Apple ही नहीं दिग्गज इलेक्ट्रिक व्हीकल कंपनी Tesla भी भारत की तरफ रुख कर चुकी है.
नई दिल्ली: BQ PRIME की रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया की सबसे वैल्यूएबल कंपनी एप्पल (Apple) ने अपनी अर्निंग्स कॉल में एक या दो नहीं पूरे 20 बार भारत का नाम लिया. अब तो कंपनी ने देश में ही दो एप्पल स्टोर भी खोल लिए हैं. भारत आकर जब आईफोन बनाने वाली कंपनी के सीईओ टिम कुक (Tim Cook) ने खुद एप्पल रिटेल स्टोर (Apple Retail Store) का दरवाजा खोला तो समझिए कि ये एक इशारा था. भारत ने दरवाजे खोल रखे हैं और दुनिया भर की कंपनियां चीन के दरवाजे से एग्जिट लेकर भारत में एंट्री करने को बेताब है.
कई ग्लोबल कंपनियों ने चीन से निकलकर की भारत में एंट्री
एप्पल ही नहीं इलेक्ट्रिक व्हीकल की दुनिया में क्रांति की रफ्तार भरने वाली टेस्ला (Tesla) भी भारत की तरफ रुख कर चुकी है. टेस्ला एग्जीक्यूटिव्स अब भारत में मौकों की तलाश में जुटे हैं. अब इससे तो साफ हो ही गया है कि दुनिया की बड़ी कंपनियों की नजर भारत पर आकर टिक गई है. इसकी वजह काफी साफ है कि यहां बाजार भी है और प्रोडक्शन बेस भी.
भारतीय मार्केट में ग्रोथ, चीन की हालत पस्त
युनाइटेड नेशंस के मुताबिक, भारत आबादी के मामले में अब चीन को पछाड़ चुका है. हाल ही में रिलीज किया डेटा बताता है कि आबादी, 142 करोड़ के पार पहुंच गई है. चीन की पॉपुलेशन, इंडिया से करीब 30 लाख कम है. अब जाहिर है, ये सिर्फ नंबर्स नहीं हैं बल्कि दुनिया के लिए ग्राहकों का एक बड़ा मार्केट है जिसे वो कैप्चर करना चाहते हैं. जहां देश का मार्केट बढ़ रहा है, वहीं चीन से बड़े प्लेयर्स हाथ पीछे खींचते नजर आ रहे हैं. इसकी एक नहीं कई बड़ी वजह हैं. इन्हें एक-एक करके समझते हैं.
zero कोविड पॉलिसी के चलते PMI पर गहरा असर
अब तक वर्ल्ड्स फैक्ट्री कहे जाने वाले चीन में कोविड की लहर इतनी खतरनाक रही कि मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री (Manufacturing Industry) की कमर ही टूट गई. फैक्ट्रियों पर ताले लग गए और zero कोविड पॉलिसी ने काम करना मुश्किल बना दिया. चीन की मैनुफैक्चरिंग सेक्टर के हालात बताने वाली पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) अप्रैल में ही 4 महीने के निचले स्तर यानी 49.2 पर पहुंच गया था. PMI वो बैरोमीटर है जो मैन्युफैक्चरिंग और सर्विसेज में इकोनॉमिक ट्रेंड के हालात बताता है. इससे पहले अक्टूबर से दिसंबर 2022 में भी ये आंकड़ा 50 के पार नहीं जा पाया, यानी मैनुफैक्चरिंग इकोनॉमी सिकुड़ रही है. इसका असर रोजगार पर भी पड़ रहा है.
नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स के डेटा के मुताबिक, अप्रैल में 16 से 24 के एज ग्रुप में बेरोजगारी का आंकड़ा 20.4% पर पहुंच गया और ये नंबर जुलाई तक और भी बढ़ सकता है.
इन वजहों से भी चीन से अपना कारोबार समेट रही हैं कंपनियां
सिर्फ इकोनॉमी ही नहीं, चीन में डेमोक्रेसी न होना भी अब इंटरनेशनल कंपनियों के लिए सिरदर्द बनता जा रहा है. चीन में अभिव्यक्ति की कितनी आजादी है इसका अंदाजा वाइट पेपर रेवॉल्यूशन और से ही लगाया जा सकता है. इन सब वजह से अब कंपनियों को लगा कि एक और बड़ा ऑप्शन तो चाहिए होगा ताकि चीन पर निर्भरता कम की जा सके. सस्ते लेबर, जमीन और लोकतंत्र को देखते हुए भारत से बेहतर विकल्प कोई नहीं है.
Apple भारतीय बाजार में तेजी से पांव पसार रही
इसलिए अब कई नामचीन कंपनियों ने अपना बेस शिफ्ट करना शुरू कर दिया है. सैमसंग ने 2021 में ही अपनी डिस्प्ले मैन्युफैक्चिरिंग यूनिट को चीन से हटाकर देश में बना लिया है. ऐप्पल ने भी चीन पर डिपेंडेंस कम की है और अब 7% iPhone इंडिया में ही बनते है. Apple की सबसे बड़ी सप्लायर फॉक्सकॉन भी तेलंगाना में 50 करोड़ डॉलर का निवेश कर रही है और बेंगलुरु में 300 एकड़ जमीन ले चुकी है. इसका मतलब है कि वर्ल्ड इकोनॉमी में china+1 पॉलिसी की जो शुरुआत हुई थी, उसमें चीन कमजोर पड़ रहा है और भारत सिर्फ +1 नहीं बल्कि ग्लोबल कंपनियों की पहली चॉइस बनने की दिशा में तेज रफ्तार कदम बढ़ा रहा है.
(इस रिपोर्ट को BQ PRIME की सहयोगी भावना सती द्वारा तैयार किया गया है.)