
बीसीसीआई का लोगो
नई दिल्ली:
लॉ कमीशन ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) पर बड़ी नकेल कसने का मन बना लिया है. लॉ कमीशन ने बोर्ड को लेकर तैयार अपनी रिपोर्ट में भारत सरकार से खास सिफारिशें की हैं. और अगर सरकार कमीशन की इन सिफारिशों पर मुहर लगा देती है, तो देश में क्रिकेट में क्रिकेट चलाने के लिए जिम्मेदार बीसीसीआई को बहुत ही दूरगामी परिणाम झेलने होंगे. खबरों की मानें, तो पैनल ने काफी पहले ही इन सिफारिशों को तैयार कर लिया था और वह जल्द विचार के लिए रिपोर्ट को केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद को सौंपेगा. बता दें कि वर्तमान में बीसीसीआई तमिलनाडु सोसाइटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत दर्ज है, लेकिन लॉ कमीशन ने इसमें बदलाव की सिफारिश की है.
लॉ कमीशन के चेयरमैन जस्टिस बीएस चौहान ने कहा, 'हमने जांच में यह पाया है कि संविधान के अनुच्छेद-12 के तहत बीसीसीआई बतौर 'राज्य' के तहत शामिल किए जाने के लिए बहुत ही ज्यादा योग्य है. ऐसे में लॉ कमीशन ने अपनी सिफारिश में बीसीसीआई को ज्यादा पारदर्शी और जवाबदेह बनाने के लिए इसे निजी से 'सार्वजनिक संस्था' में बदलने या इसे कम से कम राइट-टू-इनफॉर्मेश कानून के तहत लाने की मांग की है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने साल 2016 में अपने एक फैसले में लॉ कमीशन से बीसीसीआई को आरटीआई के तहत लाने के लिए कानूनी जरुरतों की पड़ताल करने को कहा था. अगर बीसीसीआई आरटीआई के तहत आ जाता है, तो इसके कई असर होंगे. चलिए पड़ने वाले कुछ असर के बारे में जान लीजिए.
यह भी पढ़ें : ... तो इस वजह से भारत गंवा सकता है ICC Champions Trophy 2021 की मेजबानी
असर नंबर-1:
अगर बीसीसीआई को सरकार 'राज्य' की श्रेणी में शामिल कर देती है, तो सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट बीसीसीआई के संविधान की जांच कर सकती हैं, तो वहीं बोर्ड के फैसलों के प्रति लोग उसके खिलाफ जनहित याचिका दायर कर सकेंगे. साथ ही क्रिकेटप्रेमी आरटीआई के जरिए बीसीसीआई से उसके क्रिया-कलापों की जानकारी भी मांग सकेंगे.
असर नंबर-2
सरकार के सिफारिशें स्वीकार करने के बाद खिलाड़ियों के चयन और किसी को टीम से निकालने के अलावा बीसीसीआई द्वारा आईसीसी या किसी अन्य देश के बोर्ड के साथ किए जाने वाले अनुबंधों पर आम जनता द्वारा पीआईएल दाखिल की जा सकेंगी. कुछ ऐसा ही प्रसारण सहित बाकी अधिकारों की बोली व अन्य बातों पर भी लागू होगा.
असर-3
भारत की सबसे धनी खेल संस्था का एकाधिकार पूरी तरह खत्म हो जाएगा.
VIDEO : सेंचुरियन में शतक बनाने के बाद विराट कोहली.
अगर आने वाले दिनों के भीतर बीसीसीआई में बड़े बदलाव होते हैं, तो हैरानी की बिल्कुल भी बात नहीं होगी. जहां सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में पहले से ही क्रिकेट प्रशासकीय कमेटी बोर्ड के कामों को अंजाम दे रही है, तो वहीं लॉ कमीशन की यह रिपोर्ट लागू होने पर बोर्ड को और ज्यादा पारदर्शी और जवाबदेह बनाएगी.
#BCCI announced awards of ₹50 lakh for #RahulDravid, ₹20 lakh each for six members in the support staff and ₹30 lakh for the players after #U19CWC.
— Gitanjali D.S (@Gitanjali_DS) February 10, 2018
Dravid immediately asked: Why the disparity in cash prizes between him and others?
#RealGem pic.twitter.com/bxb0Jyvbcp
लॉ कमीशन के चेयरमैन जस्टिस बीएस चौहान ने कहा, 'हमने जांच में यह पाया है कि संविधान के अनुच्छेद-12 के तहत बीसीसीआई बतौर 'राज्य' के तहत शामिल किए जाने के लिए बहुत ही ज्यादा योग्य है. ऐसे में लॉ कमीशन ने अपनी सिफारिश में बीसीसीआई को ज्यादा पारदर्शी और जवाबदेह बनाने के लिए इसे निजी से 'सार्वजनिक संस्था' में बदलने या इसे कम से कम राइट-टू-इनफॉर्मेश कानून के तहत लाने की मांग की है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने साल 2016 में अपने एक फैसले में लॉ कमीशन से बीसीसीआई को आरटीआई के तहत लाने के लिए कानूनी जरुरतों की पड़ताल करने को कहा था. अगर बीसीसीआई आरटीआई के तहत आ जाता है, तो इसके कई असर होंगे. चलिए पड़ने वाले कुछ असर के बारे में जान लीजिए.
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असर नंबर-1:
अगर बीसीसीआई को सरकार 'राज्य' की श्रेणी में शामिल कर देती है, तो सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट बीसीसीआई के संविधान की जांच कर सकती हैं, तो वहीं बोर्ड के फैसलों के प्रति लोग उसके खिलाफ जनहित याचिका दायर कर सकेंगे. साथ ही क्रिकेटप्रेमी आरटीआई के जरिए बीसीसीआई से उसके क्रिया-कलापों की जानकारी भी मांग सकेंगे.
असर नंबर-2
सरकार के सिफारिशें स्वीकार करने के बाद खिलाड़ियों के चयन और किसी को टीम से निकालने के अलावा बीसीसीआई द्वारा आईसीसी या किसी अन्य देश के बोर्ड के साथ किए जाने वाले अनुबंधों पर आम जनता द्वारा पीआईएल दाखिल की जा सकेंगी. कुछ ऐसा ही प्रसारण सहित बाकी अधिकारों की बोली व अन्य बातों पर भी लागू होगा.
असर-3
भारत की सबसे धनी खेल संस्था का एकाधिकार पूरी तरह खत्म हो जाएगा.
VIDEO : सेंचुरियन में शतक बनाने के बाद विराट कोहली.
अगर आने वाले दिनों के भीतर बीसीसीआई में बड़े बदलाव होते हैं, तो हैरानी की बिल्कुल भी बात नहीं होगी. जहां सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में पहले से ही क्रिकेट प्रशासकीय कमेटी बोर्ड के कामों को अंजाम दे रही है, तो वहीं लॉ कमीशन की यह रिपोर्ट लागू होने पर बोर्ड को और ज्यादा पारदर्शी और जवाबदेह बनाएगी.