता है. इसके अलावा अघोषित तरीके से ही सही, लेकिन डिप्टी सीएम की प्रशासनिक मामलों और राज्य में कहीं भी जाने पर ताकत थोड़ी ज्यादा नजर आती है. किसी भी कार्यक्रम में जाने पर आवभगत थोड़ी ज्यादा होती है और अधिकारी भी इस पर को लेकर थोड़े सतर्क रहते हैं. 

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