पूनम राउत ने महिला वर्ल्डकप के फाइनल में 86 रन की शानदार पारी खेली
नई दिल्ली:
महिला वर्ल्डकप के फाइनल में पूनम राउत ने इंग्लैंड के खिलाफ बेहतरीन पारी खेलीं, लेकिन इसके बावजूद टीम को 9 रन की हार का सामना करना पड़ा. भारतीय टीम फाइनल में हारी जरूर लेकिन प्रतियोगिता में अपने जुझारू प्रदर्शन से लोगों का दिल जीतने में सफल रही. स्वदेश आगमन के बाद भारतीय महिला टीम का जिस तरह से स्वागत किया गया, उससे पूनम बेहद खुश हैं. NDTV conclave के साथ बातचीत में अपने इस अनुभव का साझा करते हुए पूनम ने बताया कि जब हम फाइनल हारे तो स्वाभाविक रूप से टीम का हर सदस्य बेहद दुखी था. जब तक कोई नई सीरीज नहीं आ जाती हमारे लिए इस हार के गम को भुलाना मुश्किल हैं. पूनम ने इस दौरान क्रिकेट में खुद को स्थापित करने के लिए अपने माता-पिता से मिले सहयोग को भी शिद्दत से याद किया. उन्होंने कहा कि ऐसे माता-पिता मिलना किस्मत की बात होती है और मैं अपना आगे का क्रिकेट अपने अभिभावकों की खातिर खेलना चाहती हूं. उन्होंने कहा कि पिता की इतनी मदद के बिना मेरे लिए क्रिकेट में इतनी सफलता हासिल करना संभव नहीं था.
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मिडिल क्लास परिवार में पली-बढ़ी पूनम और उनका परिवार मुंबई में रहता है. क्रिकेट के खेल में पूनम ने आज जो ऊंचाई छुई है, उसमें उनके मम्मी-पापा का बहुत योगदान रहा है. पूनम बताती हैं, क्रिकेट खेलना मुझे बचपन से ही पसंद था. जब मैंने क्रिकेट में करियर बनाने की इच्छा पापा के सामने जताई तो उन्होंने कहा कि क्रिकेट खेलना है तो सब कुछ भूलकर इसे ही खेलो. पूनम के क्रिकेट के करियर की खातिर पूनम के पापा को धनराशि भी उधार लेनी पड़ी. इसके बावजूद पिता ने कभी पूनम को क्रिकेट खेलने के लिए हतोत्साहित नहीं किया. वास्तव में पूनम को यह वर्ल्डकप के बाद ही पता चला कि उनके क्रिकेट के शौक को परवान चढ़ाने के लिए पिता को पैसे भी उधार लेने पड़े थे.
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पूनम ने बताया कि जब हम वर्ल्डकप में खेल रहे तो पूरी तरह पता नहीं था कि भारत में क्या चल रहा है. मम्मी-पापा से पता चलता था कि हर जगह स्क्रीन लगे हैं जिसमें लोग मैचों का आनंद ले रहे हैं.
वीडियो : एकता विष्ट बोलीं, 5 विकेट लेना बेहद खास
पूनम ने फाइनल के बारे में कहा कि हमने सोचा था कि जीत-हार की चिंता किए बिना हमें अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन देना है. पूरा फोकस इस मैच पर था. जब देश वापस लौटे तो जबर्दस्त स्वागत हुआ. ऐसा लगा कि हम कोई सपना देख रहे हैं. निश्चित रूप से टीम के इस प्रदर्शन से देश के महिला क्रिकेट के स्वरूप में बड़ा बदलाव आएगा. पूनम का पूरा ध्यान अब महिला टी20 वर्ल्डकप पर टिका है.
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मिडिल क्लास परिवार में पली-बढ़ी पूनम और उनका परिवार मुंबई में रहता है. क्रिकेट के खेल में पूनम ने आज जो ऊंचाई छुई है, उसमें उनके मम्मी-पापा का बहुत योगदान रहा है. पूनम बताती हैं, क्रिकेट खेलना मुझे बचपन से ही पसंद था. जब मैंने क्रिकेट में करियर बनाने की इच्छा पापा के सामने जताई तो उन्होंने कहा कि क्रिकेट खेलना है तो सब कुछ भूलकर इसे ही खेलो. पूनम के क्रिकेट के करियर की खातिर पूनम के पापा को धनराशि भी उधार लेनी पड़ी. इसके बावजूद पिता ने कभी पूनम को क्रिकेट खेलने के लिए हतोत्साहित नहीं किया. वास्तव में पूनम को यह वर्ल्डकप के बाद ही पता चला कि उनके क्रिकेट के शौक को परवान चढ़ाने के लिए पिता को पैसे भी उधार लेने पड़े थे.
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पूनम ने बताया कि जब हम वर्ल्डकप में खेल रहे तो पूरी तरह पता नहीं था कि भारत में क्या चल रहा है. मम्मी-पापा से पता चलता था कि हर जगह स्क्रीन लगे हैं जिसमें लोग मैचों का आनंद ले रहे हैं.
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पूनम ने फाइनल के बारे में कहा कि हमने सोचा था कि जीत-हार की चिंता किए बिना हमें अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन देना है. पूरा फोकस इस मैच पर था. जब देश वापस लौटे तो जबर्दस्त स्वागत हुआ. ऐसा लगा कि हम कोई सपना देख रहे हैं. निश्चित रूप से टीम के इस प्रदर्शन से देश के महिला क्रिकेट के स्वरूप में बड़ा बदलाव आएगा. पूनम का पूरा ध्यान अब महिला टी20 वर्ल्डकप पर टिका है.
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