दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल( फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
दिल्ली में अब कोई एक्सीडेंट हुआ, एसिड अटैक हुआ या किसी भी आग लगने की दुर्घटना में कोई जला तो दिल्ली के किसी भी प्राइवेट अस्पताल या नर्सिंग में इलाज करवाने पर 100% कैशलेस इलाज दिल्ली सरकार की ज़िम्मेदारी होगी. इसके लिए दिल्ली सरकार ने दिशानिर्देश जारी कर दिए हैं जो लागू हो गए हैं. इस योजना के तहत कोई भी व्यक्ति किसी भी राज्य का हो और किसी भी आय वर्ग में आता हो, अगर उसका दिल्ली की सीमा रेखा में सड़क पर कोई एक्सीडेंट हुआ, किसी पर कोई तेज़ाब से हमला हुआ या कहीं आग लगने पर कोई झुलसा तो पास के किसी भी प्राइवेट अस्पताल या नर्सिंग होम में इलाज करवाने पर उसको कोई पैसा नहीं देना है.
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इलाज के खर्च की पूरी जिम्मेदारी दिल्ली सरकार की होगी. यानी एक तरह से दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने दिल्ली की सीमा रेखा में रहने या चलने वाले लोगों को एक्सीडेंट इन्शुरन्स दे दिया है. इस योजना को उपराज्यपाल ने पहली ही मंज़ूरी दे दी थी अब इस बारे में विस्तार से बाकायदा दिशानिर्देश जारी किये गए हैं. आपको बता दें कि अभी तक होता ये है कि अगर सड़क पर दुर्घटना होती है तो पुलिस या दूसरे लोग उसको सरकारी अस्पताल में भर्ती करवाते थे क्योंकि ये पता नही होता था कि दुर्घटना पीड़ित शख़्स अस्पताल का खर्च दे पाने की हालत में है या नही और कहीं पीड़ित के इलाज का खर्च उसकी मदद करने वाले को ना उठाना पड़ जाए.
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इसकी वजह से कई बार पीड़ित को अस्पताल पहुंचने में देरी हो जाती थी और उसकी जान तक चली जाती थी. लेकिन अब किसी भी अस्पताल में घायल को एडमिट करवाओ कोई पैसा ना मदद करवाने वाले को देना है ना घायल को. दिल्ली में हर साल करीब 8 हज़ार एक्सीडेंट होते हैं, जिसमे 15-20 हज़ार लोग चपेट में आकर चोटिल होते हैं और करीब 1600 लोगों की जान चली जाती है.
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इलाज के खर्च की पूरी जिम्मेदारी दिल्ली सरकार की होगी. यानी एक तरह से दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने दिल्ली की सीमा रेखा में रहने या चलने वाले लोगों को एक्सीडेंट इन्शुरन्स दे दिया है. इस योजना को उपराज्यपाल ने पहली ही मंज़ूरी दे दी थी अब इस बारे में विस्तार से बाकायदा दिशानिर्देश जारी किये गए हैं. आपको बता दें कि अभी तक होता ये है कि अगर सड़क पर दुर्घटना होती है तो पुलिस या दूसरे लोग उसको सरकारी अस्पताल में भर्ती करवाते थे क्योंकि ये पता नही होता था कि दुर्घटना पीड़ित शख़्स अस्पताल का खर्च दे पाने की हालत में है या नही और कहीं पीड़ित के इलाज का खर्च उसकी मदद करने वाले को ना उठाना पड़ जाए.
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इसकी वजह से कई बार पीड़ित को अस्पताल पहुंचने में देरी हो जाती थी और उसकी जान तक चली जाती थी. लेकिन अब किसी भी अस्पताल में घायल को एडमिट करवाओ कोई पैसा ना मदद करवाने वाले को देना है ना घायल को. दिल्ली में हर साल करीब 8 हज़ार एक्सीडेंट होते हैं, जिसमे 15-20 हज़ार लोग चपेट में आकर चोटिल होते हैं और करीब 1600 लोगों की जान चली जाती है.
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