दिल्ली हाई कोर्ट में बुधवार संजय कपूर की संपत्ति और वसीयत के मामले में बड़ी सुनवाई हुई. प्रिया कपूर की तरफ से सीनियर वकील राजीव नायर ने रानी कपूर के एक-एक आरोप का कागजों और सबूतों के साथ जवाब दिया.इन आरोपों में संपत्ति छिपाने से लेकर कॉर्पोरेट चालों, शादी में अनबन और वसीयत तैयार जैसी बातें शामिल थी। हालांकि, हर आरोप को डॉक्यूमेंट्री रिकॉर्ड, कानूनी फाइलिंग, व्हाट्सऐप कम्युनिकेशन और डिजिटल सबूतों से मिलाने पर, बड़ी कमियां और कई मामलों में तो पूरी तरह से गलतियां सामने आईं. कोर्ट में साबित हो गया कि रानी कपूर के ज्यादातर दावे गलत और आधारहीन हैं.
ये भी पढ़ें: 2025 के ये हैं सबसे पॉपुलर डायरेक्टर्स, एक की फिल्म ने तो की 500 करोड़ की कमाई
मुख्य आरोप और उनका सचः
1. रानी कपूर ने कहा था कि संजय को 60 करोड़ रुपए सैलरी मिलती थी और प्रिया ने संपत्ति छुपाई है.
सचः संजय की सैलरी सिर्फ 10 करोड़ सालाना थी. 50 करोड़ एक बार का बोनस था. उसमें से टैक्स कटने के बाद 36.5 करोड़ हाथ आए, जिसमें से 28.5 करोड़ ब्रिटेन में दो प्रॉपर्टी खरीदने में लगे. दोनों प्रॉपर्टी वसीयत में साफ-साफ लिखी हैं. छुपाने की बात पूरी तरह झूठी साबित हुई. उल्टा, रानी कपूर खुद हर महीने एआईपीएल कंपनी से 21.5 लाख रुपए ले रही हैं और उनके सारे खर्चे आज भी पहले की तरह कंपनी दे रही है.
2. आरोप था कि संजय की मौत के बाद पैसा विदेश भेज दिया गया.
सचः बैंक के सारे स्टेटमेंट कोर्ट में दिखाए गए. एक भी रुपया विदेश नहीं गया.
3. दो बैंक खातों पर शक जताया गया था.
सचः दोनों खाते शुरू से जीरो बैलेंस थे. स्टेटमेंट कोर्ट को दिखाए गए.
4. संजय की मौत के बाद के ईमेल दिखाकर कहा गया कि प्रिया ने कुछ गड़बड़ की.
सचः असली ईमेल 16 जून 2025 का था जो रानी कपूर के अपने अकाउंट से भेजा गया था. सिर्फ जवाबी ईमेल कोर्ट में दिखाए गए थे, मूल ईमेल छुपाया गया.
5. कहा गया कि संजय के पास सोना बीएलडेब्लू कंपनी के 6.5% शेयर थे.
सचः 6.5% शेयर एआईपीएल कंपनी के थे, बीएलडेब्लू कंपनी में सिर्फ करीब 2% हिस्सा बनता था. यह सेबी और एमसीए के सार्वजनिक रिकॉर्ड में साफ दर्ज है.
6. आरोप लगाया गया कि वैवाहिक कलह की वजह से संजय ने प्रिया को डायरेक्टर पद से हटाया.
सचः प्रिया ने खुद 24 मई 2023 को एआईपीएल से इस्तीफा दिया और उसी दिन दूसरी कंपनी आरपीएल की प्रेसिडेंट बनीं. संजय ने भी उसी दिन आरपीएल से इस्तीफा देकर एआईपीएल का एमडी बनना स्वीकार किया. यह सिर्फ कंपनी रिस्ट्रक्चरिंग था, वैवाहिक कलह से कोई लेना-देना नहीं.
कोर्ट में साफ हो गया कि रानी कपूर पहले “वसीयत ही नहीं है” कहती थीं, फिर “टाइपो है, फिर “जाली सिग्नेचर है”, फिर “संपत्ति छुपाई”, फिर “पैसा विदेश भेजा” — हर बार नया आरोप. लेकिन एक भी आरोप के पक्ष में एक कागज तक नहीं दिखा सकीं. वहीं प्रिया कपूर ने वसीयत के समर्थन में डिजिटल रिकॉर्ड, गवाहों के हलफनामे, बैंक स्टेटमेंट, बोर्ड रिजॉल्यूशन सब कुछ कोर्ट के सामने रख दिया. कोर्ट में आज यह साफ हो गया कि यह केस परिवार की सच्चाई नहीं, परिवार की राजनीति ज्यादा लग रहा है.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं