भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच मौजूदा सीरीज़ में दोनों टीमों के कप्तान जोरदार प्रदर्शन के चलते लंबे समय तक याद किए जाएंगे। टेस्ट इतिहास में पहली बार किसी सीरीज़ में कप्तानों ने सात शतक बनाए हैं। कप्तान के तौर पर विराट कोहली ने इस सीरीज़ में तीन शतक जमाए, वहीं दूसरी ओर से स्टीवन स्मिथ के बल्ले से भी इतने ही शतक निकले, जबकि एडिलेड टेस्ट में कप्तान माइकल क्लार्क ने बेहतरीन शतक बनाया।
इस लिहाज से देखें तो विराट कोहली और स्टीवन स्मिथ इस सीरीज़ के हीरो रहे। इन दोनों को पहली बार टेस्ट में कप्तानी का मौका मिला और दोनों ने दिखाया कि कप्तानी के दबाव में उनका प्रदर्शन कहीं निखर कर सामने आता है।
स्टीवन स्मिथ ने इस सीरीज़ में बल्ले से धमाल दिखाते हुए चार शतकों की बदौलत 769 रन बनाए। 128 से ज्यादा की औसत से चार या उससे कम टेस्ट मैचों की एक सीरीज़ में वह सबसे ज्यादा रन बनाने वाले ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज बन गए हैं।
वहीं दूसरी ओर विराट कोहली ने सीरीज़ के चार टेस्ट मैचों की आठ पारियों में चार शतक की बदौलत 692 रन बनाए। भारत की ओर से ऑस्ट्रेलियाई मैदान पर किसी भी बल्लेबाज़ का एक सीरीज़ में यह सबसे बड़ा स्कोर है।
एडिलेड में सीरीज़ के पहले टेस्ट में विराट कोहली को टीम इंडिया की ओर से कप्तानी का मौका मिला और उन्होंने दोनों पारियों में जोरदार शतक जड़कर इतिहास बना दिया।
कोहली की शतकीय पारी की बदौलत टीम इंडिया एडिलेड में ऐतिहासिक जीत के करीब पहुंच गई थी, हालांकि कोहली टीम को जीत नहीं दिला पाए, लेकिन उन्होंने अपने आलोचकों का भी दिल जीत लिया।
एडिलेड टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया की कप्तानी माइकल क्लार्क कर रहे थे। अपने दोस्त फिलिफ ह्यूज़ की मौत के सदमे और पीठ की तकलीफ के बावजूद उन्होंने गजब की हिम्मत दिखाते हुए एडिलेड टेस्ट की पहली पारी में शानदार शतक बनाया।
ब्रिसबेन और मेलबर्न में टीम इंडिया के कप्तानी महेंद्र सिंह धोनी के जिम्मे थी। ब्रिसबेन टेस्ट में कप्तान धोनी बल्ले से कुछ खास नहीं कर पाए, लेकिन दूसरी पारी में ऑस्ट्रेलिया को जब जीत के लिए महज 128 रन बनाने थे, तो उन्होंने अपने गेंदबाज़ों का बखूबी इस्तेमाल किया। ऑस्ट्रेलिया के छह विकेट गिर गए, जिसमें तीन के कैच धोनी ने ही लपके थे।
लेकिन दूसरी ओर महज 25 साल में ऑस्ट्रेलिया के कप्तान बने स्टीव स्मिथ ने लगातार दूसरे टेस्ट में शतक बना दिया। एडिलेड के पहले टेस्ट में उन्होंने नॉट आउट 162 रन और नॉटआउट 52 रन बनाए थे। ब्रिसबेन की पहली पारी में कप्तान के तौर पर स्टीवन स्मिथ ने 133 रन बनाए, जबकि दूसरी पारी में उन्होंने 28 रनों का योगदान दिया।
