कुछ इस तरह शुरू होता है वित्तमंत्री के आम बजट का 'ख़ास' दिन...

कुछ इस तरह शुरू होता है वित्तमंत्री के आम बजट का 'ख़ास' दिन...

वित्तमंत्री अरुण जेटली (फाइल फोटो)

हर साल की तरह इस बार भी आम बजट पर जनता और राजनीतिक पार्टियों की नज़र रहेगी। क्या सस्ता हुआ, क्या महंगा, कितना टैक्स बचेगा और कितना खर्चा बढ़ेगा। टीवी या गाड़ी सस्ती हुई तो इस साल होने वाली बेटे या बेटी की शादी में थोड़ी राहत मिल जाएगी। इस तरह का तमाम हिसाब किताब बजट आने से पहले लग रहा होता है लेकिन इन सबके इतर यह जानना भी दिलचस्प होगा कि आम बजट के काम को अंजाम देने वाले देश के वित्तमंत्री जिन पर उस दिन सबकी नज़र रहती है, उनका यह ख़ास दिन कैसे शुरू होता है।

आम बजट की घोषणा वाले दिन वित्तमंत्री सुबह 9 बजे अपने दफ्तर पहुंच जाते हैं जहां वह अपनी टीम के मुख्य सदस्यों से बातचीत करते हैं। हर साल ब्रीफकेस के साथ वित्तमंत्री का फोटो जो अख़बारों और वेबसाइटों में छपता है, वह भी इसी वक्त लिया जाता है। सुबह साढ़े 9 बजे वह राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति से चाय पर मुलाकात करते हैं। वहां वित्तमंत्री बजट की कुछ बारिकियों को राष्ट्रपति के साथ शेयर करते हैं।

गर्दन में दर्द की शिकायत
सुबह 10 बजे वित्तमंत्री ससंद पहुंच जाते हैं और कैबिनेट मीटिंग में उपस्थित होते हैं। उनकी टीम द्वारा तैयार किया गया एक छोटा सा  प्रेज़ेंटेशन दिखाया जाता है जिसके बाद कैबिनेट बजट पर ठप्पा लगा देता है। साढ़े 10 बजे के करीब वित्तमंत्री संसदीय मामलों के मंत्री के कमरे में जाते हैं। अब जब तक लोकसभा की कार्यवाही शुरू नहीं हो जाती, किसी भी मंत्री को कैबिनेट समिति के कमरे से बाहर निकलने की अनुमति नहीं मिलती है। 11 बजे कार्यवाही शुरू होने से ठीक पहले वित्तमंत्री अपने कैबिनेट साथियों के साथ सदन में प्रवेश करते हैं।

अपना पहला बजट प्रस्तुत करने के दौरान वित्तमंत्री अरुण जेटली ने गर्दन में दर्द की शिकायत की थी जिसके बाद उन्हें बजट का भाषण बैठकर देने की इजाज़त दे दी गई थी। इस बार भी अगर जरूरत पड़ी तो उन्हें ऐसी अनुमति दोबारा मिल सकती है। जेटली को टेलीप्रॉम्पटर के ज़रिए बजट स्पीच पढ़ने की सलाह भी दी गई थी लेकिन उन्होंने मना कर दिया था। गौरतलब है कि टेलीप्रॉम्पटर का इस्तेमाल कभी भी सदन में नहीं किया गया है सिवाय एक बार जब अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा ने सेंट्रल हॉल में सांसदों को संबोधित किया था।

सबसे लंबा भाषण
अरुण जेटली का पहला बजट भाषण काफी लंबा था। 16 हज़ार 500 शब्दों का यह भाषण शायद किसी भी वित्तमंत्री द्वारा दी गई अभी तक का सबसे लंबी स्पीच थी। इसी को पढ़ने के दौरान जेटली की गर्दन में दर्द होने लगा और उन्होंने थोड़ा आराम फरमाया। उनका दूसरा बजट भाषण थोड़ा छोटा था यानि करीब 11 हज़ार शब्दों का था। बजट स्पीच को पढ़ने में करीब एक से डेढ़ घंटा लग जाता है।

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पिछळे साल जेटली ने अपने भाषण में कांग्रेस की चुटकी लेते हुए कहा था - 'कुछ तो फूल खिलाए हमने, कुछ और फूल खिलाने हैं; मुश्किल है यह बाग़ में अब तक कांटे कई पुराने हैं...' यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बार जेटली कौन सा शेर पढ़ेंगे, पढ़ेंगे भी या नहीं। लोकसभा में लगे माइक के साथ साथ वह एक लेपल माइक भी पहनेंगे। उन्होंने अपने पहले बजट में पीली जैकेट पहनी थी और दूसरे में नीली, अब तीसरे बजट पर सबकी नज़र रहेगी, घोषणाओं पर भी और वित्तमंत्री के अंदाज़ पर भी...