सरकार की बजट-पूर्व आर्थिक समीक्षा में सुझाव दिया गया है कि गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों को बायोमेट्रिक पहचान जैसी प्रौद्योगिकियों के जरिये नकद सब्सिडी का भुगतान किया जाए, क्योंकि सब्सिडीशुदा मूल्य की मौजूदा प्रणाली से संसाधनों के आवंटन में विसंगति पैदा होती है।
नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की इस पहली समीक्षा आर्थिक में कहा गया कि मौजूदा व्यवस्था में सब्सिडी की राशि गरीबों तक नहीं पहंचती और 2008-09 के बाद राजकोषीय घाटे में बढ़ोतरी के लिए बहुत कुछ सब्सिडी में बढ़ोतरी जिम्मेदार है।
समीक्षा में कहा गया है, सब्सिडी कार्यक्रम तब और समस्या पैदा करते हैं, जबकि उनसे कीमतों में बदलाव अवरुद्ध होता हो और उसके परिणाम स्वरूप संसाधन आवंटन का आवंटन प्रभावित होता हो। समीक्षा के मुताबिक, गरीबी रेखा के नीचे के परिवारों की पहचान करना और उन्हें नकद सब्सिडी मुहैया कराना पहले से ज्यादा व्यावहारिक हो गया है।
बायोमेट्रिक पहचान की नई प्रौद्योगिकी और मोबाइल फोन के जरिये भुगतान की सुविधा से नई संभावनाएं हुई हैं। समीक्षा में कहा गया है, खाद्य सब्सिडी जैसे कार्यक्रमों की अतिरिक्त लागत बहुत अधिक होती है। उर्वरक सब्सिडी जैसे अन्य मामलों में इस व्यय के कारण संसाधन आवंटन में बाधित होता है, जिससे उत्पादकता प्रभावित होती है।