सोमवार को शेयर बाज़ार चौदह महीने बाद 25000 अंकों के नीचे चला गया। यानी जहां मनमोहन छोड़ गए थे और मोदी ने शुरुआत की थी, हालात फिर वहीं पहुंचते लग रहे हैं। नरेंद्र मोदी सरकार के आने के बाद पहली बार अर्थव्यवस्था इस क़दर दबाव में दिख रही है।
इन हालात में मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उद्योगपतियों, अर्थशास्त्रियों और बाज़ार के विशेषज्ञों के साथ तीन घंटे लंबी बैठक कर उनसे सुझाव लिए। बैठक में प्रधानमंत्री को आगाह किया गया कि अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में गिरावट का असर भारतीय बाज़ार पर भी पड़ेगा।
बैठक के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा, 'बैठक में भाग लेने आए कई विशेषज्ञों ने कहा कि ये दौर आर्थिक अनिश्चितता का है और इसका असर बाज़ार पर और मुद्रा के मोर्चे पर कुछ हद तक दिखेगा।' हालांकि वित्त मंत्री ने ये दावा किया अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में अनिश्चित्ता का भारत पर ज़्यादा असर नहीं पड़ेगा...उद्योगजगत ने बैठक में इस बात पर सबसे ज़्यादा ज़ोर दिया कि माहौल सुधारने के लिए बेहद ज़रूरी है कि ब्याज़ दर कम की जाए।
अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की जद्दोजहद में जुटे प्रधानमंत्री ने उद्योगजगत से गुज़ारिश की कि वो बाज़ार में नया निवेश करने के बारे में गंभीरता से विचार करें और ऐसे वक्त पर जब अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था मुश्किल दौर से गुज़र रही है, उन्हें जोखिम उठाने का हौसला भी दिखाना होगा। बैठक में उद्योगपतियों ने ब्याज़ दर घटाने की मांग की जिससे पूंजी हासिल करना आसान हो। फिक्की की अध्यक्ष ज्योत्सना पुरी ने कहा, 'हमने पीएम के सामने कॉस्ट ऑफ कैपिटल को कम करने के बारे में अपना सुझाव रखा।' CII के अध्यक्ष सुमित मजूमदार के मुताबिक पीएम ने उन्हें ये आश्वासन दिया कि बैठक में रखे गए सुझावों पर सरकार विचार करेगी।
बैठक में सिंचाई के क्षेत्र में ज़्यादा निवेश के साथ-साथ बरसों से अटके पड़े प्रोजेक्ट्स को शुरू करने से लेकर बिज़नेस करना आसान बनाने जैसे कई सुझाव रखे गये। अब एनडीए सरकार के सामने अगली चुनौती इन सुझावों पर अमल करने की होगी।