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This Article is From Dec 09, 2016

जयललिता ने मुझे जो जवाब दिया, वह उनका किसी भी पत्रकार को दिया गया आखिरी जवाब था

J Sam Daniel Stalin
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    दिसंबर 10, 2016 09:38 am IST
    • Published On दिसंबर 09, 2016 16:47 pm IST
    • Last Updated On दिसंबर 10, 2016 09:38 am IST
जब दो साल पहले मैंने तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता से सवाल किया था, तब किसे पता था कि किसी पत्रकार को दी गई यह उनकी आखिरी प्रतिक्रिया होने वाली है. 29 जून 2014 को चेन्नई से 20 किमो दूर मौलीवक्कम में एक इमारत ढहने से एक बहुत बड़ी आपदा खड़ी हो गई थी. 11 मंजिला इमारत के नीचे गिरने से 11 लोग मारे गए, 20 को बचा लिया और 40 से ज्यादा मलबे में फंसे हुए थे.

परिवार वाले अपने करीबी की खबर के लिए परेशान घूम रहे थे. लेकिन अचानक बचाव के लिए हो रहा काम थम गया. भारी भरकम मशीनें जो मलबे को हटा रही थी, वह चुप पड़ गईं.
 
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लेकिन घटनास्थल से थोड़ी ही दूरी पर सड़क के करीब गतिविधियां तेज़ होने लगी. किसी भी तरह के इन्फेक्शन को दूर करने के लिए सड़क के किनारे क्लोरीन का छिड़काव होने लगा, झाड़ियों को तेज़ी से हटाया जाने लगा. समझ में आ रहा था कि जरूर कोई वीआईपी आने वाला है और मुझे पता चला कि मुख्यमंत्री आने वाली हैं. साफ था कि अधिकारियों को बचाव का काम रोककर मुख्यमंत्री के आगमन के इंतज़ाम करने पड़ रहे थे. वह जल्द ही सामने थीं जहां उन्होंने प्रेस से बातचीत की. उन्होंने बताया कि गलती कहां हुई है और राहत कार्य तेज़ी से हो रहा है.

लेकिन उनके आने से लोगों को मलबे से निकालने के अहम काम में रुकावट आई है, यह देखते हुए मैंने शालीनता से उनसे पूछा 'मैडम, पिछले कुछ घंटों से बचाव का काम लगभग रुक सा गया है. क्या आपको लगता है सरकार चाहती तो ऐसा नहीं होता.' उनका चेहरा लाल हो गया और उन्होंने कहा 'ये कैसे सवाल हैं, यह राजनीति से प्रेरित सवाल हैं. मैं यहां ऐसे सवालों के जवाब देने नहीं आई हूं. अगर आपको लगता है कि राहत और बचाव कार्य खत्म हो गया है, तो मैं आपसे कहती हूं कि आप यहां रुकिए और इस ऑपरेशन को तब तक देखिए जब तक यह पूरा नहीं हो जाता,' ऐसा कहकर वह अपनी कार की तरफ बढ़ गई.

उनके जाने के थोड़ी देर बाद NDRF (राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल) के एक वरिष्ठ अधिकारी मेरे पास आए और उन्होंने कहा 'मुझे खुशी हुई कि आपने उनसे यह सवाल किया. ऐसा नहीं होना चाहिए था.' इसके बाद जयललिता ने किसी भी प्रेस मीट या रिपोर्टर से बातचीत नहीं की. उसी साल सितंबर में उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे जिसकी वजह से उन्हें 22 दिन जेल में बिताने पड़े. बाहर निकलने के बाद भी उन्होंने मीडिया से हर तरह की दूरी बनाकर रखी.

सैम डेनियल, चैन्नई में एनडीटीवी के ब्यूरो चीफ हैं.

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