नई दिल्ली:
प्रतिस्पर्धा आयोग ने शुक्रवार को कहा कि उसने भारतीय क्रिकेट बोर्ड को प्रतिस्पर्धारोधी गतिविधियों में संलिप्त पाया है और इसके लिए उस पर 52.24 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है।
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने पाया कि बीसीसीआई ने अपने वर्चस्व का दुरुपयोग किया। उसने बीसीसीआई को भविष्य में इस तरह की गतिविधियों से दूर रहने के निर्देश दिए।
सीसीआई ने अपने आदेश में कहा, बीसीसीआई की हरकत गंभीर है और जुर्माना भी उसी के अनुरूप लगाया जाना जरूरी था। इस व्यापार नियामक ने बीसीसीआई पर 52.24 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। बीसीसीआई के खिलाफ दिल्ली के सुरिंदर सिंह बर्मी ने नवंबर, 2010 में शिकायत दर्ज करायी थी। उनके आरोप बीसीसीआई द्वारा आयोजित आईपीएल और पेशेवर क्रिकेट लीग टूर्नामेंट के संबंध में थे।
शिकायतकर्ता ने टीम के मालिकाना हक के लिए फ्रेंचाइजी अधिकार, लीग की कवरेज के लिए मीडिया अधिकार और प्रायोजन अधिकार देने में अनियमितताओं के आरोप भी लगाए थे। नियामक ने कहा, वास्तव में बाजार में कोई अन्य प्रतिस्पर्धी नहीं है और बीसीसीआई की पूरे बाजार पर एकछत्र राज करने की रणनीति के कारण कोई अन्य उभर भी नहीं पा रहा है।
इसमें कहा गया है कि बीसीसीआई की अन्य प्रतिस्पर्धियों को बाहर रखने और अपने रुतबे का इस्तेमाल वास्तविक नियामक संस्था के रूप में करने के कारण कई अन्य को प्रतिस्पर्धी लीग शुरू करने से रोक दिया है।
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने पाया कि बीसीसीआई ने अपने वर्चस्व का दुरुपयोग किया। उसने बीसीसीआई को भविष्य में इस तरह की गतिविधियों से दूर रहने के निर्देश दिए।
सीसीआई ने अपने आदेश में कहा, बीसीसीआई की हरकत गंभीर है और जुर्माना भी उसी के अनुरूप लगाया जाना जरूरी था। इस व्यापार नियामक ने बीसीसीआई पर 52.24 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। बीसीसीआई के खिलाफ दिल्ली के सुरिंदर सिंह बर्मी ने नवंबर, 2010 में शिकायत दर्ज करायी थी। उनके आरोप बीसीसीआई द्वारा आयोजित आईपीएल और पेशेवर क्रिकेट लीग टूर्नामेंट के संबंध में थे।
शिकायतकर्ता ने टीम के मालिकाना हक के लिए फ्रेंचाइजी अधिकार, लीग की कवरेज के लिए मीडिया अधिकार और प्रायोजन अधिकार देने में अनियमितताओं के आरोप भी लगाए थे। नियामक ने कहा, वास्तव में बाजार में कोई अन्य प्रतिस्पर्धी नहीं है और बीसीसीआई की पूरे बाजार पर एकछत्र राज करने की रणनीति के कारण कोई अन्य उभर भी नहीं पा रहा है।
इसमें कहा गया है कि बीसीसीआई की अन्य प्रतिस्पर्धियों को बाहर रखने और अपने रुतबे का इस्तेमाल वास्तविक नियामक संस्था के रूप में करने के कारण कई अन्य को प्रतिस्पर्धी लीग शुरू करने से रोक दिया है।
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