FPI ने 2022 में भारतीय शेयर बाजार से रिकॉर्ड 1.2 लाख करोड़ रुपये निकाले

इस साल निकासी का आंकड़ा 2008 में निकाले गये 53,000 करोड़ रुपये के पिछले रिकॉर्ड को पार कर गया है.

FPI ने 2022 में भारतीय शेयर बाजार से रिकॉर्ड 1.2 लाख करोड़ रुपये निकाले

शेयर बाजार में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों का काफी पैसा लगा रहता है.

नयी दिल्ली:

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई Foreign portfolio investors FPI) ने 2022 में भारतीय शेयर बाजार से लगभग 1.21 लाख करोड़ रुपये निकाले. एफपीआई की यह निकासी किसी एक साल में सर्वाधिक है. इससे पहले, एफपीआई ने लगातार तीन साल तक घरेलू शेयर बाजार में बड़ी राशि लगायी थी. इस साल निकासी का आंकड़ा 2008 में निकाले गये 53,000 करोड़ रुपये के पिछले रिकॉर्ड को पार कर गया है.

विशेषज्ञों ने कहा कि विदेशी पोर्टफोलियो की बड़ी निकासी वैश्विक स्तर पर केंद्रीय बैंकों के आक्रामक रूप से नीतिगत दरों में बढ़ोतरी के बीच हुई. हालांकि वृहत आर्थिक रुख को देखते हुए 2023 में स्थिति बेहतर रहने की उम्मीद है.

दुनिया के विभिन्न केंद्रीय बैंकों की मौद्रिक सख्ती के अलावा, अस्थिर कच्चा तेल, जिंस की बढ़ती कीमतों के साथ-साथ रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते विदेशी पूंजी की निकासी की गयी.

सैंक्टम वेल्थ में उत्पादों और समाधानों के सह-प्रमुख मनीष जेलोका ने कहा कि एफपीआई ने 2022 की पहली छमाही में जितनी राशि निकाली, उसकी अब संभावना नहीं है. इसका कारण भारत की आर्थिक वृद्धि अन्य विकसित और उभरती अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में अधिक मजबूत दिख रही है.

बजाज कैपिटल के संयुक्त चेयरमैन और प्रबंध निदेशक संजीव बजाज ने कहा कि 2023 में एफपीआई का प्रवाह अमेरिकी फेडरल रिजर्व के नीतिगत रुख, तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव और वैश्विक स्तर पर स्थिति समेत कई कारकों पर निर्भर करेगा.

डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, एफपीआई ने 28 दिसंबर तक भारतीय शेयर बाजार से 1.21 लाख करोड़ रुपये (लगभग 16.5 अरब डॉलर) और बॉन्ड बाजार से लगभग 16,600 करोड़ रुपये (दो अरब डॉलर) की शुद्ध निकासी की है.

एफपीआई की पूंजी निकासी के लिहाज से यह सबसे खराब वर्ष रहा. इससे पहले, उन्होंने लगातार तीन साल तक पूंजी लगायी थी. एफपीआई ने 2021 में शेयरों में शुद्ध रूप से 25,752 करोड़ रुपये, 2020 में 1.7 लाख करोड़ रुपये और 2019 में 1.01 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया.

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विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने इससे पहले 2018 में 33,000 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की थी. वर्ष 2022 केवल पांचवां वर्ष होगा जब उन्होंने शुद्ध रूप से बिकवाली की. वर्ष 2011 में 27,000 करोड़ रुपये, 2008 में 53,000 करोड़ रुपये और 1998 में 740 करोड़ रुपये निकाले थे.