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This Article is From Jan 24, 2017

पंजाब और गोवा में आम आदमी पार्टी की ताकत का यह है राज...

Maya Vishwakarma
  • पोल ब्लॉग,
  • Updated:
    फ़रवरी 07, 2017 14:19 pm IST
    • Published On जनवरी 24, 2017 17:25 pm IST
    • Last Updated On फ़रवरी 07, 2017 14:19 pm IST
पांच राज्यों में चुनावी बिगुल बज चुका है. चारों तरफ जोरशोर से तैयारी चल रही है. वैसे तो चुनाव देश के अन्य राज्यों में भी हैं मगर पंजाब और गोवा के चुनाव इस बार इसलिए खास हैं क्योंकि यहां पहली बार असेंबली चुनावों में आम आदमी पार्टी मौजूद है. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में आम आदमी पार्टी  के चार प्रत्याशी संसद में अपनी सीट पक्की करने में कामयाब हुए थे. तब से आम आदमी पार्टी का ग्राफ पंजाब में लगातार ऊपर गया.

वर्ष 2015 के दिल्ली विधानसभा के चुनाव में 67 सीटें आने के बाद आम आदमी पार्टी के हौसले और बुलंद हुए. तभी से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पंजाब पर टकटकी लगाए हुए थे. पंजाब में एक तरफ शिरोमणि अकाली दल के बादल परिवार की राजनीतिक जड़ें गहरी हैं वहीं दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी अपनी पहचान बना रही है. सवाल यह है कि अरविंद केजरीवाल ने दो राज्यों में ही चुनाव लड़ने का फैसला क्यों लिया? सर्वविदित है कि पंजाब के लोग विदेशों में बड़ी संख्या में बसे हैं और यह राज्य ड्रग्स और भ्रष्टाचार की विकराल समस्याओं से जूझ रहा है. बाहर बसे लोग पंजाब को फिर से खुशहाल देखना चाहते हैं. यही कारण है कि 2014 के चुनावों में एनआरआई का अहम योगदान रहा. इस वर्ग ने कॉलिंग कैंपेन और छोटे-छोटे डोनेशन देकर 'आप' के एक-एक उम्मीदवार को सशक्त किया. फोन के जरिए अपने रिश्तेदारों, पड़ोसी और गांव वालों को समझाया. 'आप' को इस चुनाव में भी विदेशों में बसे पंजाबियों से उम्मीद है.

आम आदमी पार्टी का गोवा का चुनावी समीकरण भी कुछ इसी तरह का है. राज्य का क्षेत्रफल कम होने से कम समय में ज्यादा पहुंच संभव है. गोवा में जाति-धर्म की लड़ाई चुनावों को प्रभावित नहीं करती है. गोवा राज्य का विकास अपेक्षा के अनुरूप नहीं हुआ है. यहां बेरोजगारी, नशा बड़ी समस्या है और शिक्षा व स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी है. इन मुद्दों को लेकर 'आप' यहां चुनाव में उतरी है. 'आप' का मानना है कि आम लोगों से जुड़े यह मुद्दे उसे चुनाव में फायदा पहुंचा सकते हैं.   

पंजाब में आगामी विधानसभा चुनाव बहुत ही रोमांचक होने के आसार हैं. कांग्रेस कैप्टन अमरिंदर सिंह के भरोसे मैदान में उतरी है वहीं शिरोमणि अकाली दल सत्तासीन होने के साथ-साथ साधनों से भरपूर पार्टी है. अब देखना यह है कि आम आदमी पार्टी के पास ऐसी कौन सी पारसमणि है जिसके दम पर इन बाहुबलियों से वह मुकाबला करने की हिम्मत कर रही है. वास्तव में आम आदमी के पास जुनूनी कार्यकर्ताओं का ऐसा खजाना है जो बाकी दलों के पास नहीं है. दुनिया भर में 'आप' के लाखों जुनूनी कार्यकर्ता पिछले एक साल से पंजाब और गोवा चुनाव के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं. हजारों कार्यकर्ता ऐसे भी हैं जो अपना परिवार, नौकरी छोड़कर जमीनी मुहीम का हिस्सा हैं. वे आधुनिक टेक्नोलॉजी के जरिए लाखों परिवारों को जोड़े हुए हैं.

