बेरोजगारी : नोएडा के लेबर चौक पर दिहाड़ी तलाशते पोस्ट ग्रेजुएट और ग्रेजुएट

नोएडा सेक्टर 58 के लेबर चौक पर रोज सुबह से जुटने वाले दिहाड़ी मज़दूरों में कई होते हैं काफी पढ़े-लिखे

खास बातें

  • कॉमर्स में मास्टर्स किए बदायूं के भानु एम कॉम डिग्रीधारी
  • बुलंदशहर के विशाल ग्रेजुएट, मजदूरी से चला रहे गुजारा
  • मजदूरी कर रहे बिहार के सिवान के रंजीत इंटर तक शिक्षित
नई दिल्ली:

लेबर चौक सुनते ही अनपढ़ या कम पढ़े लिखे लोग आपके ज़ेहन में आते हैं. पर बेरोज़गारी की दौड़ में मास्टर्स से लेकर ग्रेजुएट्स तक आपको लेबर चौक पर मिलेंगे.

नोएडा सेक्टर 58 का लेबर चौक. जहां सुबह से ही दिहाड़ी मज़दूरी को लेकर भीड़ जुटनी शुरू हो जाती है. इसी भीड़ में कॉमर्स में मास्टर्स किए बदायूं के भानु मिले. 4-5 साल तक अलग-अलग परीक्षाओं की तैयारी की. पर नौकरी कम दिखी और परिवार का बोझ ज़्यादा तो मज़दूर बन गए. इनकी डिग्री को लेकर मन में सवाल उठा तो खोड़ा के अपने घर ले गए और अपनी डिग्रियां भी दिखाईं. खोड़ा में किराए पर रहने वाले भानु प्रताप सिंह बताते हैं कि दिल्ली आए तो पहले मज़दूर का काम किया फिर सीखकर राज मिस्त्री बन गए.

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पढ़े लिखे लोगों को नज़रें ढूंढ ही रही थीं कि लेबर चौक की भीड़ में विशाल टकराये. बताया ग्रेजुएट हूं पर यहां हेल्पर का काम कर लेता हूं. उत्तरप्रदेश के बुलंदशहर से हैं. किस्मत ठीक रही तो 400 रुपये की दिहाड़ी हो जाती है. नहीं तो महीने में 10-12 दिन खाली ही लौटना पड़ता है. कहा शायद आपको भरोसा न हो ग्रेजुएट हूं तो डिग्री देख लीजिए. सीसीएस यूनिवर्सिटी मेरठ से ग्रेजुएट हैं. मैट्रिक से लेकर ग्रेजुएशन तक सेकंड क्लास.

 

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बिहार के सिवान के रंजीत 12वीं पास हैं. पारिवारिक हालात लेबर चौक पर ले आई. सामान लोडिंग-अनलोडिंग या फिर स्क्वायर फोल्डिंग जैसे कामों में संभावना तलाशते हैं. फैक्ट्री में क्यों नहीं काम करते? सवाल के जवाब में रंजीत कहते हैं सर कंपनी में पैसे कम मिलते हैं. चौक पर 500-600 रुपये दिहाड़ी मिल जाता है.

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रंजीत ने बताया कि कंपनी में 10-12 हज़ार मिलते हैं. इतने में गुजारा नहीं होने वाला. यहां पर 15000-16000 रुपये महीना मिल जाता है.

 

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