उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को ब्रिटेन के वेतांदा समूह की कंपनी स्टरलाइट इंडस्ट्रीज को तमिलनाडु में उसके तांबा गलाने के संयंत्र से प्रदूषण के खिलाफ 100 करोड़ रुपये का मुआवजा चुकाने का अदेश दिया है। लेकिन, न्यायालय ने संयंत्र बंद करने की अपील नहीं मानी है। मामले की सुनवाई कर रही खंडपीठ के अध्यक्ष पीके पटनायक ने कहा कि इस बहुराष्ट्रीय कंपनी के कारखाने से लंबे समय से पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है और इसके लिए उसे मुआवजा देना होगा।
न्यायालय ने कहा कि मुआवजा का ‘डर होना चाहिए’ और इसकी राशि कंपनी की भुगतान क्षमता देख कर तय की जानी चाहिए। खंडपीठ ने कहा कि इस मामले में, ‘100 करोड़ से कम की राशि के मुआवजे के बिना (कानून का) डर पैदा नहीं होगा।’ हालांकि न्यायालय ने उस काराखने को बंद करने से इन्कार कर दिया और उसे बंद करने के 2010 के मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश को खाजिर कर दिया।