रघु महाजन, कैलिफोर्निया की स्टैंडफोर्ड यूनिवर्सिटी में पीएचडी कर रहे हैं और साथ ही साथ आम आदमी पार्टी का काम भी करते हैं. पिछले पांच माह से वे सब कुछ छोड़कर पंजाब में डेरा डाले हुए हैं और जमीनी स्तर का काम कर रहे हैं. विशाल कुडचडकर बर्कले यूनिवर्सिटी से एमबीए करने के बाद लॉस एंजिल्स की मल्टीनेशनल कंपनी में मैनेजर हैं. उन्होंने पिछले साल अधिकतम समय गोवा में चुनावी ढांचा तैयार करने में मदद की और पूरे अमेरिका के गोवा निवासियों को इस मुहिम से जोड़ा. सिएटल के वरुण गुप्ता माइक्रोसॉफ्ट में नौकरी करते हैं और जब भी छुट्टी मिलती है काम करने दिल्ली पहुंच जाते हैं. वे फिलहाल पंजाब में कई महीनों से गांव-गांव में घूम रहे हैं.

श्रीकांत कोचर्लाकोट लॉस एंजिल्स में रहकर ही कॉलिंग कैंपेन को सम्हाल रहे हैं. कॉलिंग कैंपेन को आम आदमी पार्टी का एक बहुत मजबूत हथियार माना जाता है जिसकी शुरुआत दिल्ली चुनाव के समय की गई थी. आज लाखों लोग इस मुहिम से जुड़े हुए हैं. प्रभात शर्मा, जो कि अमेरिका वेस्ट कोस्ट के इंचार्ज हैं, कॉलिंग कैंपेन में जुड़े हुए हैं. अमेरिका ही नहीं बल्कि सभी बड़े देशों के अनिवासी भारतीय इस मुहिम में शामिल हैं. लंदन के ग्लासगो शहर के इंदरपाल शेरगिल अन्ना हजारे के आंदोलन के समय से इन कार्यकर्ताओं से जुड़े हुए हैं. उन्होंने तन-मन-धन ही नहीं लगाया खुद पंजाब और गोवा में जाकर काम भी किया. उन्होंने अपना पंजाब का निवास, फार्म हाउस और गोवा का निवास आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं के लिए खोल दिया है.

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हेमंत मिश्रा ने नीदरलैंड्स-हॉलैंड टीम से भारतीय युवाओं को जोड़ा है. वे खुद भी 2014 के लोकसभा चुनाव में अपनी नौकरी छोड़कर भारत गए. वे आज भी पंजाब और गोवा के लिए काम कर रहे हैं. अन्य देशों जैसे ऑस्ट्रेलिया, दुबई, कनाडा, जर्मनी, फिलीपींस और सउदी अरब के वालेंटियर 'आप' से जुड़े हुए हैं. इन चुनावों में 'आप' की महिला कार्यकर्ता भी काफी समय पार्टी को दे रही हैं. लॉस वेगास से गुरिंदर कौर अब तक ग्यारह हजार फोन कर चुकी हैं. परमिंदर अटवाल लॉस एंजिल्स टीम को सम्हाल रही हैं. कविश मल्होत्रा सोशल मीडिया की बागडोर सम्हाले हैं.

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पंजाब का दोआबा एनआरआई का गढ़ है और उनका 34 सीटों पर खासा प्रभाव है. वहां 25 फीसदी के आसपास फंडिंग एनआरआई द्वारा की जा रही है. एनआरआई अपने मनचाहे उम्मीदवारों को जिताने के लिए यूरोप से लेकर गांव तक पूरी ताकत से जुटे हुए हैं. हाल ही में आम आदमी पार्टी की  कैंपेन "चलो पंजाब" के तहत दो फ्लाइट भरकर कनाडा और इंग्लैंड की टीमें पंजाब को सपोर्ट करने पहुंचीं. उनका स्वागत खुद मनीष सिसोदिया ने दिल्ली एयरपोर्ट पर धूमधाम से किया. अगले हफ्ते भी यह सिलसिला चलता रहेगा.

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दुनिया भर में करीब 35 लाख पंजाबी एनआरआई हैं. आम चुनाव में इससे पहले फंडिंग और समर्थन जुटाने के लिए नेता भारत से कनाडा, अमेरिका और ब्रिटेन जाते रहे हैं लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है जब विदेशों में बसे पंजाबी इतनी बड़ी तादाद में खुद पंजाब पहुंचकर किसी पार्टी के लिए प्रचार कर रहे हैं. वाकई कुछ तो अलग है इस चुनाव में. अब देखना यह है कि इन कार्यकर्ताओं का देश के प्रति जूनून क्या रंग लाता है.


(माया विश्वकर्मा सामाजिक, राजनीतिक कार्यकर्ता हैं और कैलिफोर्निया में शोधरत हैं)

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