एन श्रीनिवासन को आईपीएल में स्पॉट फिक्सिंग की घटनाओं के बाद अध्यक्ष पद छोड़ना पड़ा था
नई दिल्ली:
बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड 2015 के वर्ल्ड कप में मुस्तफा कमाल के अपमान का बदला बीसीसीआई से ले सकता है, जिससे भरतीय बोर्ड को आईसीसी के सामने हार का भी समाना करना पड़ा सकता है. खबरों के अनुसार अगर बीसीसीआई एन श्रीनिवासन को अपने प्रतिनिधि के रूप में विश्व संस्था की बोर्ड बैठक में भेजने का फैसला करता है तो भारतीय क्रिकेट बोर्ड के आईसीसी में प्रस्तावित संवैधानिक और वित्तीय सुधारों को रोकने के कदम को करारा झटका लग सकता है.
ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि ज्यादातर राज्य इकाइयां बीसीसीआई की विशेष आम बैठक में श्रीनिवासन का समर्थन करेंगी जो 9 अप्रैल को प्रस्तावित है लेकिन इस कदम का मतलब है कि बांग्लादेश और श्रीलंका फिर भारत का समर्थन नहीं करेंगे.
बीसीसीआई के एक वरिष्ठ सूत्र ने रविवार को पीटीआई से कहा, ‘बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड (बीसीबी) श्रीनिवासन से काफी सतर्क हैं. वे ऑस्ट्रेलिया में 2015 विश्व कप में आईसीसी अध्यक्ष मुस्तफा कमाल के अपमान को नहीं भूले हैं. अगर श्रीनिवासन आईसीसी की बोर्ड बैठक में बीसीसीआई की पंसद होते हैं तो बांग्लादेश निश्चित रूप से भारत के साथ नहीं होगा.’ यहां तक कि श्रीलंका भी कुछ इसी तरह सोच रहा है, ऐसा ही जिम्बाब्वे के साथ है और भारत को इन सुधारों को रोकने के लिए तीन वोट की जरूरत है.
सूत्र ने कहा, ‘अगर सुधारों का प्रस्ताव वोटिंग के लिए आता है और श्रीनिवासन बीसीसीआई का प्रतिनिधित्व करते हैं तो हैरानी की बात नहीं होगी अगर बीसीसीआई 1-9 से या 2-8 से हार जाए.’ पिछली दो आईसीसी बैठकों में बीसीसीआई का प्रतिनिधित्व विक्रम लिमाये ने किया था. आईसीसी की आम सालाना बैठक 27-28 अप्रैल को दुबई में कराई जाएगी.
ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि ज्यादातर राज्य इकाइयां बीसीसीआई की विशेष आम बैठक में श्रीनिवासन का समर्थन करेंगी जो 9 अप्रैल को प्रस्तावित है लेकिन इस कदम का मतलब है कि बांग्लादेश और श्रीलंका फिर भारत का समर्थन नहीं करेंगे.
बीसीसीआई के एक वरिष्ठ सूत्र ने रविवार को पीटीआई से कहा, ‘बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड (बीसीबी) श्रीनिवासन से काफी सतर्क हैं. वे ऑस्ट्रेलिया में 2015 विश्व कप में आईसीसी अध्यक्ष मुस्तफा कमाल के अपमान को नहीं भूले हैं. अगर श्रीनिवासन आईसीसी की बोर्ड बैठक में बीसीसीआई की पंसद होते हैं तो बांग्लादेश निश्चित रूप से भारत के साथ नहीं होगा.’ यहां तक कि श्रीलंका भी कुछ इसी तरह सोच रहा है, ऐसा ही जिम्बाब्वे के साथ है और भारत को इन सुधारों को रोकने के लिए तीन वोट की जरूरत है.
सूत्र ने कहा, ‘अगर सुधारों का प्रस्ताव वोटिंग के लिए आता है और श्रीनिवासन बीसीसीआई का प्रतिनिधित्व करते हैं तो हैरानी की बात नहीं होगी अगर बीसीसीआई 1-9 से या 2-8 से हार जाए.’ पिछली दो आईसीसी बैठकों में बीसीसीआई का प्रतिनिधित्व विक्रम लिमाये ने किया था. आईसीसी की आम सालाना बैठक 27-28 अप्रैल को दुबई में कराई जाएगी.
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