पिछले क्वार्टर (अप्रैल-जून) में भारत की आर्थिक वृद्धि दर उम्मीद के अनुसार नहीं रही और इससे पिछले क्वार्टर के मुकाबले इसमें गिरावट दर्ज की गई। सोमवार को जारी आर्थिक वृद्धि दर के आंकड़े प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए ज्यादा चिंताजनक हैं। इससे तेजी से आर्थिक सुधारों की तरफ बढ़ने की जरूरत पर भी बल मिलता है।
कृषि, सेवा तथा विनिर्माण क्षेत्रों की वृद्धि दर में नरमी के चलते सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में 7.0 प्रतिशत रही जो इससे पूर्व की तिमाही में 7.5 प्रतिशत थी। जीडीपी में धीमी वृद्धि दर में धीमेपन और औद्योगिकी उत्पादन में नरमी को देखते हुए रिजर्व बैंक द्वारा नीतिगत दर में कटौती की संभावना बढ़ी है।
वैश्विक रेटिंग एजेंसी 'स्टैंडर्ड एंड पूअर्स' की एक टीम ने सोमवार को वित्त मंत्रालय के अधिकारियों से मुलाकात की और आर्थिक सुधारों की धीमी गति पर चिंता जताई। S&P ने फिलहाल भारत को BBB रेटिंग दी हुई है। इस रेटिंग का मतलब यह है कि भारत अपने कर्ज चुका सकता है और वित्तीय प्रतिबद्धताओं को पूरा कर सकता है।
आर्थिक गतिविधियों को मापने के लिए सीएसओ द्वारा अपनाए जा रहे सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) पर आधारित नए मानदंड के आधार पर भी पहली तिमाही में जीवीए घटकर 7.1 प्रतिशत पर आ गई जो एक वर्ष पूर्व इसी तिमाही में 7.4 प्रतिशत था।
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के आंकड़ों के अनुसार जनवरी-मार्च 2015 में जीडीपी वृद्धि दर 7.5 प्रतिशत जबकि अप्रैल-जून, 2014 में यह 6.7 प्रतिशत थी। मुद्रास्फीति में तीव्र गिरावट के चलते चालू बाजार मूल्य पर नामिनल जीडीपी (सांकेतिक जीडीपी) तथा जीवीए में आलोच्य तिमाही के दौरान तीव्र गिरावट दर्ज की गई है। जहां सांकेतिक जीडीपी पहली तिमाही में 8.8 प्रतिशत रही जो एक साल पहले इसी तिमाही में 13.4 प्रतिशत थी। इसी तरह जीवीए वृद्धि दर इस बार करीब 7.1 प्रतिशत रही जो एक साल पूर्व इसी तिमाही में 14 प्रतिशत थी।
सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2015-16 की शुरुआत में वृद्धि दर 8.1 से 8.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है जिसे हासिल करना मुश्किल हो सकता है। रिजर्व बैंक ने जनवरी से अब तक नीतिगत ब्याज दर में 0.75 प्रतिशत की कटौती की है और वह अगली द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा 29 सितंबर को करने वाला है।
सीएसओ के आंकड़ों के अनुसार स्थिर मूल्य (2011-12) पर विनिर्माण क्षेत्र का जीवीए अप्रैल-जून तिमाही में बढ़कर 7.2 प्रतिशत पर आ गई जो एक साल पहले इसी तिमाही में 8.4 प्रतिशत थी। इसी प्रकार, बिजली, गैस, जल आपूर्ति तथा अन्य उपयोगी सेवाओं की वृद्धि दर आलोच्य तिमाही में घटकर 3.2 प्रतिशत पर आ गई, जो एक साल पहले इसी तिमाही में 10.1 प्रतिशत थी।
कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों की वृद्धि दर 2015-16 की पहली तिमाही में 1.9 प्रतिशत रही जो इससे पूर्व वित्त वर्ष की इसी तिमाही में 2.6 प्रतिशत थी। खान एवं खनन क्षेत्र में उत्पादन वृद्धि दर भी आलोच्य तिमाही में मामूली रूप से घटकर 4 प्रतिशत पर आ गई हो एक साल पहले इसी तिमाही में 4.3 प्रतिशत थी।
वित्तीय, रीयल एस्टेट तथा पेशेवर सेवाओं की वृद्धि दर आलोच्य तिमाही में घटकर 8.9 प्रतिशत रही जो एक साल पहले इसी तिमाही में 9.3 प्रतिशत थी। हालांकि निर्माण गतिविधियों में वृद्धि दर अपैल-जून, 2015 में बढ़कर 6.9 प्रतिशत रही जो इससे पहले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में 6.5 प्रतिशत थी।
सीएसओ के आंकड़ों के अनुसार स्थिर मूल्य (2011-12) पर जीडीपी 2015-16 की पहली तिमाही में 27.13 लाख करोड़ रुपये रहा जो 2014-15 की इसी तिमाही में 25.35 लाख करोड़ रुपये था। यह 7.0 प्रतिशत वृद्धि को बताता है। स्थिर मूल्य पर जीवीए 2015-16 की पहली तिमाही में 25.80 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है जबकि 2014-15 की पहली तिमाही में 24.10 लाख करोड़ रुपये था।
जीडीपी का आंकड़ा मूल कीमत पर जीवीए में कर जोड़ कर तथा सब्सिडी घटा कर निकाला जाता है। मौजूदा मूल्य पर जीडीपी 2015-16 की पहली तिमाही में 32.43 लाख करोड़ रहा जो एक साल पहले इसी तिमाही में 29.80 लाख करोड़ रुपये था जो 8.8 प्रतिशत की वृद्धि दर को बताता है।
वर्तमान आधार मूल्य (उत्पाक को मिलने वाले मूल्य से करों को निकाल कर प्राप्त कीमत) पर जीवीए आलोच्य तिमाही में 30.30 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसी तिमाही में 28.28 लाख करोड़ रुपये था। यह 7.1 प्रतिशत वृद्धि को बताता है।
आंकड़ों के अनुसार मौजूदा मूल्य पर सकल स्थिर पूंजी निर्माण (जीएफसीएफ) चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 9.02 लाख करोड़ रुपये रहा जबकि 2014-15 की इसी तिमाही में यह 8.69 लाख करोड़ रुपये था। स्थिर मूल्य (2011-12) पर जीएफसीएफ आलोच्य तिमाही में 8.07 लाख करोड़ रुपये रहा जो 2014-15 की इसी तिमाही में 7.70 लाख करोड़ रुपये था।
जीडीपी के संदर्भ में जीएफसीएफ चालू एवं स्थिर (2011-12) मूल्य पर चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में क्रमश: 27.8 प्रतिशत तथा 29.8 प्रतिशत रहा जबकि 2014-15 की इसी तिमाही में यह 29.2 प्रतिशत तथा 30.4 प्रतिशत था। सरकार का अंतिम उपभोग व्यय (जीएफसीई) आलोच्य तिमाही में 3.86 लाख करोड़ रुपये रहा जो एक वर्ष पूर्व इसी तिमाही में 3.71 लाख करोड़ रुपये था।
- साथ में एजेंसी इनपुट भी