मेलबर्न टेस्ट में स्टीवन स्मिथ ने लगातार तीसरे टेस्ट में तीसरा शतक ठोक दिया। उन्होंने पहली पारी में 192 रन की जोरदार पारी खेली। स्मिथ अगर दोहरा शतक पूरा कर लेते तो सबसे कम उम्र में दोहरा शतक बनाने वाले कप्तान का रिकॉर्ड उनके नाम होता। डॉन ब्रैडमैन ने 1937 में 28 साल और 131 दिन की उम्र में ये रिकॉर्ड बनाया था। स्टीवन स्मिथ इस टेस्ट की दूसरी पारी में महज 14 रन बना पाए।
इस टेस्ट में भारत के कप्तान थे, महेंद्र सिंह धोनी, जिन्होंने नाज़ुक मौके पर दूसरी पारी में विकेट पर टिक कर भारत के लिए मैच बचाया। 24 रन की अहम पारी के दौरान ही वह भारत की ओर से टेस्ट मैचों में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले कप्तान बन गए। टेस्ट में बतौर कप्तान धोनी के नाम भारत की ओर से सबसे ज्यादा 3454 रन हैं। इतना ही नहीं उन्होंने विकेट के पीछे पहली पारी में पांच और दूसरी पारी में चार शिकार बनाए। इसी दौरान विकेट के पीछे सबसे ज्यादा स्टंपिंग का वर्ल्ड रिकॉर्ड भी उन्होंने अपने नाम कर लिया।
इसी टेस्ट के दौरान एमएस धोनी ने टेस्ट से संन्यास लेकर क्रिकेट की दुनिया को चौंका दिया। 90 टेस्ट मैचों में 60 टेस्ट मैच में धोनी ने कप्तानी की, भारत की ओर से सबसे ज्यादा और सबसे ज्यादा टेस्ट जीत का भारतीय रिकॉर्ड भी उनके नाम रहा।
सीरीज़ के आखिरी टेस्ट सिडनी में स्टीवन स्मिथ ने पहली पारी में 117 रन और दूसरी पारी में 71 रन ठोक दिए। वहीं भारत की ओर से विराट कोहली ने कप्तान के तौर पर लगातार तीसरी पारी में शतक बनाकर इतिहास बना दिया। वह इस मुकाम तक पहुंचने वाले इकलौते क्रिकेटर हैं। पहली पारी में कोहली ने 147 रन और दूसरी पारी में 46 रन बनाए।
स्टीवन स्मिथ को जोरदार बल्लेबाज़ी के लिए मैन ऑफ द सीरीज़ भले चुना गया हो लेकिन विराट कोहली का दावा किसी लिहाज से स्मिथ से कमतर नहीं था।
जाहिर है कि यह सीरीज़ बतौर कप्तान विराट कोहली की पहली सीरीज़ थी, लेकिन जिस तरह से उन्होंने आक्रामक और जिम्मेदारी भरे क्रिकेट का परिचय दिया है, उससे जाहिर है कि वह महेंद्र सिंह धोनी की जगह लेने के लिए तैयार कर चुके हैं। टेस्ट मैचों में धोनी के बाद विराट कोहली का नया दौर शुरू हो चुका है। जबकि दूसरी ओर माइकल क्लार्क के दावेदार की भूमिका में स्टीवन स्मिथ पूरी तरह फिट नजर आ रहे हैं। हालांकि दोनों के पास अनुभव की कमी जरूर है, लेकिन आने वाले समय में यह दोनों विश्व क्रिकेट के सबसे जोरदार कप्तान के तौर पर उभरने के लिए तैयार हैं।
This Article is From Jan 10, 2015
प्रदीप कुमार की कलम से : कप्तानों के प्रदर्शन के चलते याद रहेगी सीरीज़
Pradeep Kumar
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Updated:जनवरी 11, 2015 09:45 am IST
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Published On जनवरी 10, 2015 14:54 pm IST
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Last Updated On जनवरी 11, 2015 09:45 am IST
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