भारतीय रिजर्व बैंक ने गुरुवार को चालू वित्त वर्ष 2018-19 में पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में लघु अवधि की प्रमुख ब्याज दर (रेपो रेट) को यथावत छह फीसदी पर बनाए रखा, जिसकी उम्मीद भी की जा रही थी. केंद्रीय बैंक की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि यह लगातार चौथी मौद्रिक समीक्षा है जब आरबीआई की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने रेपो रेट में कोई परिवर्तन नहीं किया है.
रेपो रेट वह ब्याज दर है जिस पर आरबीआई वाणिज्यिक बैंकों को लघु अवधि का कर्ज प्रदान करता है.
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, फरवरी में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित महंगाई दर पिछले महीने से घटकर 4.44 फीसदी रही. इससे पहले जनवरी में महंगाई दर 5.07 फीसदी दर्ज क गई थी. लेकिन यह आरबीआई की ओर से निर्धारित मध्यम अवधि में चार फीसदी महंगाई दर से अधिक दर्ज की गई है.
बता दें कि आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता में मौद्रिक नीति समिति की दो दिवसीय बैठक में आज रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है. रेपो रेट को 6 प्रतिशत पर जबकि रिवर्स रेपो रेट को 5.75 प्रतिशत पर बरकरार रखा गया है. हालांकि आरबीआई ने एसएलआर 0.5 फीसदी घटाकर 19.5 फीसदी किया है. बैंक के इस कदम से सस्ते कर्ज का इंतजार और लंबा हो गया है.
आरबीआई ने वित्त वर्ष 2018 के लिए जीवीए अनुमान 7.3 फीसदी से घटाकर 6.7 फीसदी किया है वहीं सीआरआर 4 फीसदी पर कायम है. रिजर्व बैंक ने अक्टूबर-मार्च में रिटेल महंगाई दर 4.2-4.6 फीसदी रहने का अनुमान दिया है. जनवरी-मार्च 2018 और अप्रैल-जून 2018 में रिटेल महंगाई दर 4.6 फीसदी रहने का अनुमान है. जनवरी-मार्च 2019 में रिटेल महंगाई दर 4.5 फीसदी रहने का अनुमान है. आरबीआई की अगली मौद्रिक नीति समिति की बैठक 5-6 दिसंबर के दौरान होगी.